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फैशन के ताने-बाने में महिला शक्ति

जब फैशन में महिला सशक्तिकरण को सेलिब्रेट किया जाता है। परिधानों में वुमन पावर का ताना-बाना बुना जाता है। नारी को अपनी इच्छा से जीवन जीने का संदेश दिया जाता है। कंफर्ट और स्टाइल से आकर्षक बनने के लिए कहा जाता है तो

By ChandanEdited By: Published: Mon, 10 Nov 2014 09:25 AM (IST)Updated: Mon, 10 Nov 2014 10:29 AM (IST)
फैशन के ताने-बाने में महिला शक्ति
फैशन के ताने-बाने में महिला शक्ति

जब फैशन में महिला सशक्तिकरण को सेलिब्रेट किया जाता है। परिधानों में वुमन पावर का ताना-बाना बुना जाता है। नारी को अपनी इच्छा से जीवन जीने का संदेश दिया जाता है। कंफर्ट और स्टाइल से आकर्षक बनने के लिए कहा जाता है तो फैशन केवल सजने-संवरने तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका अनंत तक विस्तार हो जाता है। इसमें कहानियां गढ़ी जाती हैं। सामाजिक सरोकारों के प्रति चिंता व्यक्त की जाती है। डिजाइनर्स अपनी सोच को प्रेरणा बनाते हैं और परिधानों पर कढ़ाई, प्रिंट और स्टाइल के जरिए एक अनोखी थीम रैंप पर रखते हैं। अपने सेट और मॉडल्स के लुक द्वारा घरेलू और पारंपरिक कलाओं को अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले आते हैं। हाल ही में संपन्न हुए विल्स लाइफस्टाइल इंडिया फैशन वीक स्प्रिंग-समर 2015 में भी भारतीय फैशन का स्वरूप लगातार परिपक्व होता नजर आया।

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सेलिब्रेशन वुमन पावर का

हर महिला शक्ति का स्वरूप होती है। वह जानती है कि अपने लक्ष्य की ओर कदम किस प्रकार बढ़ाने हैं। राह में लाख मुश्किलें आएं, चाहे चुनौतियां मुंह बाए खड़ी रहें, लेकिन वह घबराती नहीं। आत्मविश्वास के साथ बाधाएं पार करती है और विजयी होकर सामने आती है। अपनी जड़ों को बेहतर तरीके से पहचानते हुए आसमान छूने की कोशिश करती है।

कुछ इस तरह का मानना है फैशन डिजाइनर पूनम दुबे का। पूनम अपने कलेक्शन को शक्ति टाइटल के साथ लेकर आईं। देवी दुर्गा से प्रेरित उनके कलेक्शन में गोल्ड, सिल्वर और रेड का भरपूर प्रयोग किया गया। उन्होंने पश्चिम बंगाल और असम की पारंपरिक कलाओं से अपने परिधान तैयार किए। डिजाइनर कनिका सलूजा ने अपने कलेक्शन में औरतों को अपनी मनमर्जी से जीवन जीने की आजादी दिए जाने की आकांक्षा व्यक्त की। मिरर और मेटल वर्क वाले उनके खूबसूरत परिधान उस अल्फा वुमन के लिए थे, जो आत्मनिर्भर, मजबूत और विश्वास से लबालब है। अपने कलेक्शन के बारे में कनिका ने बताया, भारत वह देश है जहां कामसूत्र जैसे ग्रंथ की रचना हुई, लेकिन यह विडंबना है कि आज यहां स्त्री की सेक्सुअलिटी जंजीरों में जकड़ी हुई है। इसे पाप समझा जाता है, जबकि जीवन की शुरुआत इसी से होती है। मैंने अपने कलेक्शन के जरिये स्त्री की इस जीवनदायिनी शक्ति को खुला आसमान देने की कोशिश की है।

