कोई भी यदि सभी एकादशी व्रत करता है तो उसकी मनोकामनाये शीघ्र ही पूरी होती है
प्रत्येक मास में दो एकादशी तिथि होती है एक शुक्ल पक्ष का और दूसरा कृष्ण पक्ष का। एकादशी व्रत का सम्बन्ध भगवान् विष्णु से होता है। 2017 के एकादशी उपवास व्रत तिथि ।
भारतीय हिन्दू संस्कृति में विष्णु भक्त अपने मनोकामनाये पूर्ण करने के लिए प्रत्येक महीना के 11 वीं तिथि को एकादशी व्रत करते हैं। प्रत्येक मास में दो एकादशी तिथि होती है एक शुक्ल पक्ष का और दूसरा कृष्ण पक्ष का। एकादशी व्रत का सम्बन्ध भगवान् विष्णु से होता है।
भगवान् विष्णु अपने भक्तो को उनकी इच्छानुसार वरदान देने के लिए एकादशी तिथि को पवित्र माने है कहा जाता है कि कोई भी भक्त यदि सभी एकादशी व्रत पुरे विधि विधान से करता है तो उसकी मनोकामनाये शीघ्र ही पूरी होती है यही नहीं उसके मुखारविंद से निकली प्रत्येक बात सत्य साबित होती है। एकादशी के दिन मुख्य रूप से उपवास रखा जाता है।
एकादशी उपवास व्रत तिथि 2017
8 जनवरी, रविवार, पौष पुत्रदा एकादशी,शुक्ल पक्ष
23, जनवरी, सोमवार, षटतिला एकादशी, कृष्ण पक्ष
फरवरी 2017
7 फरवरी, मंगलवार,जया एकादशी, शुक्ल पक्ष
22 फरवरी, बुधवार, विजय एकादशी, कृष्ण पक्ष
मार्च 2017
8 मार्च , बुधवार,आमलकी एकादशी, शुक्ल पक्ष
24 मार्च. शुक्रवार, पापमोचनी एकादशी, कृष्ण पक्ष
अप्रैल 2017
7 अप्रैल, शुक्रवार, कामदा एकादशी, शुक्ल पक्ष
22 अप्रैल, शनिवार, वरुथिनी एकादशी, कृष्ण पक्ष
मई 2017
6 मई, शनिवार, मोहिनी एकादशी, शुक्ल पक्ष
22 मई, सोमवार , अपरा एकादशी, कृष्ण पक्ष
जून 2017
5 जून, सोमवार, निर्जला एकादशी, शुक्ल पक्ष
20 जून, मंगलवार, योगिनी एकादशी,कृष्ण पक्ष
जुलाई 2017
4 जुलाई, मंगलवार, देवशयनी एकादशी, शुक्ल पक्ष
19जुलाई, बुधवार,कामिका एकादशी, कृष्ण पक्ष
अगस्त 2017
3 अगस्त, बृहस्पतिवार, श्रावण पुत्रदा एकादशी, शुक्ल पक्ष
18 अगस्त, मंगलवार, अजा एकादशी, कृष्ण पक्ष
सितंबर 2017
2 सितम्बर, शनिवार, परिवर्तिनी एकादशी शुक्ल पक्ष
16 सितम्बर शनिवार इंदिरा एकादशी कृष्ण पक्ष
अक्टूबर 2017
1 अक्टूबर रविवार पापांकुशा एकादशी शुक्ल पक्ष
15 अक्टूबर रविवार रमा एकादशी कृष्ण पक्ष
31 अक्टूबर मंगलवार देवुत्थान एकादशी शुक्ल पक्ष
नवम्बर 2017
14 नवम्बर मंगलवार उत्पन्ना एकादशी कृष्ण पक्ष
30 नवम्बर बृहस्पतिवार मोक्षदा एकादशी शुक्ल पक्ष
दिसम्बर 2017
13 दिसम्बर बुधवार सफला एकादशी कृष्ण पक्ष
29 दिसम्बर मंगलवार पौष पुत्रदा एकादशी शुक्ल पक्ष
एकादशी व्रत विधि
जो भक्त एकादशी का व्रत करता है उसे एकादशी व्रत के दिन सुबह सूर्योदय से पहले उठकर नित्य क्रिया से निवृत्त होकर सबसे पहले स्नान कर लेना चाहिए। यदि आपके पास गंगाजल है तो पानी में गंगाजल डालकर नहा लेना चाहिए। स्नान करने के लिए कुश और तिल के लेप का प्रयोग करना उत्तम माना गया है। नहाने के बाद शुद्ध वा साफ कपड़ा पहनकर विधिवत भगवान श्री विष्णु जी की पूजा अर्चना करनी चाहिए।
भगवान् विष्णु जी की फोटो के सामने दीप जलाकर व्रत का संकल्प लेने के बाद कलश की स्थापना करें। कलश को लाल वस्त्र से बांध कर उसकी पूजा करें। उसके बाद भगवान की प्रतिमा रखनी रखें, प्रतिमा को स्नानादि से शुद्ध करके नया वस्त्र पहना दे। पुनः धूप, दीप से आरती करनी चाहिए और नैवेध तथा फलों का भोग लगाना चाहिए। उसके बाद प्रसाद का वितरण करे तथा ब्राह्मणों को भोजन तथा दान-दक्षिणा अवश्य देनी चाहिए। रात में भगवान का भजन कीर्तन भी करना चाहिए। दूसरे दिन ब्राह्मण भोजन करने के बाद खाना खाना चाहिए।
एकादशी का व्रत बिलकुल ही शुद्ध मन से करना चाहिए। उस दिन अपने मन में व्रत के प्रति किसी प्रकार का शंका या पाप विचार नहीं लाना चाहिए। इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए। व्रती को पूरे दिन निराहार रहना चाहिए तथा शाम में संध्या पूजा के बाद फलाहार करना चाहिए।