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गेहूं सीजन में मार्के¨टग बोर्ड ने खुद कर दिया जाम का इंतजाम

जितेंद्र अग्रवाल, अंबाला शहर 1 अप्रैल से प्रारंभ होने जा रहे गेहूं सीजन के लिए मार्के¨टग बोर्ड

By JagranEdited By: Published: Mon, 27 Mar 2017 08:07 PM (IST)Updated: Mon, 27 Mar 2017 08:07 PM (IST)
गेहूं सीजन में मार्के¨टग बोर्ड ने खुद कर दिया जाम का इंतजाम

जितेंद्र अग्रवाल, अंबाला शहर

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1 अप्रैल से प्रारंभ होने जा रहे गेहूं सीजन के लिए मार्के¨टग बोर्ड ने अंबाला शहर मंडी और हिसार रोड पर जाम लगवाने का पक्का इंतजाम कर लिया है। गेट नंबर एक पर स्थापित किए जा रहे रोड वेट ब्रिज यानी वजन तौलने के नए कांटे के कारण यह स्थिति बननी निश्चित है। आढ़ती अनेक कारणों से पहले ही इस कांटे को लगाए जोन का विरोध कर रहे हैं।

दरअसल क्षेत्र की सबसे बड़ी शहर की अनाज मंडी के जिस स्थान पर कांटा लगाया जा रहा है उससे मंडी का गेट आधा रह जाएगा। कांटा लगने से एक ट्रक के साथ स्कूटर भी नहीं निकल पाएगा। बनाए जा रहे रैंप के कारण ट्रक कई दुकानों का रास्ता रोक लेंगे जिससे संबंधित दुकानदारों की दुकानें ही बंद होकर रह जाएंगी। वैसे भी गेट के अंदर कांटा लगाए जाने का कोई औचित्य नहीं है, कांटा गेट एंट्री से पहले लगाया जाना चाहिए। साथ ही कांटा खुली जगह में लगाया जाना चाहिए ताकि ट्रक-ट्रॉलियां आदि आसानी से बिना रुकावट वजन करवा सकें। लेकिन यहां बोर्ड अधिकारियों के अदूरदर्शी निर्णय के चलते गेहूं सीजन में भयंकर जाम को कोई नहीं रोक पाएगा। किसी को समझ नहीं आ रहा कि कांटा लगाने के लिए किस अधिकारी ने संबंधित स्थान का चयन किया।

सर्वविदित है कि शहर अनाज मंडी मुख्य रूप से गेहूं और धान की आवक पर ही निर्भर है। जिले में स्थापित 14 खरीद केंद्रों का करीब आधा उपज शहर मंडी में आता है। औसतन सीजन में 10 लाख क्विंटल गेहूं शहर मंडी में आती है। आम सीजन में ही यहां जाम की स्थिति बनी रहती है, यदि गेट नंबर एक पर कांटा लगा तो वजन तौलने के चक्कर में हिसार रोड के दोनों ओर कई किलोमीटर की लंबी लाइनें लग जाने से कोई नहीं रोक सकता। हैरानी की बात तो यह है कि वजन कांटे को इस्तेमाल करने के लिए मार्केट कमेटी के पास कर्मचारी ही नहीं हैं।

मंडी पर आ जाएगी ताला लगाने की नौबत

कांटा लगाने का विरोध करने के लिए आढ़ती अपना पक्ष बताते हैं कि दोनों ही फसलें खेतों से मंडी में आने तकभरपूर नमीयुक्त होती हैं। यदि किसान के वाहन का मंडी में प्रवेश करते वक्त ही वजन हो जाएगा तो सूखने के बाद कम होने वाली उपज की जिम्मेवारी किसकी होगी। कांटे पर तुलाई के बाद बेकार के विवाद बढ़ेंगे और मंडी पर ताला लगाने की नौबत आ जाएगी। मक्खन लाल के नेतृत्व वाली आढ़ती एसोसिएशन लगाए जा रहे कांटों का पुरजोर विरोध कर चुकी है। दूनी चंद दानीपुर के नेतृत्व वाली एसोसिएशन भी कांटा लगाए जाने के औचित्य पर सवाल खड़े कर रही है। वह कह रही है कि पांच साल पहले लगाए गए कांटों पर तो एक किलो वजन नहीं तुला, नए कांटे लगाने का फायदा क्या। आढ़ती स्पष्ट आरोप लगा रहे हैं कि कमीशनखोरी के लिए कई गुना अधिक भाव पर कांटे खरीद कर जबरन लगाए जा रहे हैं।

अधिकारी सरकार को बदनाम करने के लिए कर रहे षड्यंत्र

मार्केट कमेटी के उप चेयरमैन भारत भूषण अग्रवाल ने कहा कि कुछ अधिकारी मनोहर सरकार के खिलाफ षडयंत्र कर रहे हैं ताकि वो बदनाम हो सके। कांटा लगाए जाने का निर्णय 2010 में कांग्रेस सरकार के समय लिया गया था लेकिन अधिकारियों ने उसे नहीं लगवाया। अब वह मुख्यमंत्री से मिलकर सारे मामले को रखेंगे और कांटों की खरीद जांच की मांग करेंगे, लगाए जा रहे कांटों की कीमत बाजार की तुलना में काफी अधिक है।


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