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कंप्यूटर ऑपरेटरों के बिना लकवाग्रस्त हुई तहसील

संवाद सहयोगी, नारायणगढ : कंप्यूटर ऑपरेटरों को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के बाहर का रास्ता दिखान

By Edited By: Published: Thu, 30 Jun 2016 01:00 AM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2016 01:00 AM (IST)

संवाद सहयोगी, नारायणगढ : कंप्यूटर ऑपरेटरों को बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के बाहर का रास्ता दिखाने के प्रशासन के फरमान ने नारायणगढ़ तहसील को लकवाग्रस्त कर दिया है। पिछले एक पखवाड़े से तहसील का कार्य बुरी तरह प्रभावित हो रहा है लेकिन प्रशासन को शायद लोगों की परेशानियों से जैसे कोई सरोकार ही नहीं। हालांकि इस बीच दस्तावेज व रेजीडेंस व जाति प्रमाणपत्र का कार्य तो फिर से शुरू हो गया लेकिन फर्द व मूटेशन आदि के कार्य न होने के चलते लोगों विशेषकर किसानों को परेशानी हो रही है।

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बता दें कि जिला प्रशासन ने पिछले कई वर्षो से उपमंडल में तैनात कंप्यूटर आपरेटरों को नौकरी से यह कहते हुए निकाल दिया था कि इन कर्मियों को टाइ¨पग टेस्ट और अन्य कारणों से नौकरी से बर्खास्त कर दिया था। अचानक लिए गए इस फैसले से लगभग एक सप्ताह तो नारायणगढ़ तहसील में दस्तावेज पंजीकरण व अन्य कार्य बुरी तरह प्रभावित रहा। मामला मीडिया व लोगों द्वारा उठाये जाने के बाद उच्चाधिकारियों व राज्यमंत्री के संज्ञान में भी पहुंचा था। मंत्री द्वारा हस्तक्षेप के बाद प्रशासन ने कुछ कर्मचारी भेजे जिससे दस्तावेज पंजीकरण का कार्य तो फिर से शुरू हो गया लेकिन अभी भी न तो लोगों को फर्द मिलनी शुरू हुई है और न ही मूटेशन हो रहे है।

उधर, दूसरी और नौकरी से निकाले गए कंप्यूटर कर्मियों का क्रमिक अनशन जिला मुख्यालय पर जारी है। नौकरी से निकाले गए ऑपरेटर संघ के जिला उपप्रधान र¨वद्र ¨सह ने बताया कि पिछले 8-9 वर्षो से कार्यरत इन कर्मियों के खिलाफ कोई भी शिकायत नहीं थी। वहीं अपने कार्य के लिए तहसील में आकर परेशानी झेलने वाले लोग भी प्रशासन के रवैये से हैरान-परेशान है। हसनपुर के नरेश कुमार का कहना है कि पिछले 1 सप्ताह से फर्द लेने के लिए चक्कर काट रहे है लेकिन कोई कर्मी नही है, समाजसेवी मुलखराज का कहना है कि प्रशासन की लापरवाही की हद हो गई बच्चे प्रमाणपत्रों के लिए चक्कर काट रहे है, फर्द मिल नहीं रही है। राजेश कुमार, मोहन लाल, बृजलाल, कमलेश आदि का कहना था कि उन्हें लोन का मूटेशन, विरासत का इंतकाल ऑनलाइन करवाना था लेकिन कई दिन से चक्कर काटने के बाद भी बात नहीं बन रही हैं।

तहसीलदार के पास है अंबाला का भी चार्ज

कोढ़ में खाज की कहावत यहां बिलकुल फिट बैठती है। एक तरफ जहां कम्पयूटर ऑपरेटरों की कमी से लोग बेहाल हैं वहीं नारायणगढ़ के तहसीलदार को अंबाला का भी चार्ज सौंपा गया है। इसके चलते वे आजकल अपनी स्थानीय ड्यूटी छोड़ अंबाला में ही डयूटी बजा रहे हैं। उधर, जब इस संदर्भ में नायब तहसीलदार के सरकारी मोबाइल पर सम्पर्क करना चाहा तो वह पहुंच से बाहर बताया गया।


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