हार्दिक राजद्रोह प्रकरण में हाईकोर्ट ने सरकार को जारी किया नोटिस
गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को हार्दिक पटेल के खिलाफ सूरत में पुलिस की ओर से दर्ज राष्ट्रद्रोह के एक मामले को रद्द करने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
सूरत। गुजरात हाई कोर्ट ने बुधवार को पाटीदार अथवा पटेल समुदाय को आरक्षण दिलाने की मांग को लेकर आंदोलन चला रहे संगठन पाटीदार अनामत आन्दोलन समिति के संयोजक हार्दिक पटेल के खिलाफ सूरत में पुलिस की ओर से दर्ज राष्ट्रद्रोह के एक मामले को रद्द करने के लिए दायर अर्जी पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया।
न्यायमूर्ति जे बी पारडीवाला की अदालत ने सरकार को नोटिस जारी कर पूछा कि हार्दिक के खिलाफ कैसे राजद्रोह का मामला बनता है। हार्दिक के वकील बी एम मंगुकिया ने अदालत में कहा कि यह मामला राजनीतिक विद्वेष के कारण दर्ज कराया गया है और इसे रद्द किया जाना चाहिए।
सरकार की ओर से सरकारी वकील मितेश अमीन अदालत में पेश हुए। अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 23 अक्टूबर तय कर दी। इस मामले में राजकोट से 19 अक्टूबर सूरत क्राईम ब्रांच ने उन्हें राजकोट से गिरफ्तार कर लिया था, जहां एक स्थानीय अदालत ने तिरंगे के कथित अपमान के एक अन्य मामले में उन्हें जमानत दे दी थी।
उप पुलिस कमिश्नर ने दर्ज कराया था हार्दिक के खिलाफ केस
हार्दिक के खिलाफ राष्ट्रद्रोह का मामला सूरत के उप पुलिस कमिश्नर मकरंद चौहान ने अमरोली पुलिस थाने में दर्ज कराया है। यह मामला गत तीन अक्टूबर को उनके द्वारा विपुल देसाई नाम के एक युवक को आत्महत्या करने की बजाय दो-चार पुलिसकर्मियों को मारने संबंधी विवादास्पद बयान देने के लिए दर्ज कराया गया है। इस युवक ने पटेल समुदाय के लोगों के लिए नौकरी और शिक्षा में आरक्षण की मांग के समर्थन में आत्महत्या करने की धमकी दी थी। हार्दिक के इस विवादास्पद सलाह का वीडियो सार्वजनिक हो गया था।