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प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक के पाठ्य सामग्री की होगी जांच

जागरण संवाददाता, अंबाला : शिक्षा विभाग अंबाला मिशन एडमिशन के तहत प्राइवेट पब्लिशर्स की पाठ्य

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Apr 2017 12:45 AM (IST)Updated: Mon, 03 Apr 2017 12:45 AM (IST)
प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक के पाठ्य सामग्री की होगी जांच
प्राइवेट पब्लिशर्स की बुक के पाठ्य सामग्री की होगी जांच

जागरण संवाददाता, अंबाला : शिक्षा विभाग अंबाला मिशन एडमिशन के तहत प्राइवेट पब्लिशर्स की पाठ्य सामग्री की जांच डिस्ट्रिक इंस्टीट्यूट फॉर एजुकेशन और ट्रे¨नग (डाईट) मोहड़ा में कराने जा रहा है। जांच के दौरान यदि प्राइवेट पब्लिशर्स की पाठ्य सामग्री नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशन रिसर्च एंड ट्रे¨नग (एनसीईआरटी) की पाठ्य सामग्री से अलग पाई गई तो पब्लिशर्स पर प्रतिबंध लग सकता है। जांच के लिए शिक्षा विभाग ने ट्विन सिटी के प्राईवेट स्कूलों में लगाई जा रही है प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों के सैंपल भी ले लिए हैं।

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यह सैंपल एक कक्षा से लेकर 10वीं कक्षाओं तक पढ़ाई जाने वाली किताबों के हैं। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सीबीएसई बोर्ड की पाठ्य सामग्री भी एनसीआरटी की पाठ्य सामग्री पर आधारित होने चाहिए। बता दें कि प्रदेश में मिशन एडमिशन जोरों पर है और निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर है। दाखिला फीस के अलावा जिले भर में प्राइवेट स्कूल संचालकों व निजी बुक डिपो के बीच में मोटी कमीशन खोरी का खेल चल रहा है। जिस पर शिक्षा विभाग लगाम नहीं कस पा रहा है। अब आखिर में डीसी अंबाला ने इस मामले में संज्ञान लेते हुए एक संयुक्त टीम बनाई है और प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबों के असली रेट पर की गई टेंपर¨रग से लेकर उसकी पाठ्य सामग्री की जांच शुरू हो गई है। सेल टैक्स विभाग जहां किताबों के दामों पर जांच करेगा तो वहीं शिक्षा विभाग पाठ्य सामग्री की।

दाखिले के समय में ही खुली दुकानें

ट्विन सिटी में दाखिले के समय बहुत सी दुकान मोटी कमीशन के चक्कर में खुल चुकी हैं। यह दुकानें निजी स्कूल संचालकों की साठगांठ के साथ खोली गई है। अब यह कमीशन खोरी अभिभावकों की शिकायतें के चलते जिला प्रशासन के लिए सिरदर्द बनी हुई है क्योंकि स्कूली किताबें और पैन-पेंसिल टैक्स मुक्त होती है। इसीलिए शिक्षा विभाग के लिए कमीशन खोरी रोकना एक चुनौती है। कुछ बुद्धिजीवियों का कहना है कि शिक्षा विभाग के अधिकारियों के पब्लिशर्स से अपनी जांच शुरू करनी चाहिए। यदि पब्लिशर्स के दाम व बुक डिपो के दामों में भारी अंतर है तो यह बच्चों के अभिभावकों से एक तरह से धोखाधड़ी है। बुक डिपो किताबों के दामों में हेरफेर करती है और फिर उस पर डिस्काउंट और कमीशन खोरी का खेल खेलते हैं।

कोट्स

जांच कराई जा रही है

- ट्विन सिटी के बुक डिपो से जो प्राइवेट पब्लिशर्स की किताबें हमें मिली है उसकी जांच डाइट मोहड़ा में कराई जा रही है। डाइट में हमारे विषय एक्सपर्ट है। सीबीएसई की किताबें भी एनसीईआरटी पर आधारित होनी चाहिए। प्राइवेट पब्लिशर्स की किताब में पाठ्य सामग्री एनसीईआरटी पर आधारित नहीं पाई जाती है तो पब्लिशर्स पर प्रतिबंध लगाए जाने का भी प्रावधान है।


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