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दंगे के पीछे साजिश से कोर्ट का इनकार, गुलबर्ग दंगा मामले में 24 दोषी, 36 बरी

बहुचर्चित गुलबर्ग सोसायटी दंगा मामले में विशेष अदालत ने 66 आरोपियों में से 24 को दोषी माना जबकि 36 को सबूतों के अभाव में निर्दोष छोड दिया। 11 दोषियों को हत्‍या का दोषी पाया गया, सजा पर फैसला 6 जून को होगा।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 03 Jun 2016 05:53 AM (IST)Updated: Fri, 03 Jun 2016 06:00 AM (IST)

अहमदाबाद [शत्रुघ्न शर्मा ]। बहुचर्चित गुलबर्ग सोसायटी दंगा मामले में विशेष अदालत ने 66 आरोपियों में से 24 को दोषी माना जबकि 36 को सबूतों के अभाव में निर्दोष छोड दिया। गुलबर्ग में पूर्व सांसद अहसान जाफरी समेत 69 लोगों की हत्या की गई थी। 11 दोषियों को हत्या का दोषी पाया गया, सजा पर फैसला 6 जून को होगा।

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अहमदाबाद के गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड मामले में विशेष अदालत के जज पी बी देसाई ने करीब 14 साल बाद फैसला सुनाते हुए इस घटना को सोची समझी साजिश होने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने सबूतों के अभाव में 36 आरोपियों को बरी कर दिया वहीं 24 को दोषी ठहराया है। दोषियों में से 11 के खिलाफ आईपीसी की धारा 302 मानय रखी गई है, इन दोषियों को फांसी या आजीवन कारावास तक की सजा तय मानी जा रही है। फरवरी 2002 को गोधरा कांड के बाद अहमदाबाद समेत गुजरात भर में फैले सांप्रदायिक दंगों के साथ अहमदाबाद के मेघाणी नगर में गुलबर्ग सोसायटी में दंगाईयों ने आगजनी कर इस हत्याकांड को अंजाम दिया था। हत्याकांड में कांग्रेस के पूर्व सांसद अहसान जाफरी सहित 69 लोगों को मार डाला गया था। एसआईटी के वकील ने कहा है कि दोषियों के लिए वे फांसी की सजा की मांग करेंगे। दोषी पाया गया कैलाश घोबी अभी भी फरार है, अदालत ने उसे भगौडा घोषित कर रखा है।

दोषी लेकिन साजिश के आरोप नकारे

विहिप नेता अतुल वैद्य, कांग्रेस के पूर्व सांसद मेघसिंह चौधरी, कैलाश धोबी, दिलीप उर्फ कालू, जयेश कुमार, योगेंद्र सिंह, योगेंद्र शेखावत, नारण, क्रष्ण कुमार, लखनसिंह चूडास्मा, भरत शीतल, प्रसाद, भरत राजपूत, दिनेश शर्मा, गब्बर सिंह सहित 24 दोषी पाए गए लेकिन हत्याकांड के लिए साजिश करने का आरोप किसी पर भी साबित नहीं हो सका।

पीआई ऐरडा सहित 36 बरी

अदालत ने सबूतों के अभाव में 36 आरोपियों को बरी कर दिया जिनमें हत्या कांड के मुख्य आरोपी असारवा से भाजपा पार्षद बिपिन पटेल, मंगाजी मारवाडी, जयेश पटणी, किशोर पटणी तथा जांच अधिकारी पुलिस निरीक्षक के जी ऐरडा आदि शामिल हैं। तमाम आरोपियों पर से अदालत ने आईपीसी की धारा 120 बी हटा ली तथा साजिश के तहत घटना को अंजाम देने के आरोपों को खारिज कर दिया।

पीएम मोदी को पहले ही मिली कलीन चिट

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दंगा मामलों की जांच कर रही स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम ने गुलबर्ग कांड में कोई रोल नहीं पाते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अप्रेल 2012 में ही क्लीन चिट दे दी थी।

अदालत के फैसले का अध्ययन करने के बाद अपील पर फैसला होगा, एसआईटी ने सभी सबूत कोर्ट के समक्ष पेश किए। निर्दोष छूटे लोगों को संदेह का लाभ मिला है। अदालत शंका के आधार पर निर्दोष छोडती है। टीम ने सबूत व गवाहों के आधार पर रिपोर्ट तैयार की थी।

आर के राघवन - एसआईटी प्रमुख व सीबीआई के पूर्व निदेशक

जिन लोगों को सजा हुई उससे खुश हैं लेकिन फैसले पर अफसोस हुआ, 36 लोगों को निर्दोष छोडा गया है। कोर्ट का फैसला सही नहीं आया, उम्मीद थी उस तरह का न्याय नहीं मिला। वकीलों से सलाह कर आगे की लडाई पर विचार करुंगी।

जकिया जाफरी दंगों में मारे गए पूर्व सांसद जावेद जाफरी की पत्नी

मरने से पहले जाफरी साहब ने बचाने की गुहार लगाई थी, सीएम व पीएम को इस घटना की खबर ही नहीं पडी जबकि लोग एकत्र होकर पूर्व सांसद सहित दर्जनों लोगों को मार रहे थे।

तनवीर जाफरी, म्रतक अहसान जाफरी के पुत्र

देरी से मिला न्याय, न्याय नहीं कहा जा सकता। सत्ता पाने के लिए यह साजिश रची गई थी, इस हत्याकांड को भूला नहीं जा सकता। गुलबर्ग हत्याकांड में रक्षक ही भक्षक बन गए थे।

शंकर सिंह वाघेला - नेता विपक्ष

गुजरात की सत्ता हासिल करने के लिए 2002 में दंगों की साजिश रची गई थी, साजिश रचने वाले दिल्ली में हैं, जांच टीम सबूत व तथ्यों को सही ढंग से अदालत के समक्ष पेश नहीं कर सकी। गुजरात पुलिस ने पहले ही जांच में मामले को कमजोर कर दिया था।

शक्तिसिंह गोहिल - विधायक व कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता


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