Move to Jagran APP

फिल्म रिव्यू: फगली (3 स्‍टार)

स्वाभाविक है कि 'फगली' देखते समय उन सभी फिल्मों की याद आए, जिनमें प्रमुख किरदार नौजवान हैं। कबीर सदानंद की 'फगली' और अन्य फिल्मों की

By Edited By: Published: Fri, 13 Jun 2014 02:43 PM (IST)Updated: Fri, 20 Jun 2014 11:53 AM (IST)
फिल्म रिव्यू: फगली (3 स्‍टार)

प्रमुख कलाकार: मोहित मारवाह, किआरा आडवाणी, विजेंदर सिंह, जिम्मी शेरगिल और आरफी लांबा।

loksabha election banner

निर्देशक: कबीर सदानंद

संगीतकार: यो यो हनी सिंह, प्रशांत वध्याकर और रफ्तार एंड बादशाह।

स्टार: तीन

[अजय ब्रह्मात्मज] स्वाभाविक है कि 'फगली' देखते समय उन सभी फिल्मों की याद आए, जिनमें प्रमुख किरदार नौजवान हैं। कबीर सदानंद की 'फगली' और अन्य फिल्मों की समानता कुछ आगे भी बढ़ती प्रतीत हो सकती है। दरअसल, इस विधा की फिल्मों के लिए आवश्यक तत्वों का कबीर ने इस्तेमान तो किया है, लेकिन उनका अप्रोच और ट्रीटमेंट अलग रहा है। 'फगली' की यह खूबी है कि फिल्म का कोई भी किरदार नकली और कागजी नहीं लगता।

'फगली' इस देश के कंफ्यूज और जोशीले नौजवानों की कहानी है। देव, देवी, गौरव और आदित्य जैसे किरदार बड़े शहरों में आसानी से देखे जा सकते हैं। ईमानदारी और जुगाड़ के बीच डोलते ये नौजवान समय के साथ बदल चुके हैं। वे बदते समय के अनुसार सरवाइवल के लिए छोटे-मोटे गलत तरीके भी अपना सकते हैं। ऐसी ही एक भूल में वे भ्रष्ट पुलिस अधिकारी आरएस चौटाला की चपेट में आ जाते हैं। यहां से उनकी नई यात्रा आरंभ होती है। मुश्किल परिस्थिति से निकलने और आखिरकार जूझने के उनके तरीके से असहमति हो सकती है, लेकिन उनके जज्बे से इंकार नहीं किया जा सकता। वास्तव में निराशा से उपजे इस उपाय पर विचार की जरूरत है कि क्यों देश का नौजवान आत्महंता रास्ता अख्तियार करता है? और दुस्साहसी हो जाते हैं।

'फगली' नौजवानों की मौज-मस्ती से आगे की फिल्म है। वे सभी समाज के विभिन्न तबकों से आए यूथ हैं, जो अपने सपनों को आकार देना चाहते हैं। एक छोटी सी बात पर अडऩे के साथ ही उनकी भिडं़त सिस्टम से हो जाती है। सिस्टम की क्रूरता समझने में उन्हें थोड़ा वक्त लगता है। कबीर सदानंद ने 'फगली' में किसी व्यक्ति के बजाए उस समूह की कहानी कही है, जिसके प्रतिनिधि देव, देवी गौरव और आदित्य हैं।

आर एस चौटाला की भूमिका में जिमी शेरगिल ने शुरू से अंत तक किरदार में रहे हैं। उनके संवाद और व्यवहार में किरदार की कुटिलता जाहिर होती है। वे इस पीढ़ी के एक उम्दा अभिनेता हैं,जो सहयोगी किरदारों में खर्च हो रहे हैं। 'फगली'के नए कलाकारों में कियारा आडवाणी आकर्षित करती हैं। लेखक-निर्देशक ने उन्हें अपनी प्रतिभा दिखाने के पर्याप्त अवसर दिए हैं। उन्होंने इन अवसरों को हाथ से नहीं जाने दिया है। अन्य कलाकारों को भी लेखक-निर्देशक ने अवसर दिया है, लेकिन मोहित मारवा और विजेन्द्र सिंह चूक गए हैं। अरफी लांबा फिर भी कुछ दृश्यों में प्रभावित करते हैं।

कबीर सदानंद ने हिंदी फिल्मों के प्रचलित ढांचे में ही कुछ नया करने का प्रयास किया है। निश्चित ही उन पर समकालीन श्रेष्ठ फिल्मों का प्रभाव है, लेकिन वे नकलची नहीं है। उन्होंने दृश्यों, संवादों और मुहावरों में नवीनता बरती है। 'फगली' का गीत-संगीत सराहनीय है।

अवधि - 136 मिनट


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.