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खुदरा निवेशकों में बढ़ रही परिपक्‍वता

आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल एएमसी के सीइओ ने खुदरा निवेशकों के निवेश अनुभवों को देखते हुए उनके मैच्‍योर होने की बात कही है।

By Monika minalEdited By: Published: Mon, 05 Sep 2016 12:40 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2016 11:28 AM (IST)
खुदरा निवेशकों में बढ़ रही परिपक्‍वता

आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल एएमसी देश की सबसे बड़ी असेट मैनेजमेंट कंपनी बन गई है। अब तक का सफर कैसा रहा?

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-इस पूरे सफर में हमने कई सबक सीखे। एक बात जो शुरू से ही समझ में आई वह यह कि अगर प्रोडक्ट निवेशक के लिए फायदेमंद है और पारदर्शी है तो यह निश्चित है कि समय के साथ इंडस्ट्री का विकास होना ही है। इसलिए फंड मैनेज करने वाली जो कंपनी निवेशकों का पैसा कायदे से मैनेज करती है तो उसे अधिक निवेश मिलना तय है। दूसरा सबक हमने निवेशकों के साथ बातचीत कर उनके निवेश अनुभवों से जाना। यह अनुभव हमारे लिए आने वाले वर्षों की रणनीति बनाने में मददगार साबित होता है। इसी रुख के चलते हम सरल, प्रभावी और सक्रिय प्रोडक्ट बनाने में सक्षम रहे हैं। ये ऐसे प्रोडक्ट हैं जो निवेशकों को जोखिम समायोजित करने के बाद रिटर्न प्रदान करते हैं। उद्योग की रफ्तार बढ़ाने में जानकार डिस्ट्रीब्यूटर्स की भी बड़ी भूमिका है। इसलिए निवेशकों, डिस्ट्रीब्यूटर और एएमसी को संतुष्ट करने के लिए जरूरी है कि डिस्ट्रीब्यूटर को उसकी मेहनत का उचित मुआवजा मिले। इतने वर्षों में हमने यह भी समझा कि निवेशक अपने निवेश को कम होते हुए नहीं देखना चाहता। उसे हमेशा बेहतर रिटर्न की तलाश रहती है। अंतिम बात यह है कि यूनीफॉर्म केवाइसी के जरिये निवेश की प्रक्रिया को सरल बनाने की चुनौती है। अब इस लक्ष्य की प्राप्ति की तरफ प्रयास किए जा रहे हैं।

जिस तरह से निवेशक आज इक्विटी में निवेश कर रहे हैं उससे क्या लगता है कि खुदरा निवेशक अब परिपक्व हो गए हैं?

-रिटेल इंवेस्टर के निवेश करने के अंदाज को देखें तो बीते वर्षों के मुकाबले इसमें काफी सुधार दिखाई देता है। पिछले कुछ समय से खुदरा निवेशक ने म्यूचुअल फंडों की एसआइपी स्कीमों के जरिये इक्विटी बाजार में प्रवेश करना शुरू किया है। इसका स्वागत किया जाना चाहिए। उद्योग के नजरिए से देखें तो एसआइपी के जरिये होने वाले निवेश की मात्रा मार्च, 2015 के 1800 करोड़ रुपये मासिक से बढ़कर आज की तारीख में 3000 करोड़ रुपये मासिक पर पहुंच गई है। दूसरा महत्वपूर्ण बदलाव निवेशकों के रुख में देखा गया है। एक समय था, निवेशक बाजार में तब प्रवेश करता था जब इसमें तेजी होती थी और करेक्शन के वक्त बेच देता था। इसके चलते उसका अनुभव हमेशा बाजार के प्रति नकारात्मक रहता था। लेकिन पिछले एक वर्ष में निवेशकों के इस रुख में उल्लेखनीय बदलाव आया है। आज निवेश बनाए रखो के मंत्र को निवेशक जपने लगा है। बाजार के उतार-चढ़ाव से वह दूर रहता है। यह बदलाव निवेशकों में जागरूकता बनाने की कोशिशों के चलते हुआ और इसमें उद्योग, मीडिया और डिस्ट्रीब्यूटरों ने अहम भूमिका निभाई।

किसी म्यूचुअल फंड स्कीम का चयन करते वक्त रिटेल निवेशक को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

-आजकल रिटेल निवेशकों के लिए निवेश के अनेकों विकल्प उपलब्ध हैं। लेकिन फंड का चयन करते वक्त इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि वह आपकी रिस्क प्रोफाइल के अनुरूप हो। यानी आप निवेश में कितना जोखिम उठा सकते हैं, उसका ध्यान उस स्कीम में रखा गया हो। दीर्घकालिक निवेश के लिहाज से किए गए असेट अलोकेशन में आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि फंड के निवेश प्लान में कितनी विविधता है। यानी फंड का ज्यादातर हिस्सा किसी एक सेक्टर में निवेशित न हो, यह किसी भी म्यूचुअल फंड में निवेश से पहले देखना आवश्यक है। इसके बाद बारी आती है कि वह फंड जिसमें आप निवेश करने जा रहे हैं, बीते सालों में कैसा प्रदर्शन करता रहा है। यह देखना भी जरूरी है कि उसके प्रदर्शन में कितनी निरंतरता है। उसका ट्रैक रिकॉर्ड कैसा है और बाजार में उसकी साख कैसी है।

बांड बाजार पर आपकी क्या राय है? क्या निवेशकों को डेट फंड का चयन करना चाहिए?

-मूल रूप से चार बिंदु भारतीय बांड बाजार को आकर्षक बनाते हैं। पहला चालू खाता घाटे का बेहतर प्रबंधन, ग्लोबल स्तर पर कमोडिटी की कीमतों में नरमी, सकारात्मक क्रेडिट ग्रोथ और महंगाई को न बढ़ाने वाली सरकारी नीतियां। ऐसे वक्त में जब दुनिया के विकसित देशों में ब्याज दरें निचले स्तर पर बनी हुई हैं इसलिए रिजर्व बैंक को भी इसके अनुरूप नीतियां बनानी होंगी।

- निमेष शाह, एमडी एंड सीईओ, आइसीआइसीआइ प्रूडेंशियल एएमस


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