जयराम रमेश ने कहा, नोटबंदी से अर्थव्यवस्था का विनाश
पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि नोटबंदी करके सरकार ने अर्थव्यवस्था का विनाश कर दिया।
राज्य ब्यूरो, अहमदाबाद। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीन साल होने पर कांग्रेस ने सरकार की विफलताएं गिनाई हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा है कि देश में रोजगार का अकाल है। नोटबंदी करके सरकार ने अर्थव्यवस्था का विनाश कर दिया। किसान, श्रमिक और लघु उद्यमियों की हालत खराब है। लेकिन सरकार घरेलू निवेश के बजाय विदेशी निवेश के पीछे दौड़ लगा रही है।
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जयराम रमेश का कहना है कि मोदी सरकार के दावे झूठे और हकीकत से दूर हैं। लोकतंत्र की शहनाई पर एकतंत्र की तोप चलाई जा रही है।
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कांग्रेस की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में जयराम ने कहा कि केंद्र सरकार अधिकतम प्रचार न्यूनतम विचार के फार्मूले पर चल रही है। प्रधानमंत्री मोदी चुनाव से पहले हर साल दो करोड़ को रोजगार देने का वादा कर रहे थे। लेकिन केंद्र सरकार के श्रम विभाग के अनुसार, 2015-16 में महज साढ़े तीन लाख लोगों को ही रोजगार दे पाए।
जयराम ने कहा कि मोदी कांग्रेस की योजनाओं को ही नाम बदल कर चला रहे हैं। संप्रग सरकार की मनरेगा योजना, फसल बीमा योजना और जीएसटी आदि का विरोध करने वाली भाजपा अब इन्हीं योजनाओं को बढ़ा-चढ़ा कर लागू कर रही है। देश की विकास दर और निवेश दर आठ साल में सबसे न्यूनतम स्तर पर है। नोटबंदी के बाद सरकार यह नहीं बता पा रही है कि साढ़े पंद्रह लाख करोड़ की करेंसी में से कितने नोट वापस आए।
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जयराम ने कहा कि विदेशी निवेश कभी भी देश के विकास का इंजन नहीं हो सकता है। सरकार को उद्योग, मैन्यूफैक्चरिंग और लघु उद्योगों की सेहत सुधारने के लिए घरेलू निवेश पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार संप्रग सरकार की तुलना में किसान और श्रमिकों का कोई भला नहीं कर पाई। संप्रग सरकार ने 25 करोड़ खाते खोले थे। मोदी सरकार अब उसका नाम बदलकर 29 करोड़ खाते खोलने का दावा कर रही है।
दाल में घोटाले का आरोप जयराम ने विदेश से आयात किए गए 50 लाख टन दाल के मुद्दे पर कहा कि देश में दाल की बंपर उपज हुई। इसके बावजूद 50 रुपये किलो के दाम से दाल आयात कर बाजार में 200 रुपये किलो के भाव में बेचकर सरकार ने बड़ा घोटाला किया है। कृषि सुधार संबंधी योजनाएं ठंडे बस्ते में चली गईं। संप्रग सरकार के समय कृषि विकास दर 3.5 फीसद थी, जो अब 1.7 फीसद रह गई है।