टेक्नीक इन फैशन

सोशल मीडिया और तकनीक के बढ़ते प्रभाव का असर फैशन इंडस्ट्री पर भी साफ नजर आ रहा है। जहां परिधानों को डिजाइन करने में नई-नई तकनीक इस्तेमाल की जा रही हैं, वहीं इन डिजाइंस को लोकप्रिय बनाने के लिए भी तकनीक की मदद लेने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। इस बार फैशन वीक में पहली बार ड्रोन की मदद से एरियल शॉट लिए गए। 360 डिग्री सेल्फी बूथ जैसी तकनीक भी आकर्षण का केंद्र रही। इसके जरिये फैशन प्रेमियों ने सभी कोणों से अपनी फोटो खिंचवाकर सोशल साइट्स पर अपलोड कीं। फैशन डिजाइनर जोड़ी पारस-शालिनी ने अपने शो में तकनीक का जबर्दस्त तड़का लगाया।

इन्होंने फॉसिल्स में नजर आने वाले सूखे फूलों की छवि को अपने परिधानों में बॉटैनिकल फ्लोरल एप्लीक वर्क के माध्यम से दर्शाया। फैशन इंडस्ट्री जहां हर दिन हाईटेक हो रही है, वहीं खालिस इंडियन टेक्निक्स के साथ भी नए प्रयोग किए जा रहे हैं।

डिजाइनर अत्सु ने क्विल्टिंग तकनीक से बने परिधानों का प्रदर्शन किया। इस तकनीक में रजाई की तरह परिधानों में फोम का बेस लगाकर उनमें क्रॉस स्टिच सिलाई की जाती है। उनके फैब्रिक में आकर्षक कटआउट बनाने वाली ऑरिगैमी तकनीक का इस्तेमाल भी नजर आया। इसी प्रकार मथुरा की पेपर कटिंग कला सांझी जब क्रिएटिव अंदाज में रैंप पर सामने आई तो लगा जैसे इंडियन टेक्निक्स का कोई सानी नहीं है। डिजाइनर जोड़ी हेमंत-नंदिता के शो में भी तकनीक का रचनात्मक इस्तेमाल नजर आया। इनके शो में मॉडल्स ने क्रॉस स्टिच कढ़ाई को प्रिंट्स के रूप में दर्शाया।

फूल खिले गुलशन-गुलशन

फैशन का जिक्र हो और फूलों की बात न हो, क्या ऐसा कभी हो सकता है? रंग-बिरंगे फूल परिधानों में एक नई ताजगी भर देते हैं। जाने माने फैशन डिजाइनर रोहित बल ने तो कश्मीर की वादियों में खिलने वाले फूल रैंप पर खिला दिए। अपने ग्रैंड फिनाले में उन्होंने कलेक्शन च्गुलबागज् से प्रेरित कलेक्शन पेश किया। उनके आलीशान शो में मॉडल्स ने चंदेरी, मलमल, मटका सिल्क और वेल्वेट जैसे फैब्रिक्स से बने परिधान पहनकर रैंपवॉक किया। परिधानों की ब्रोकेड एंब्रॉयडरी और गोल्ड लीफ एंबॉसिंग तकनीक प्रमुख थी। फूलों की कढ़ाई को डिजाइनर्स काफी खुशनुमा अंदाज में पेश करते रहे हैं। हल्के रंग के परिधानों पर खिले-खिले फूलों की थ्री डी एम्ब्रॉयडरी परफेक्ट लगती है। डिजाइनर मनीष गुप्ता के कलेक्शन का तो टाइटल ही फ्लोरेंस था, जिसके इंडियन फ्लोरल मोटिफ्स बेहद खूबसूरत लग रहे थे। अपने राजपूताना कलेक्शन को आगे बढ़ाते हुए डिजाइनर सामंत चौहान ने सिल्क के धागों के साथ सपनों की उड़ान भरने को मजबूर किया।उनकी थीम थी।

उनके न्यूड कलर के परिधानों पर रंगीन फूलों से कढ़ाई की गई थी। डिजाइनर अनीथ अरोड़ा के शो में तो मॉडल्स ने ब्रिटिश अंदाज के सफेद फ्लोई परिधान पहनकर मखमली घास, गमलों वाले बगीचे जैसे दिखते रैंप पर वॉक किया।

