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एक्सक्लूसिव: नए चंद्रकांता पर बोले पुराने कुंवर विक्रम सिंह, कहा रिपीट करना ठीक नहीं

शाहबाज ने यह भी दोहराया कि वर्जन कोई भी बनाये मगर जो क्लासिक है, उससे छेड़छाड़ न हो और उसकी खूबसूरती न जाये।

By Manoj KhadilkarEdited By: Published: Tue, 21 Feb 2017 05:38 PM (IST)Updated: Tue, 21 Feb 2017 06:33 PM (IST)
एक्सक्लूसिव: नए चंद्रकांता पर बोले पुराने कुंवर विक्रम सिंह, कहा रिपीट करना ठीक नहीं
एक्सक्लूसिव: नए चंद्रकांता पर बोले पुराने कुंवर विक्रम सिंह, कहा रिपीट करना ठीक नहीं

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। वह दौर रविवार वालों का होता था। जब सभी इंतजार करते थे. दूरदर्शन पर ढेर सारे धारावाहिकों का। एक के बाद एक इडियट बॉक्स हमारा मनोरंजन करता था। उसी दौर में देवकी नंदन खत्री के चर्चित उपन्यास चंद्रकांता पर नीरजा गुलेरी का शो भी आया था। और अब अब फिर से चंद्रकांता नए तेवर के साथ आ रहा है।

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आज भी लोगों के जेहन में चंद्रकांता, क्रूरूर सिंह और कुंवर वीरेंद्र सिंह जिंदा हैं। एक बार फिर से लाइफ ओके पर निखिल सिन्हा चंद्रकांता लेकर आ रहे हैं। जागरण डॉट कॉम ने पुरानी चंद्रकांता में कुंवर वीरेंद्र विक्रम सिंह का किरदार निभा चुके अभिनेता शाहबाज खान से जानने की कोशिश की, कि उनकी नए शो से क्या उम्मीदें हैं तो उन्होंने बताया कि "हां, मुझे भी खबर मिली है कि एक नहीं, बल्कि दो शो आ रहे हैं. इसी नाम से. इसमें कोई संदेह नहीं है, कि यह विषय ही काफी रोमांचित है और हमेशा लोगों को आकर्षित करता रहा है। लेकिन मैं यही कहना चाहूंगा कि सभी अपना वर्जन बना रहे हैं, वे इस पर कितना खरे उतरेंगे ये तो प्रसारण के बाद ही पता चलेगा। शाहबाज का यह भी मानना है कि जो क्लासिक हैं, उसको बहुत ज्यादा रिपीट नहीं करना चाहिए. बार-बार रिपिटेशन में वह बात नहीं रह जाती।

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उन्होंने कहा" मुझे नहीं लग रहा कि जो बात उसमें थी, इस बार आयेगी। लेकिन देखते हैं। नीरज गुलेरी ने काफी मेहनत से शो को खड़ा किया था। कंटेंट भी कमाल का था। डॉयलॉग कमाल के लिखे जाते थे। कमलेश्वर जी ने पूरा लेखन किया था। वो भी आज नहीं हैं। " शाहबाज उस दौर में एपिक शो को फिल्माने के दौरान की चुनौतियों के बारे में बताते हैं कि उस दौर में एक्टिंग रियलिस्टिक होती थी। बॉडी डबल तो होते ही नहीं थे। अगर वीर कुंवर को घोड़े से गिरना है तो मैं ही गिरता था। अगर कूरूर सिंह को रस्सी से बांध कर घोड़े से खींचना है तो हम लोग खींचा करते थे।" शाहबाज बताते हैं कि यह शो उस दौर में टीवी का शोले माना जाता था। बकौल शाहबाज शो की पूरी शूटिंग फिल्मसिटी में हुई थी और फिल्मसिटी का कोई भी ऐसा जंगल का हिस्सा नहीं था, जहां उन्होंने घोड़े नहीं घुमाए। या किसी पेड़ से नहीं कूदेंगे या पहाड़ों पर नहीं चढ़े होंगे। तकनीकी रूप से उस दौर की बड़ी चुनौती यह भी होती थी कि स्पेशल इफेक्ट्स नहीं होता था तो सनलाइट पर काफी कुछ निर्भर होता था। लेकिन यह कैमरामैन पीटर परेरा का कमाल था कि वो सनलाइट के मूड के साथ ही शूट भी कर लेते थे। सेट डिजाइनर सन के साथ रोमांटिक सीन शूट करते थे। सन सेट होते ही हमारा पूरा सेट बदल जाता था। फिर उसे क्रियेट करने में भी काफी वक्त लगता था।

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तब चन्द्रकान्ता का दूरदर्शन पर अचानक प्रसारण रोक दिया गया था। आखिर इसकी वजह क्या थी, इस पर शाहबाज यह तो नहीं बताते कि वास्तविक मतभेद क्या था लेकिन उन्होंने इतना जरूर बताया कि प्रोडयूर्स के बीच ऐसे मतभेद हुए थे जो कि अनअवॉयडेबेल थे. इसलिए शो अचानक बंद हो गया था। शाहबाज ने यह भी दोहराया कि वर्जन कोई भी बनाये मगर जो क्लासिक है, उससे छेड़छाड़ न हो और उसकी खूबसूरती न जाये।


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