Dil Dosti Dilemma Review: रिश्तों की अहमियत सिखाता है प्राइम वीडियो का शो, कहानियों में लौटा नाना-नानी का घर
प्राइम वीडियो पर टीनेज शो दिल दोस्ती डिलेमा रिलीज हो गया है। इस शो में एक अपर मिडिल क्लास परिवार के जरिए रिश्तों के खोये हुए मूल्यों की अहमियत दिखाई गई है। शो में अनुष्का सेन ने लीड रोल निभाया है। वहीं तन्वी आजमी श्रुति सेठ शिशिर शर्मा और खालिद सिद्दीकी सहयोगी किरदारों में हैं। शो एक नॉवल पर आधारित है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। किशोरवय युवक-युवतियों की अपनी जिंदगी और सोच होती है, जो अक्सर मान्यताओं और परम्पराओं से बगावत करते हुए चलती है। अपने ख्यालों-ख्वाबों में खोई रहने वाली ये पीढ़ी अक्सर रिश्तों की कद्र नहीं करती। जाने-अनजाने कुछ ऐसा कर जाती है कि दिल टूट जाते हैं।
अगर ना संभाले तो रिश्ते भी बिखर जाते हैं। इस उम्र की प्राथमिकताएं कुछ और होती हैं, जो जिंदगी देखने का नजरिया भी तय करती हैं। प्राइम वीडियो पर स्ट्रीम हुई सात एपिसोड्स की सीरीज दिल दोस्ती डिलेमा (Dil Dosti Dilemma) उम्र के इसी नाजुक मोड़ पर रिश्तों की अहमियत समझाने के साथ संदेश देती है।
हालांकि, विषय पुराना लगता है, जिससे सीरीज पकड़ खोती नजर आती है। अस्सी के दौर में ऐसे विषय अक्सर फैमिली फिल्मों का हिस्सा बनते थे और दर्शक भावनाओं के सागर में डूबते-उतराते रहते थे।
क्या है 'दिल दोस्ती डिलेमा' की कहानी?
कथाभूमि बेंगलुरु की पॉश कॉलोनी में रहने वाला मुस्लिम परिवार है और कहानी के केंद्र में 17 साल की चुलबुली असमारा (अनुष्का सेन) है। अपनी अमीर और एलीट दोस्तों की सोहबत में पड़ी असमारा से एक भूल हो जाती है, जिसके चलते उसकी मां अर्शिया (श्रुति सेठ) तय करती है कि वो समर वेकेशन के लिए उनके साथ कनाडा नहीं जाएगी, बल्कि नानी फरीदा (तन्वी आजमी) और नाना (शिशिर शर्मा) के साथ उनके घर में रहेगी, जो शहर के पुराने इलाके टिब्बरी रोड पर स्थित है।
पिता खालिद (खालिद सिद्दीकी) पत्नी को समझाने की कोशिश करता है, मगर मां कुछ सुनने से इनकार कर देती है। नानी के घर असमारा किस तरह के हालात का सामना करती है। वो अपने दोस्तों के सामने ढींग मारने की गरज से ये दिखाने की कोशिश करती है कि कनाडा में है। हालांकि, इस क्रम में वो खुद को बेहतर बनाने के रास्ते पर चलती है।
कैसा है स्क्रीनप्ले और अभिनय?
अंदलीब वजीद के नॉवल असमाराज समर पर के स्क्रीन अडेप्टेशन दिल दोस्ती डिलेमा का निर्देशन डेबी राव ने किया है। डेबी ने असमारा के जरिए जहां दो पीढ़ियों के सोच के फर्क को दिखाया है, वहीं महानगरों में दो पीढ़ियों के अलग-अलग स्तर को भी जाहिर किया है। जैसे, एक शहर के अंदर दूसरा शहर रहता हो।
पुराने मोहल्लों की बातें पड़ोसी, एक-दूसरे की जिंदगी में ताकाझांकी दिलचस्प लगते हैं। हालांकि, सीरीज का ट्विस्ट जिस प्वाइंट पर आता है, वो जस्टिफाई नहीं होता। दोस्तों के साथ असमारा का बर्ताव बदलने की कोई ठोस वजह नहीं दी गई है, क्योंकि उसका किरदार जिस तरह सहज और खुशमिजाज दिखाया गया है, उससे इस तरह के बर्ताव की उम्मीद दर्शक नहीं करता। कुछ बातें हजम नहीं होतीं।
प्लॉट को भगाने के चक्कर में कुछ बातें छूटती लगती हैं। मसलन, एक ही शहर में रहने के बावजूद अर्शिया अपने परिवार से मिलने नहीं जाती, जबकि बेटी को वहां रहने के लिए भेजती है।
असमारा के किरदार में अनुष्का सेन ने की परफॉर्मेंस सतही है। टीनेज लड़की के मनोभावों, उलझनों और असमजंस को जाहिर करने में गहराई की कमी खलती है। नानी-नाना के किरदार में तन्वी आजमी और शिशिर शर्मा की परफॉर्मेंस शो को जकड़कर रखती हैं और बिखरने से बचाती हैं। गर्मियों की छुट्टियों में नाना-नानी के घर जाने की परम्परा प्राइम वीडियो के इस शो के साथ लौटी है।