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Þमहादान' से सालाना निकल रहे 10 एचआइवी पॉजिटिव

उमेश भार्गव, अंबाला शहर Þमहादान' के बीच सालाना 10 से 15 एचआइवी पॉजिटिव निकल रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Jun 2017 03:00 AM (IST)Updated: Tue, 20 Jun 2017 03:00 AM (IST)
Þमहादान' से सालाना निकल रहे 10 एचआइवी पॉजिटिव
Þमहादान' से सालाना निकल रहे 10 एचआइवी पॉजिटिव

उमेश भार्गव, अंबाला शहर

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Þमहादान' के बीच सालाना 10 से 15 एचआइवी पॉजिटिव निकल रहे हैं। किसी ने अनजाने में रक्त दे दिया तो कुछ ने जानबूझकर संक्रमित रक्त देने का जानलेवा खेल खेला, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की जांच में यह केस भी पकड़ा गया। जिले की बात करें तो जुलाई 2016 से जून 2017 तक 72 रक्तदान शिविरों में 5178 यूनिट रक्त एकत्रित किया गया। इसमें 10 एचआइवी पॉजिटिव पाए गए। बड़ी बात यह है कि इस साल वर्ष 2017 में जनवरी से जून तक कुल 37 शिविर में 2041 यूनिट रक्त एकत्रित हुआ। इनमें से सात एचआइवी पॉजिटिव मिले। ¨जदगी को बचाने के लिए रक्त की बूंद-बूंद को जुटाने में जुटी समाजसेवी संस्थाओं के लिए भी इस तरह के केस चुनौती बन गए हैं। रक्तदाता कई ¨जदगी बचा चुके हैं लेकिन इस महादान पर भी अब दाग लग गया है।

दरअसल, जो महादाता शिविरों में पहुंच रहे हैं, उनमें से ज्यादातर अपनी बीमारी से बेखबर थे, जबकि कुछ ने जानने के बावजूद दूसरों को बीमारी बांटने का असफल प्रयास किया। हालांकि जिले में ऐसा कोई केस नहीं पाया गया, जिसने अपना पता और मोबाइल नंबर गलत लिखवाया हो।

इस तरह रक्तदान शिविर से मिले एचआइवी पॉजिटिव केस

माह का नाम कुल शिविर एकत्रित रक्त यूनिट एचआईवी पॉजिटिव

जुलाई 2016 03 279 00

अगस्त 06 541 00

सितंबर 08 633 01

अक्टूबर 07 280 00

नवंबर 03 182 00

दिसंबर 08 495 02

जनवरी 2017 06 301 00

फरवरी 09 426 00

मार्च 07 329 03

अप्रैल 05 368 02

मई 05 385 01

जून 05 232 01

सूचना देने के लिए फोन किया तो रक्तदाता बोला उसे तो पहले से ही है एचआइवी

करीब चार साल पहले एक ऐसा भी केस आया जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने रक्तदाता को फोन कर यह सूचना दी कि वह एचआइवी पाजिटिव है। इस पर रक्तदाता ने पहले से ही इस बीमारी से ग्रस्त होने की जानकारी होने की बात कही। इसके बावजूद उसने रक्त क्यों दिया, पूछने पर रक्तदाता ने कहा कि बीमारी की सही पुष्टि करने के लिए उसने रक्तदान शिविर में रक्त जानबूझकर दिया, लेकिन ऐसे केस में जरा सी चूक कई की ¨जदगी तबाह कर सकती है।

आटोक्लेव के बाद किया जाता है ऐसे खून को नष्ट : डॉ. भारती

ब्लड बैंक के इंचार्ज डॉ. विरेंद्र भारती ने बताया कि रक्तदान से पहले किसी भी व्यक्ति के खून की जांच करना संभव नहीं है। क्योंकि रक्त की जांच के लिए सबसे पहले एलाइजा टेस्ट किया जाता है। इसके लगाने-लगाने में चार घंटे का समय लग जाता है। ऐसे में रक्तदान के बाद हर यूनिट की जांच होती है। यदि एचआइवी पॉजिटिव केस मिलता है तो उसे रक्त को आटोक्लेव 120 पीसीआई पर 15 मिनट रखा जाता है। ऐसा करने से रक्त से वायरस मर जाते हैं। इसके बाद कूड़ा उठाने आने वाले कर्मी को बाकायदा हस्ताक्षर कराकर यह रक्त नष्ट करने के लिए दे दिया जाता है। एलाइजा टेस्ट भी 99 प्रतिशत ही सही रहता है। इसीलिए मरीज को आइसीटीसी सेंटर भेजा जाता है। जहां पर तीन अलग-अलग विधियों से उसके रक्त की जांच होती है। यदि दो में पुष्टि पाई जाए और एक टेस्ट में पुष्टि न पाए जाए तो वेस्टल ब्लाट और डीएनए पीसीआर कराया जाता है। इसमें पुष्टि हो जाती है।


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