'अंकल आप मेरी मम्मी के आंसू पोंछ सकते हो'
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ : विधायक अंकल क्या आप मेरी मम्मी के आसू पोंछ सकते है, यह सवाल स्थानीय विधायक
संवाद सहयोगी, नारायणगढ़ : विधायक अंकल क्या आप मेरी मम्मी के आसू पोंछ सकते है, यह सवाल स्थानीय विधायक से नौकरी से निकाली गई एक अतिथि अध्यापिका के एक किशोर ने जब पूछा तो विधायक निरूत्तर हो गए। यह वाकया रविवार को उस समय पेश आया जब स्थानीय विधायक नायब सैनी अपने कार्यालय के समक्ष अतिथि अध्यापकों द्वारा दिए गए धरना स्थल पर अध्यापकों से बातचीत करने के लिए पहुचे।
उधर अतिथि अध्यापकों द्वारा विधायक के कार्यालय के समक्ष दिया जा रहा धरना चौथे दिन में प्रवेश कर गया। रविवार को दिए गए धरने की सकारात्मक बात यह रही कि आखिरकार चार दिन बाद क्षेत्र के विधायक अध्यापकों के बीच आ पहुचे। यही नहीं अम्बाला के सासद रतन लाल कटारिया भी धरना स्थल पर अध्यापकों को आश्वास्त करने के लिए पहुचे लेकिन विधायक व सांसद के तर्क निकाले गए अध्यापकों के गले नहीं उतरे और दोनों नेताओं को अतिथि अध्यापकों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। अध्यापकों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की।
धरना स्थल पर पहुचे विधायक व सासद ने इस सारे घटनाक्रम के लिए पूर्ववर्ती सरकार को जिम्मेदार ठहराने का भरसक प्रयास किया लेकिन अध्यापकों के तर्क-वितर्क के आगे निरूत्तर नजर आए। हालाकि दोनों नेताओं ने इस गम्भीर मुददे पर मुख्यमंत्री से बात करने व कोई न कोई बीच का रास्ता निकालने की बात कही लेकिन वे आक्रोषित अतिथि अध्यापकों को शात करने में विफल नजर आए। नेताओं ने जब कहा कि यह नियुक्तिया हुडा सरकार के समय में की गई थी तो अध्यापकों ने उल्टे सवाल दाग दिया कि जब हमें पक्का नहीं किया जाना था तो भाजपा नेताओं ने चुनाव से पहले झूठे वायदे क्यों किए थे? यही नहीं विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोगों ने भी अतिथि अध्यापकों के इस संघर्ष को न्यायोचित ठहराते हुए उन्हे नौकरी पर बहाल करने की माग की।
धरना स्थल पर अतिथि अध्यापक संघ के प्रधान कुलदीप चौहान, बराड़ा से अशोक सैनी, सतीश सेठी, राजेश धीमान, हमीर सिंह, सुभाष धीमान, अजय वालिया, अमरनाथ, रोहित, राजेश बख्शी, सचिन धीमान, रणदीप सिंह, जगपाल सिंह, अरविन्द सैनी, हुसन भारद्वाज, अश्वनी कुमार, सन्दीप कुमार, कंवर पाल राणा, संजीव कुमार, विरेन्द्र धीमान सहित महिला अध्यापिकाएं अपने बच्चों सहित उपस्थित थी।