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ऐसे बरकरार रखें अपना उत्साह

जिस प्रकार से पहले प्यार की अनुभूति जोश, रोमांच से परिपूर्ण होती है। उसी तरह से नई जॉब के साथ भी ऐसा ही अहसास होता है, पर वक्त के साथ यह अहसास ठंडा पड़ने लगता है। जॉब में ऐसा न हो इसके लिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। मुस्कराहट से शुरुआत कार्यस्थल

By Edited By: Published: Mon, 03 Mar 2014 11:56 AM (IST)Updated: Mon, 03 Mar 2014 11:56 AM (IST)

जिस प्रकार से पहले प्यार की अनुभूति जोश, रोमांच से परिपूर्ण होती है। उसी तरह से नई जॉब के साथ भी ऐसा ही अहसास होता है, पर वक्त के साथ यह अहसास ठंडा पड़ने लगता है। जॉब में ऐसा न हो इसके लिए आपको निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए।

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मुस्कराहट से शुरुआत

कार्यस्थल पर पहुंचने पर अपने दिन की शुरुआत मुस्कराते हुए करें। अपने मन में यह संकल्प करें कि मुझे आज के काम आज ही करने हैं। मुझे विश्वास है कि सफलता जरूर मिलेगी। जब मन में इस तरह का जज्बा होगा तो आपको आगे बढ़ने से कोई रोक नहीं सकता है।

प्राथमिकताओं का निर्धारण

जब कई काम करने हों, तब कार्र्यो का निस्तारण प्राथमिकता के आधार पर करें। कार्य करने से संबंधित एक सुव्यस्थित योजना आपके दिमाग में होनी चाहिए। कई कामों को एक साथ शुरू करने पर कोई भी कार्य समय पर पूरा नहीं होता।

स्वयं की सराहना

किसी परियोजना या कार्य को सफलतापूर्वक पूरा कर लेने के बाद दूसरे आपकी सराहना करें या न करें। आपको स्वयं को सराहना चाहिए। कारण, आपके परिश्रम व सूझबूझ से ही अमुक सफलता मिली है। इस सफलता का उत्सव अवश्य मनाएं।

संतुलन स्थापित करना

पारिवारिक जिम्मेदारियों और अपने कार्य के बीच एक समुचित संतुलन स्थापित करने का प्रयास करें। कहने का आशय यह है कि जिस प्रकार आपके ऑफिस की बैठक का अपना महत्व है। वैसे ही शाम को या रात में पति और बच्चों के साथ डिनर लेना या उनके बीच वक्त गुजारना महत्वपूर्ण है।

इमेज का ध्यान

यदि दफ्तर में आप मन लगाकर काम करती हैं तो आपकी इमेज परिश्रमी व सूझबूझ वाले कर्मी की बनेगी। इसका सबसे ज्यादा फायदा आपको ही होगा। कभी भूल से भी कोई आपकी आलोचना नहीं करेगा, न ही आपके बारे में कभी कोई निगटिव चर्चा कार्यालय परिसर में होगी।

समाधान पर जोर

कार्यक्षेत्र में कोई समस्या आने पर परेशान होने या किसी के सामने रोने-धोने से बेहतर है कि उस समस्या के समाधान पर विचार करें। मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि कार्य संबंधी कोई समस्या आने पर अपने मन में नकारात्मक या निराशावादी सोच न पनपने दें।

अगर कार्य हो अधिक

कार्यस्थल में कभी-कभी ऐसी स्थिति आ जाती है कि आप पर कार्य का अतिरिक्त बोझ पड़ जाता है। हालांकि यह स्थिति स्थायी नहीं होती। उदाहरणस्वरूप आपका कोई सहकर्मी बीमार पड़ गया है या उसके साथ कोई इमरजेंसी आ गई है तो आपको अतिरिक्त कार्य करना पड़ सकता है। इस दौरान अतिरिक्त कार्य करने से मुंह न मोड़ें। कारण, जब आप अतिरिक्त दायित्व पूरा करेंगी तो आपका आत्मविश्वास भी बढ़ेगा। साथ ही आपके सीनियर व बॉस भी आपकी कार्यक्षमता देखकर आपसे प्रभावित होंगे।

अपडेट रहें

अपने कार्यक्षेत्र से संबंधित जानकारी का दायरा बढ़ाएं। आप जिस जॉब में हैं, उसमें नया क्या हो रहा है या क्या परिवर्तन हो रहे हैं, इस बाबत सजग रहें। इससे आपको अपने कॅरियर में आगे बढ़ने में मदद मिलेगी।

संपर्क का दायरा बढ़ाएं

कार्यक्षेत्र से संबंधित लोगों के साथ संपर्क का दायरा बढ़ाएं। व्यावसायिक क्षेत्र में आपके जो मित्र हैं, उनसे तो मित्रता मजबूत करती ही रहें, इसके साथ ही मित्रों व शुभचिंतकों की संख्या में भी इजाफा करें। आज का युग संपर्को का युग है। हर सफल शख्स संपर्को की नेटवर्किग बनाकर चलता है। अपने व्यावसायिक संबंधों के दायरे को बढ़ाकर आप अपनी प्रोफेशनल इमेज में इजाफा करने में सफल रहेंगी। इससे आपके आत्मविश्वास में भी इजाफा होगा।

(दिनेश दीक्षित)

(कार्पोरेट ट्रेनर डॉ. लकी चतुर्वेदी से बातचीत पर आधारित)


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