मुक्ति प्रेमभक्ति की दासी है : ज्ञाननाथ
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ : निराकारी सत्संग धाम में मासिक रूहानी सत्संग के दौरान बृहस्पतिवार
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ : निराकारी सत्संग धाम में मासिक रूहानी सत्संग के दौरान बृहस्पतिवार को स्वामी ज्ञाननाथ महाराज निराकारी जागृति मिशन ने श्रद्धालुओं को प्रवचनों में कहा कि मुक्ति प्रेमभक्ति की दासी है जो समय के हाकिम आत्मदर्शी सतगुरु को मन, वचन और कर्म से समर्पित और शरणागत जिज्ञासु को स्वयं ढूंढती हुई उसके चरणों में हाजिर हो जाती है। उन्होंने कहा कि बिना प्रेम पहुंचे नहीं दुर्लभ पिया के देश, अर्थात सतगुरु के प्रेम और ज्ञान के बिना मनुष्य जीवन शुष्क और अर्थहीन होता है। जैसे चांद और चकोर, वर्षा और पपीहे, शमा और परवाने, फूल और भंवरे में अटूट प्रेम होता है ऐसे ही भक्ति और भगवान में भी प्रेमभाव होता है।
परंतु कर्ताभाव, अहंभाव और बहसबाजी करने वाला भक्ति की शक्ति को कभी नहीं जान सकता। इसीलिए संकीर्ण विचारधारा ईष्र्या, अपने आपको श्रेष्ठ और दूसरों नीचा दिखाने वाली प्रवृति और भेदभाव वाली बुद्धि, बहसबाजी, अतीत के खट्ठे -मिट्ठे अनुभवों को त्यागकर, भविष्य की निर्रथक ¨चताओं को छोड़कर सिर्फ वर्तमान में जीना होगा, तभी सच्चाई की विशालता प्रकट होगी। सत्संग में विशेषरूप दाता राम, बक्शाराम, जस्सी, तेजा ¨सह, सुभाष, जरनैल ¨सह, रोशनलाल, बलवंत, बल¨वद्र, कमलेश, कुसुम,व रजनी ने भी भजन एवं गुरूवाणी से सगंत को निहाल किया। सत्संग के बाद गुरु का अटूट भंडारा बरताया गया।