अधिकारी नहीं चलने दे रहे प्राइवेट रूट, धरे रह गए हाईकोर्ट के आदेश
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को नई पॉलिसी लेक
जागरण संवाददाता, अंबाला शहर : पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सरकार को नई पॉलिसी लेकर आने तक तक 2016 की पॉलिसी को वैध बताते हुए प्राइवेट बसों को अलाट रूटों पर चलने के आदेश दिए थे। 16 अप्रैल को आए कोर्ट के इस फैसले को अब सवा माह बीत चुका है लेकिन इन आदेशों को बजाय लागू कराने के अफसर सहकारी समितियों पर दबाव बनाने में लगे हुए हैं।
दरअसल, रोडवेज यूनियनों के दबाव में आए अधिकारी नहीं चाहते कि उनके जिले पर रोडवेज कर्मियों के आंदोलन का धब्बा लगे और आग पूरे प्रदेश में फैले। वहीं, सहकारी परिवहन कल्याण संघ के मुताबिक अधिकारी बसों को रूट पर नहीं चलने देने के कोई लिखित आदेश नहीं दे रहे हैं लेकिन मौखिक तौर पर दबाव बनाते हुए बसें चलने भी नहीं दे रहे हैं।
अंबाला में साल 2016 की परिवहन पॉलिसी के तहत 55 बसों को रूट पर चलने देने को लेकर गतिरोध बना हुआ है। जबकि सारिणी भी रोडवेज की सहमति से मिल चुकी है। जब बसें रूट पर चलाने की कोशिश की गई तो रोडवेज कर्मियों ने धक्केशाही करते हुए बसों को अवैध रूप से काबू कर लिया। ऐसे मामलों में सहकारी परिवहन कल्याण संघ के माध्यम से संबंधित कर्मचारियों पर एफआइआर भी दर्ज कराई गई। विडंबना यह रही कि आज तक इनमें से किसी की गिरफ्तारी भी नहीं हुई, जबकि गैर जमानती धाराओं में मामला दर्ज किया गया था। संघ के जिला प्रधान रामनाथ राणा के मुताबिक वे इस मामले में दो बार एसपी को भी मिल चुके हैं।
पुलिस प्रोटेक्शन में बसें चलाने की करेंगे मांग
जिला प्रधान के मुताबिक अफसर मिलीभगत कर कोर्ट के आदेशों की अवमानना कर रहे हैं। राणा के मुताबिक जब वह जीएम अंबाला कुलधीर ¨सह से मिले तो वे उनकी मदद करने के बजाय उन्हें एसवाईएल पर सुप्रीमकोर्ट के आदेशों का हवाला देने लगे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बावजूद नहर में पानी नहीं आ पाया। ठीक ही ऐसा बसों के मामले में भी है। हालांकि, अब वे पुलिस सुरक्षा में बसें चलवाने को लेकर ट्रिब्यूनल अंबाला में शुक्रवार को याचिका दायर करेंगे। इसको लेकर वे राय मश्विरा कर चुके हैं। इस मामले में व्यवधान का कारण बने अफसरों व रोडवेज कर्मियों व रोडवेज यूनियन सदस्यों व पदाधिकारियों को व्यक्तिगत तौर पर नामजद किया जाएगा।