बॉलीवुड का अलीगढ़ कनेक्शन
<b>जावेद अख्तर, गीतकार </b> एएमयू से पढ़ाई करने के बाद बॉलीवुड में खूब नाम कमाया। अलीगढ़ निवासी चित्रकार व एएमयू फिजिक्स विभाग में रीडर रहे फरहान मुजीब से गहरी दोस्ती थी।
जावेद अख्तर, गीतकार
एएमयू से पढ़ाई करने के बाद बॉलीवुड में खूब नाम कमाया। अलीगढ़ निवासी चित्रकार व एएमयू फिजिक्स विभाग में रीडर रहे फरहान मुजीब से गहरी दोस्ती थी।
नसीरुद्दीन शाह, अभिनेता
जन्म भले अलीगढ़ में न हुआ हो, लेकिन उन्होंने अलीगढ़ को पैतृक भूमि से कम नहीं समझा। एएमयू से 1971 में बीए किया। यहां थियेटर भी किया। इनके बड़े भाई लेफ्टिनेंट जनरल जमीरुद्दीन शाह हैं।
आर चंद्रा, प्रोड्यूसर
तेजाब, मृत्युदंड सहित कई फिल्में प्रोड्यूस की। यहां से तालीम लेने के बाद फिल्म जगत की चर्चित हस्ती बने।
शकील बदायूंनी, गीतकार
एएमयू से पढ़ाई के बाद तेरा साया साथ रहेगा.., एक चेहरे पर कई चेहरे लगा लेते हैं लोग.., तुम अगर साथ देने का वादा करो.. जैसे मशहूर गाने लिखे।
अख्तरूल ईमान, राइटर
मुगले आजम की पटकथा व संवाद लिखने में एएमयू के तीन लोगों का योगदान था। अख्तरूल ईमान, अमानउल्लाह खान व असद मिर्जा ने मिलकर इस फिल्म को बेहतरीन बनाया। तीनों को बेस्ट डायलॉग का फिल्म फेयर अवार्ड भी मिला।
डॉ.राही मासूम रजा, राइटर
गुड्डी, मिली, दर्द का रिश्ता, यश चोपड़ा की लम्हे, सहित करीब ढाई सौ फिल्में लिखीं। महाभारत से बहुत प्रसिद्धि मिली। डॉ.राही ने एएमयू के उर्दूडिपार्टमेंट में कुछ दिन जॉब भी किया था।
सुहैल अब्बास, राइटर
मुंबई मेरी जान सहित कई फिल्मों की कहानियां लिखीं।
तलत महमूद, गायक
देवदास (दिलीप कुमार वाली), तराना, फिल्मों में गाने गाए। इन्होंने एएमयू से ही शिक्षा ग्रहण की थी।
अली नासिर, डायरेक्टर
-बंटवारे के जमाने के डायरेक्टर थे अली नासिर। यहूदी की बेटी, मेला जैसी फिल्में बनाकर खूब नाम कमाया।
रहमान, एक्टर
मीना कुमारी के साथ साहब, बीवी और गुलाम में एक्टिंग कर दर्शकों के दिलों पर राज किया।
सईद जाफरी, अभिनेता
दर्जनों फिल्मों में काम करने वाले सईद जाफरी को बेस्ट सपोर्टिग एक्टर का अवार्ड राम तेरी गंगा मैली के लिए मिला था। हॉलीवुड में भी काम किया।
दिलीप ताहिल, अभिनेता
वैसे तो दिलीप ताहिल के लिए फिल्मों की कमी नहीं रही। कयामत से कयामत तक में काम करने के लिए बेस्ट सपोर्टिग एक्टर (निगेटिव रोल) का अवार्ड मिला था। हाल ही में आई रॉ वन तक में भी जोरदार भूमिका में थे। इनका भी एएमयू से नाता रहा है।
कुलभूषण खरबंदा, अभिनेता
शान में विलेन थे। इसी से कैरियर की शुरुआत की। बेस्ट एक्टर का अवार्ड एक चादर मैली सी फिल्म से मिला। एएमयू के पूर्व छात्र।
मुजफ्फर अली, डायरेक्टर
एएमयू से शिक्षा हासिल करने के बाद कई फिल्में बनाई। उमराव जान ने तो इतिहास रच दिया।
अनुभव सिन्हा, डायरेक्टर
बॉक्स ऑफिस पर धूम मचाने वाली फिल्म रॉ वन डायरेक्ट की थी। एएमयू के स्टूडेंट रहे हैं।
अकबर रसीद, अभिनेता
शान, उमराव जान आदि फिल्मों में काम करने वाले अकबर रसीद ने भी एएमयू से शिक्षा हासिल की।
सुहैल खां, डायरेक्टर
मंसूर खां के असिस्टेंट थे। जिगर, हथियार फिल्म डायरेक्ट की। ये भी एएमयू के छात्र थे।
बेगम पारा, अभिनेत्री
एएमयू से पढ़ाई?के बाद मुगले आजम, नूरजहां आदि फिल्मों में काम किया।
गोपाल दास नीरज, कवि
हिंदी फिल्मों के दर्जनों सदाबहार गीत लिखने वाले पद्मविभूषण गोपालदास नीरज भी अलीगढ़ की ही धरोहर हैं। नई पीढ़ी कितनी ही बदल गई हो, नीरज के गाने सबको प्रिय हैं।
