Main Ladega Review: घरेलू हिंसा के संवेदनशील विषय पर बनी ईमानदार फिल्म, पर्दे पर दिखी आकाश की मेहनत
मैं लड़ेगा बॉक्सिंग पर आधारित फिल्म है। फिल्म में आकाश प्रताप सिंह ने लीड रोल निभाया है। उन्होंने ही कहानी लिखी है। फिल्म की कहानी घरेलू हिंसा को केंद्र में रखकर लिखी गई है और मुख्य किरदार इसके खिलाफ संघर्ष करता है मगर इसके लिए वो बॉक्सिंग का सहारा लेता है। मैं लड़ेगा नेक इरादे के साथ लिखी और बनाई गई फिल्म है जिसमें कुछ कमियां छूट गई हैं।
प्रियंका सिंह, मुंबई। मौके अगर ना मिलें तो खुद को ही मौका देना पड़ता है। ऐसा ही कुछ अभिनेता आकाश प्रताप सिंह ने भी किया है। बतौर हीरो खुद को फिल्म में लॉन्च करने के लिए आकाश ने खुद के लिए ही कहानी लिख दी।
क्या है फिल्म कहानी?
फिल्म शुरू होती है ऐसे घर से, जहां लड़ाई-झगड़े का माहौल है। मां (ज्योति गौबा) घरेलू हिंसा का शिकार है। दो बेटे हैं, लेकिन वह पिता (अश्वथ भट्ट) की क्रूरता के आगे कुछ नहीं कर पाते हैं। घर के इस माहौल की वजह से बड़े बेटे आकाश (आकाश प्रताप सिंह) के ग्यारहवीं कक्षा में अच्छे नंबर नहीं आते हैं।
उसकी मां और नाना उसे आर्मी हॉस्टल भेज देते हैं। आकाश मां को पिता की मार से बचाना चाहता है, लेकिन इसके लिए उसे पैसे चाहिए। उसके स्कूल के प्रिसिंपल घोषणा करते हैं कि बॉक्सिंग में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जो स्वर्ण दिलाएगा, उसे एक लाख रुपये का ईनाम दिया जाएगा।
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खेल से कोसों दूर आकाश, स्कूल के ही एक विद्यार्थी, जो बॉक्सिंग में अच्छा है, उससे सीखता है। बदले में आकाश उसकी मदद पढ़ाई में कर देता है।
कहां कमजोर रह गई फिल्म?
आकाश का इस कहानी को लिखने का प्रयास अच्छा रहा, फिल्म का शीर्षक भी दमदार है, लेकिन कहानी उतनी दमदार नहीं बन पाई है, ना ही संवाद असरदार हैं। यहां पर अभिनेता विनीत कुमार सिंह की फिल्म मुक्काबाज की याद आ जाती है, जिसकी कहानी भी विनीत ने कई लेखकों के साथ मिलकर अपने लिए लिखी थी, ताकि वह हीरो के रोल में आ सकें।
उस फिल्म की कहानी, पृष्ठभूमि और संवाद दमदार थे। मैं लड़ेगा फिल्म धीमी और लंबी है। निर्देशक गौरव इसे दो घंटे में समेट देते तो बात बन सकती थी। कोरियोग्राफी और बॉक्सिंग को भी आकाश ने ही डिजाइन किया है, उसके लिए उनकी सराहना बनती है।
अभिनय में भी उन्होंने अपना सौ प्रतिशत देने का प्रयास किया है। बॉक्सिंग के दौरान जिस तरह से अपना वजन बढ़ाने की प्रक्रिया में वह जाते हैं, वह शारीरिक कायांतरण नजर आता है। हालांकि, जो गुस्सा उनके मन में अपनी मां का हाल देखकर था, वह उसे बॉक्सिंग के जरिए बाहर निकाल तो और बेहतर लगते।
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खेल पर आधारित कहानियों में खास मौकों पर बैकग्राउंड स्कोर का दमदार होना जरूरी, वहां पर भी फिल्म कहीं-कहीं कमजोर पड़ती है। आकाश की असहाय मां और सख्त पिता की भूमिका में ज्योति गौबा व अश्वथ भट्ट का काम अच्छा है। आकाश को बाक्सिंग सिखाने वाले विद्यार्थी गुरनाम के रोल में गंधर्व दीवान जंचे हैं।