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'स्वास्थ्य मंत्री के जिला अस्पताल में 'इमरजेंसी' में आपातकालीन सेवाएं

उमेश भार्गव, अंबाला शहर : स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जिला अस्पताल में बिना लैब के आपातकालीन स

By JagranEdited By: Published: Sun, 23 Apr 2017 11:30 PM (IST)Updated: Sun, 23 Apr 2017 11:30 PM (IST)
'स्वास्थ्य मंत्री के जिला अस्पताल में 'इमरजेंसी' में आपातकालीन सेवाएं
'स्वास्थ्य मंत्री के जिला अस्पताल में 'इमरजेंसी' में आपातकालीन सेवाएं

उमेश भार्गव, अंबाला शहर :

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स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जिला अस्पताल में बिना लैब के आपातकालीन सेवाएं चल रही हैं। यह हाल उस वक्त हैं जब शहर के ट्रामा सेंटर के लिए सात साल पहले छह लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति भी कर दी गई है। लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति तो हो गई लेकिन जिला नागरिक अस्पताल के ट्रामा सेंटर में लैब ही नहीं बन पाई। बहरहाल स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के गृहक्षेत्र के जिला अस्पताल में आपातकालीन सेवाएं खुद Þइमरजेंसी' में हैं। ट्रामा सेंटर में लैब नहीं होने के कारण मरीज लगातार दम तोड़ रहे हैं। जिन लैब टेक्नीशियन की नियुक्ति आपातकालीन सेवाओं के लिए की थी वह सामान्य लैब में काम कर खानापूर्ति कर रहे हैं।

दरअसल, प्रदेश के लगभग प्रत्येक ट्रामा सेंटर में आपातकालीन सेवाओं को देखते हुए वहां लैब बनाई गई थी। ताकि हादसे के बाद घायल व्यक्ति का तुरंत रक्त व यूरिन इत्यादि जांच कर तुरंत प्रभाव से उसका उपचार शुरू हो सके। लेकिन जिला अस्पताल में आपातकालीन सेवाएं लेने आने वाले मरीजों व उनके तीमारदारों को लैब नहीं होने के कारण तड़पना पड़ता है या दर-दर की ठोकरें खानी पड़ती हैं।

मरीजों को हो रही हैं दिक्कतें

प्रदेश सरकार ने अंबाला शहर के ट्रामा सेंटर के लिए सुरेंद्र, अमित, जसवंतमान, पूजा व ममता सहित कल छह लैब टेक्नीशियन को नियुक्त किया था। लैब वहां नहीं होने से दो साल में दो व्यक्तियों की मौत भी हो चुकी है। दरअसल, किसी भी हादसे में घायल व्यक्ति को तुरंत ट्रामा सेंटर पहुंचाया जाता है। यदि उसे रक्त चढ़ाना है तो खून जांच की जरूरत होती है। ट्रामा सेंटर से उसकी पर्ची बनाकर उसे सामान्य अस्पताल के कमरा नंबर 32 में भेज दिया जाता है। वहां दिन के समय तो जैसे-तैसे काम चल जाता है अकसर रात के समय या तो वहां लैब टेक्नीशियन मिलता ही नहीं, क्योंकि वह कई बार जच्चा-बच्चा वार्ड में गया होता है या किसी अन्य वार्ड में। कई बार वह सोया होता है। इस दौरान उसे ढूंढते-ढूंढते-ढूंढते मरीजों की तीमारदार या तो वापस लौट जाते हैं या मरीज ही दम तोड़ जाता है। यही स्थिति जहरीला पदार्थ निगलकर ट्रामा सेंटर में पहुंचे व्यक्ति की होती है। यही स्थिति अन्य घायलों जिनका उपचार करना है कि होती है। लैब नहीं होने के कारण करीब दो साल पहले एक व्यक्ति की इसीलिए मौत हो गई थी कि उसका शुगर समय पर जांच नहीं हो पाया था। पहले कमरा नंबर 32 में जांच कराया गया तो उसका शुगर बहुत ज्यादा था। उसे शुगर कम करने की दवा दी गई। कुछ ही देर में शुगर सामान्य से भी कम हो गया। इसी कशमकश में मरीज दम तोड़ गया। यदि ट्रामा सेंटर में लैब होती तो साथ की साथ शुगर चेक होता रहता।

सुरक्षा कर्मी दे रहे मरीजों को स्वास्थ्य सेवाएं

हालात यह हैं कि स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के जिला अस्पताल में सुरक्षा कर्मियों के भरोसे स्वास्थ्य सेवाएं चल रही हैं। मरीज के ग्लूकोज लगाने से लेकर उनका ईसीजी करने व उन्हें टीका लगाने तक का काम ठेके पर लग सुरक्षा कर्मी कर रहे हैं।

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फोटो संख्या: 19

हां यह एकदम सही है कि ट्रामा सेंटर में लैब होनी चाहिए। इस बारे में प्रयास भी चल रहे हैं। लेकिन सही स्थिति पीएमओ मेडम ही बात सकती हैं। मैं खुद इस बारे में उनसे बातचीत करूंगा कि आखिर वहां लैब बनाने में क्या दिक्कत आ रही है?

विनोद गुप्ता, सीएमओ।

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