प्रो. शहरयार, शायर
उमरावजान के सदाबहार गाने लिखकर फिल्मी दुनिया में सिक्का जमाने वाले मशहूर शायर व ज्ञानपीठ विजेता शहरयार भी अलीगढ़ की ही शान बने। शहरयार ने आधा दर्जन फिल्मों के लिए गाने लिखे।
भारत भूषण, अभिनेता
फिल्म अभिनेता भारत भूषण का जन्म मेरठ में हुआ था, लेकिन बसे अलीगढ़ के दुबे पड़ाव में। यहीं रहकर डीएस कालेज में पढ़ाई की और फिर मुंबई चले गए। बैजू बावरा सरीखी कई विख्यात फिल्मों में अभिनय से दुनियाभर में नाम कमाया।
चंद्रचूड़ सिंह, अभिनेता
बॉलीवुड अभिनेता चंद्रचूड़ सिंह भी यहां पूर्व विधायक कैप्टन बल्देव सिंह के बेटे हैं। उनकी मां ओडि़शा के बोलनगीर रियासत के महाराजा की बेटी हैं। चंद्रचूड़ सिंह के कॅरियर की माचिस सर्वश्रेष्ठ फिल्म है।
अलका याज्ञनिक, गायिका
पार्श्व गायिका अलका याज्ञनिक किसी परिचय की मोहताज नहीं, लेकिन ये कम लोगों को मालूम होगा कि उनका घर अलीगढ़ ही है। सुरेंद्र नगर में उनका पैतृक घर है और पिता डीएवी कालेज में टीचर हुआ करते थे। सुरों की मल्लिका ने ऐसा जादू बिखेरा कि दुनियाभर में छा गईं।
रवींद्र जैन, संगीतकार
संगीतकार रवींद्र जैन का परिवार भी छिपैटी में रहा करता था। वैद्य इंद्रमणि जैन के छोटे बेटे रवींद्र ने लीक से हटकर पहचान बनाई।
शिवकुमार, अभिनेता
ब्रज भाषा में पहली फिल्म का रिकार्ड भी अलीगढ़ के ही शिवकुमार शर्मा के नाम दर्ज है। सासनी के पास गांव देदामई के शिवकुमार ने न सिर्फ इस फिल्म के निर्माता बल्कि हीरो भी थे। इनकी पहली हिंदी फिल्म फिल्म हरे कांच की चूडि़यां थी।
रवि नगाइच, संगीतकार
अतरौली में जिस नगाइचपाड़ा का जिक्र आता है, वहीं के रवि नगाइच भी फिल्मी दुनिया में संगीतकार के रूप में ख्याति पा चुके हैं।
वंशीधर दीपक, निर्माता
नई पीढ़ी के लोगों को शायद नहीं पता होगा कि खिरनीगेट में रहने वाले वंशीधर दीपक कोई फिल्म निर्माता भी थे। ऋतिक दा के निर्देशन में बंग्ला फिल्म सुवर्णरेखा बनाकर अपने कॅरियर की शुरुआत करने वाले वंशीधर को राष्ट्रपति के हाथों पुरस्कृत भी किया गया था। इनकी अंतिम फिल्म गोमती के किनारे थे। मीना कुमारी के अकाल निधन की वजह से अधर में अटक गई थी, जिसे दूसरी अभिनेत्री को लेकर पूरी की गई।
चौ.सुनील सिंह, अभिनेता
विधान परिषद सदस्य रहे चौ. सुनील सिंह भी हाल ही में राजनीति से सिनेमा निर्माण में कूद चुके हैं। अपनी पहली फिल्म एक सेकेंड में सुनील सिंह ने अदाकारी भी दिखाई है। फिल्म के ज्यादा कामयाब नहीं हो पाने के बावजूद उनके हौसले बुलंद हैं।
जिया अहमद, अभिनेता
उस्मानपाड़ा देहलीगेट के जिया अहमद खान भी हिंदी फिल्मों में अभिनय कर चुके हैं। उनकी पहली फिल्म इम्पैशेंट विवेक बीते साल सात जनवरी को आई थी।
नीना, अभिनेत्री
हाथी मेरे साथी में तनुजा की मां का रोल किया। कटी पतंग, तेरे घर के सामने में भी काम किया।
सुरेखा सीकरी, अभिनेत्री
मम्मो, संजय लीला भंसाली की फिल्म सांवरिया में काम किया।
कानन देवी, अभिनेत्री
दिलीप कुमार के साथ लीडर, नया दौर में काम किया।
उमा देवी, अभिनेत्री
आराधना, लव इन टोकियो, रिहाई, बंदिनी आदि में रोल किया।
रितिक घोष, कंपोजर
बीबीसी की बनाई गई तमाम डॉक्यूमेंट्री में काम किया।
सरदार जाफरी, राइटर
नया दौर, चेहरा, कहकशां में गाने लिखे।
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