रोनाल्डो नहीं, चला मेसी मैजिक
यह मुकाबला इस लोकप्रियता और चर्चा की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा भी उतरा।
(तरुण गुप्ता), नई दिल्ली। रीयल मैड्रिड का प्रतिष्ठित घरेलू मैदान सैंटियागो बर्नाब्यू रविवार रात को एक और ऐतिहासिक फुटबॉल मुकाबले का गवाह बना। मेजबान टीम के सामने थी उनकी चिर-प्रतिद्वंद्वी टीम बार्सिलोना। मेहमान टीम ने मेजबान पर रोमांचक मुकाबले में 3-2 से जीत दर्ज की। दोनों के बीच होने वाले मुकाबलों को एल क्लासिको कहा जाता है, जो हमेशा से ही लोकप्रिय और चर्चित रहा है। यह मुकाबला इस लोकप्रियता और चर्चा की उम्मीदों पर पूरी तरह खरा भी उतरा।
फुटबॉल जैसे खेल को देखने में तब और ज्यादा मजा आता है जब दोनों टीमें बराबरी की हों। मुकाबला और दिलचस्प तब हो जाता है जब दोनों टीमों में दुनिया के दो सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हों। पिछले सात-आठ वर्षो में एल क्लासिको की कहानी भी कुछ ऐसी ही रही है। रीयल मैड्रिड में क्रिस्टियानो रोनाल्डो और बार्सिलोना में लियोन मेसी के होने से इस मुकाबले को दो टीमों में नहीं, दो खिलाडि़यों के बीच देखा जाता है। यह दोनों मिलाकर नौ बैलन डिओर खिताब अपने नाम कर चुके हैं। अर्जेटीनी स्टार मेसी रिकॉर्ड पांच तो पुर्तगाल के रोनाल्डो चार बार फीफा के इस प्रतिष्ठित खिताब को अपने नाम कर चुके हैं।
फुटबॉल प्रेमियों के लिए इन दोनों को देखना हमेशा से ही रोमांच का दूसरा नाम रहा है। अगर यह दोनों अलग-अलग दौर में खेले होते तो शायद ये सवाल नहीं पूछा जाता कि आखिर इनमें से दुनिया का सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलर कौन है। यह अपने आप में एक करिश्माई संयोग है कि यह दोनों धुरंधर एक ही युग का हिस्सा हैं। हालांकि, रविवार रात इनमें से कद का छोटा खिलाड़ी (मेसी) बड़ा साबित हुआ। वह मैदान पर एक बादशाह की तरह दौड़ते नजर आए। मेसी द्वारा किए गए दो गोल में से पहला गोल उनकी पहचान के अनुरूप था। थोड़ी बहुत चहलकदमी और वह रीयल मैड्रिड की रक्षा पंक्ति को भेदते हुए गोलकीपर केलर नवास को छकाने में सफल रहे। शायद यह काफी नहीं था क्योंकि जब स्कोर बराबरी पर था, इंजुरी टाइम का भी अहम समय निकल गया था, तभी अंतिम कुछ सेकेंड में मेसी ने दायें पोस्ट पर एक बेहतरीन गोल करके अपनी टीम को जीत दिलाई और अपनी बादशाहत भी साबित की।
यह बहस कि आखिर दोनों में सर्वश्रेष्ठ कौन है, जारी रहेगी लेकिन मेसी ने अपने फैंस को कुछ वजह तो दे ही दी कि वे उनके नाम का दावा कर सकें। चैंपियंस लीग क्वार्टर फाइनल्स में जुवेंटस के खिलाफ जिस अंदाज में बार्सिलोना टूर्नामेंट से बाहर हुआ, उसके बाद पिछली रात की जीत उनके लिए राहत वाली रही। संघर्षपूर्ण 92 मिनट तक चले इस मुकाबले में मेसी ने सीजन का 47वां और क्लब करियर का 500वां गोल करके आंकड़ों में भी अपना नाम शानदार अंदाज में फिर दर्ज कराया। यह बेशक उनका सबसे पसंदीदा प्रदर्शन न हो, लेकिन उनके जश्न को देखकर इसे सबसे पसंदीदा प्रदर्शनों में से एक जरूर कहा जा सकता है।
मैं मेसी को समर्पित इस लेख को यहीं समाप्त करना चाहता था लेकिन मैच के बाद उनके जश्न का उल्लेख किए बिना नहीं रह सकता। जिस अंदाज में गोल के बाद स्टैंड्स पर जाकर उन्होंने अपनी जर्सी रीयल के फैंस के आगे लहराई उसने उनके अलग रूप को भी फिर चर्चा में ला दिया (इसके लिए उन्हें पीला कार्ड भी मिला)। कुछ ही हफ्तों पहले अंतरराष्ट्रीय मैच के दौरान भी कुछ ऐसा ही हुआ था जिसके लिए उन्हें तीन मैचों (अर्जेटीना की तरफ से) का प्रतिबंध भी झेलना पड़ा था। उस मैच के दौरान उन्होंने मैच रेफरी को कुछ अपशब्द कहे थे। मेसी को व्यवहार के मामले में एक समय तक खेल जगत के अंदर स्विट्जरलैंड के टेनिस खिलाड़ी रोजर फेडरर और दिग्गज क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर किस्म के खिलाडि़यों के बीच रखकर आंका जाता था। क्या बाजारवाद और प्रदर्शन के दबाव ने उनके इस रूप में तब्दीली की? खैर, कुछ भी हो, उनकी कला और प्रतिभा सभी चीजों को धूमिल करती है। उम्मीद करता हूं कि खेल और मानवता के प्रेम में इस खेल का सबसे महान दूत कहीं भी न हारे।