समाज से सरोकार

फैशन के मंच के जरिये सिर्फ ग्लैमर ही नहीं, बल्कि सामाजिक सरोकार से जुड़ी भावनाओं का इजहार भी किया जाता है। धरती के बढ़ रहे तापमान को संतुलित करने का संदेश देते हुए डिजाइनर जोड़ी गौरी-नयनिका ने अपने कलेक्शन में ग्लोबल वार्मिंग, प्रदूषित होती धरती और पिघलते ग्लेशियर दर्शाए। गौरी-नयनिका ने अपने कलेक्शन में उजड़ी हुई धरती, चिमनियों से निकलता धुंआ और हरे पत्तों की चाहत को दर्शाया। इनका मानना था कि फैशन समाज में जागरूकता के लिए पावरफुल टूल साबित हो सकता है। डिजाइनर आशीष और विक्रांत के शो में शो स्टॉपर के तौर पर किसी सेलेब्रिटी की जगह एचआईवी पॉजिटिव आनंदी युवराज ने रैंप वॉक किया।

आनंदी 17 सालों से एचआईवी से पीड़ित हैं, लेकिन आम जिंदगी जी रही हैं। उन्हें रैंप पर लाकर डिजाइनर जोड़ी ने यह जागरूकता फैलाने की कोशिश की कि एड्स से जूझ रहे मरीज हमारे जैसे ही हैं और उनसे दूर रहने या उन्हें छूने से परहेज करने का कोई औचित्य नहीं है। यह कलेक्शन रेड एंड व्हाइट कलर थीम पर आधरित था। यह रंग एड्स के प्रति जागरुकता फैलाते रेड रिबन को प्रदर्शित कर रहा था। यहां तक कि डिजाइनर्स ने अपनी शर्ट पर रेड रिबन लगाकर अपनी चिंता जाहिर की। डिजाइनर नीता भाार्गव के शो की शुरुआत ट्रैफिक के शोर, धुएं और उद्योगों की मशीनों की कर्कश आवाज के साथ हुई। रैंप पर क्रिएट किए गए इस प्रदूषण वाले माहौल में शो की पहली मॉडल ने चेहरे पर काला नकाब लगाकर वॉक किया। धीरे-धीरे यह प्रदूषण कम होता गया और परिधान भी स्मोकी ग्रे कलर से व्हाइट होते गए।

फैशन में फन

फैशन में कई डिजाइनर्स फन एलीमेंट को महत्वपूर्ण मानते हैं। बेहद नाटकीय ढंग से पेश किए जाने वाले उनके शोज में मजा बेहिसाब होता है। कभी फंकी कपड़े होते हैं तो कभी फन से भरी थीम। रैंप कभी चांदनी चौक की गलियों की दिलकश रौनक से गुलजार रहता है तो कभी बीते दौर के कैफे वाले माहौल से मस्त हो जाता है। फैशन वीक में डिजाइनर निहारिका पांडेय के शो में मॉडल्स ने नींबू-मिर्ची, जलेबी और गोलगप्पे जैसे प्रिंट्स वाले परिधान पहनकर रैंपवॉक किया और चांदनी चौक के माहौल को जीवंत किया।

शो में प्रदर्शित डेनिम और निटेड फैब्रिक के साथ मेटल जंक जूइॅल्रि परिधानों को सूट कर रही थी। इसी तरह 1960 के ईरानी कैफे से प्रेरित डिजाइनर निदा महमूद के कलेक्शन में पुराने कैफे की दीवारों पर नजर आने वाले प्रिंट्स परिधानों में नजर आए। निदा के शो में जॉर्जट, कॉटन ब्लेंड्स से बने बॉक्सी टॉप, स्ट्रक्चर्ड स्कर्ट, हाफ साड़ी जैसे परिधान नजर आए। बनारस की संस्कृति को फैशन में पिरोने में डिजाइनर छाया मेहरोत्रा पूरी तरह से कामयाब रहीं। उन्होंने अपने कलेक्शन बबली बनारसी में सिंदूर, चंदन, शिव और मोक्ष से जुड़े लाल, पीले, नीले और सफेद रंगों के परिधानों का प्रदर्शन किया। शो में बनारस में प्रचलित गमछा, रुद्राक्ष की माला और ब्लॉक प्रिंटिंग वाले परिधान जैसे कई तत्व नजर आए।

(यशा माथुर)


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