राज्य सरकार को झटका, सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना पर दी चेतावनी
दीपक बहल, अंबाला प्रदेश में पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) कोर्स के दूरदराज या कठिन एरिया के लिए
दीपक बहल, अंबाला
प्रदेश में पोस्ट ग्रेजुएशन (पीजी) कोर्स के दूरदराज या कठिन एरिया के लिए निर्धारित कोटा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) के डॉक्टरों को देना सुप्रीम कोर्ट ने गलत ठहराया है। सुप्रीम कोर्ट के स्टे बावजूद पीजीआइ रोहतक द्वारा 22 मई को की गई काउंसि¨लग पर फटकार लगाते इसे अवमानना माना गया। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार को चेतावनी देकर बख्श दिया। बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते 10 जून तक नई पॉलिसी बनाने का आदेश दिया। इसमें कहा गया कि राज्य सरकार पीजी के लिए 10 से 30 फीसदी का निर्धारित कोटा खत्म करे या फिर नए सिरे से लिस्ट बनाए। बता दें कि इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी 5 मई को जारी नोटिफिकेशन को रद कर अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करने का आदेश जारी किया था।
बता दें दूरदराज और कठिन क्षेत्रों में डॉक्टर को 10 से 30 फीसदी का कोटा निर्धारित कर रखा है। स्वास्थ्य विभाग ने सीएचसी और पीएचसी में तैनात 112 डॉक्टरों को आनन-फानन में एनओसी जारी कर दी। बिना एरिया को जांचे जारी की गई एनओसी के आधार पर ही पीजीआइ रोहतक ने मेरिट लिस्ट बनाकर 5 मई को नोटिफिकेशन जारी कर दी। डॉक्टरों की पहली काउंसि¨लग 7 मई 2017 को हुई। हाईकोर्ट ने मेरिट लिस्ट पर सवाल उठाते इसे रद कर दिया। फैसले में लिखा, हरियाणा में कोई दूरदराज या कठिन क्षेत्र नहीं, अब हरियाणा में विकास हो चुका है, 2005-2006 में बनी लिस्ट के आधार पर एनओसी जारी करना गलत है। इसी मामले में अब सुप्रीम कोर्ट ने भी सरकार के फैसले को गलत ठहराया।
कोटा खत्म करके भी की जा सकती है काउंसि¨लग
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद राज्य सरकार के पास दो रास्ते बचे हैं। एमबीबीएस डॉक्टर्स को पीजी कोर्स के लिए दूरदराज या कठिन एरिया की फिर से लिस्ट बनाई जाए। इसके बाद ही एक साल नौकरी करने पर 10, दो साल पर 20 और तीन साल या इससे अधिक करने पर 30 फीसदी कोटा दिया जा सकता है। 10 जून तक का समय सरकार के पास है। यदि, लिस्ट नहीं बनाई जाती तो कोटा खत्म कर काउंसि¨लग की जा सकती है। प्रदेश में 115 सीएचसी व 498 पीएचसी हैं।