सरकारी स्कूलों में जंग खा रही साइकिलों को सवारी का इंतजार
उमेश भार्गव, अंबाला शहर साइकिल होने के बावजूद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले मासूमों क
उमेश भार्गव, अंबाला शहर
साइकिल होने के बावजूद सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले मासूमों को तीन किलोमीटर से अधिक का सफर पैदल ही तय करना पड़ रहा है। एक-दो नहीं बल्कि जिले में करीब 24 स्कूल ऐसे हैं जहां पिछले एक साल से साइकिल ही नहीं पहुंचा। हालांकि इन स्कूलों के लिए सरकार ने साइकिल भेजें हैं। मासूमों को मिलने वाले यह साइकिल स्टोर में पड़े हुए धूल फांक रहे हैं।
अंबाला शहर की बात करें तो यहां पर करीब 175 साइकिल स्टोर में ही खड़ी हैं। इनमें से कई साइकिल तो पिछले पांच साल से जस की तस खड़ी हैं। इसके अलावा नारायणगढ़, बराड़ा, शहजादपुर, साहा और अंबाला छावनी ब्लॉक में बने स्टोर में पड़ी साइकिलों की संख्या इससे अलग है। जिले की बात करें तो करीब 500 साइकिल या तो स्टोर में खड़ी हैं या संबंधित स्कूल में पहुंचने के बाद आगे वितरित नहीं की गई।
दरअसल सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले अनुसूचित जाति के लड़कों और सभी वर्ग की छात्राओं को सरकार की ओर से नि:शुल्क साइकिल वितरित की जाती हैं। इसके लिए घर से स्कूल की दूरी तीन किलोमीटर या उससे अधिक होनी चाहिए। जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले ऐसे बच्चों के लिए करीब तीन हजार साइकिल इस वर्ष 2016 में जारी की गई थी।
¨प्रसिपल बोली गुम हो गई स्टोर की चाबी, चौकीदार हुआ गायब
इस मामले में जब दैनिक जागरण टीम ने अंबाला शहर स्थित सात नंबर सीनियर सेकेंडरी स्कूल में पहुंची और स्टोर में खड़ी साइकिल दिखाने के लिए ¨प्रसिपल से बातचीत की तो ¨प्रसिपल रीटा रानी ने पहले स्टोर की चॉबी गुम होने की बात कही। बाद में आनन-फानन में स्कूल से निकल दी। ¨प्रसिपल के निकलते ही चपरासी भी गेट का ताला लगाकर वहां से चलता बने। हालांकि ¨प्रसिपल रीटा ने बताया कि उनके पास केवल 45 साइकिल ही हैं। इसकी रिपोर्ट भी वह जिला शिक्षा अधिकारी के पास भेज चुकी हैं। ध्यान रहे कि इसी स्कूल को पहले अंबाला शहर के सभी स्कूलों का साइकिल स्टोर बनाया हुआ था और अब बलदेव नगर के सीनियर सेकेंडरी स्कूल को स्टोर बनाया गया है। यहां करीब 125 साइकिल कई साल से खड़ी हैं।
कूड़े के भाव बिकेंगी जंग खा रही साइकिलें
पांच-पांच साल से स्कूलों व स्टोर में साइकिलें जंग खा रही हैं। अब इनकी हालत इतनी कंडम हो चुकी है कि कोई भी विद्यार्थी इन्हें नहीं लेगा। अंबाला शहर के सात नंबर स्कूल में भी एक साइकिल ऐसी ही है। इसके देखकर कोई यह नहीं बता सकता है कि यह साइकिल नई है। इसके बारे में आलाधिकारियों को पत्राचार कर बताया जा चुका है। हर साल इस साइकिल को लेकर पत्राचार होता है लेकिन नतीजा आज तक नहीं निकल पाया
क्यों नहीं वितरित की जा रही साइकिलें
दरअसल हर साल सरकार को सरकारी स्कूलों की जरूरतों के अनुसार डिमांड भेजी जाती है। वर्ष 2015-16 में जो डिमांड भेजी गई थी वह 2016-17 में मिली। यानी डिमांड भेजे जाने के अगले साल तक साइकिल आती हैं। इस अवधि में कुछ नये बच्चे आ जाते हैं तो कुछ स्कूल छोड़कर चले जाते हैं। इसके कारण स्टॉक जमा होता जाता है। डिमांड भेजे जाते समय स्कूल यह भी नहीं बताते की उनके पास पहले से कितनी साइकिल खड़ी हैं जो पिछले साल वितरित नहीं की। इस तरह यह स्टाक बढ़ता जाता है। साथ कुछ स्कूलों को डिमांड भेजे जाने के बाद स्टोर से साइकिल ही वितरित नहीं की जाती। सुल्लर सीनियर सेकेंडरी स्कूल के बच्चों के साथ भी ऐसा ही हो रहा है। स्कूल कई बार साइकिल की डिमांड कर चुका है लेकिन साइकिल वितरित नहीं हो रही।
डीईओ ने बुलाई थी बैठक, नहीं दे पाए सर्टिफिकेट
इस बारे में हाल ही में जिला शिक्षा अधिकारी ने सभी ब्लॉक अधिकारियों की बैठक भी बुलाई थी। इसमें बीईओ से यूटीलाइजेशन सर्टिफिकेट मांगे गए थे लेकिन कुछ बीईओ यह नहीं दे पाए क्योंकि वह रिकॉर्ड ही मैटेन नहीं कर पाए। पिछले सालों का रिकॉर्ड कि कैसे साइकिल बची, कितनी डिमांड भेजी गई थी यही तय नहीं हो पा रहा है।
हमने सभी स्कूलों से पत्र लिखकर पूछा है कि उन्हें किस-किस साल में साइकिल नहीं दी गई और कितनों की जरूरत है। इस साल मेरे कार्यकाल में जितनी भी साइकिल आई थी सभी वितरित कर दी गई लेकिन पहले क्यों यह साइकिल वितरित नहीं की गई यह रिकार्ड चैक करने के बाद ही बताया जा सकता है। एक सप्ताह के भीतर सभी साइकिल वितरित कर दी जाएंगी।
र¨वद्र ¨सह, खंड शिक्षा अधिकारी, अंबाला शहर।