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मेरे पास है मां का आशीर्वाद

असल जिंदगी में लंबे समय तक स्टेज होस्ट, आरजे, टीवी एंकर आदि की भूमिकाएं निभाने के बाद 'मिकी वायरस' के जरिये बॉलीवुड में एंट्री कर रहे हैं मनीष पॉल.. फिल्मों में आने का इरादा कब और कैसे हुआ? मुंबई आया हर अभिनेता कभी न कभी फिल्म करना चाहता है। मुझे आत

By Edited By: Published: Thu, 24 Oct 2013 11:44 AM (IST)Updated: Thu, 24 Oct 2013 12:03 PM (IST)
मेरे पास है मां का आशीर्वाद

मुंबई। असल जिंदगी में लंबे समय तक स्टेज होस्ट, आरजे, टीवी एंकर आदि की भूमिकाएं निभाने के बाद 'मिकी वायरस' के जरिये बॉलीवुड में एंट्री कर रहे हैं

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मनीष पॉल..

फिल्मों में आने का इरादा कब और कैसे हुआ?

मुंबई आया हर अभिनेता कभी न कभी फिल्म करना चाहता है। मुझे आते ही फिल्मों में काम नहीं मिला। पहला काम टीवी में मिला। फिर आरजे का काम मिला। फिल्में मिलने से पहले मैं तैयारियों में लगा था। सही समय आया तो फिल्म मिल गई।

'मिकी वायरस' कैसे मिली?

होस्ट, आरजे, एंकर आदि की भूमिकाएं निभाने के बाद सोचा अब फिल्मों में एक्टिंग करूं। मेरी फ्रेंड ने डायरेक्टर सौरभ वर्मा से मिलने के लिए कहा। मुलाकात हुई तो सौरभ ने अपनी फिल्म मिकी वायरस के बारे में बताया। नाम सुनते ही मुझे हंसी आ गई। मैंने बताया कि मेरे घर का नाम मिकी है। संयोग से मेरी ही तरह मिकी वायरस का मिकी भी दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में रहता है। लगे हाथ बिना मांगे ही मैंने कुछ इनपुट दे दिए। दस दिन बाद सौरभ का फोन आया कि तू मेरी फिल्म कर ले। इस तरह मिकी वायरस मिल गई।

पढ़ें:मिकी वायरस का कॉमिक थ्रिलर

आपका साबका लाइव ऑडियंस से रहा है। फिल्मों के लिए खुद को बदलने में कितनी दिक्कत हुई?

होस्टिंग करने की वजह से मुझे कैमरे में देखने की आदत सी है। सौरभ की ट्रेनिंग और वर्कशॉप से फायदा हुआ। फिल्म मिलते ही मैंने मानसिक तैयारी शुरू कर दी थी। फिल्म में काफी एक्शन है। एक्शन के लिए मैंने बॉडी पर ध्यान दिया। परफारमेंस में सौरभ की सलाह मानी।

आपने बड़ी लांचिंग का इंतजार नहीं किया। क्या सेफ खेलना नहीं चाहते थे?

मैंने आज तक सेफ नहीं खेला है। मैंने हमेशा पंगा लिया है। मुझे मालूम है कि मैं इंडस्ट्री से बाहर का हूं। यहां मुझे कोई जानता नहीं है। मुझे बड़ी फिल्म नहीं मिलेगी। मेरे साथ मां का आशीर्वाद है। वह हमेशा कहती है कि टैलेंट छिपकर नहीं रह सकता। अपने काम पर ध्यान देना। कभी निराश होता था तो मां ही ढांढस बंधाती थी। मुझे जब जो काम मिला मैंने उसे अपना दो सौ प्रतिशत दिया।

अपनी पृष्ठभूमि के बारे में बताएं?

मैं दिल्ली से हूं। मेरे परिवार के ज्यादातर सदस्य फाइनेंस के बिजनेस में हैं। केवल मैं थोड़ा अलग निकला। शुरू से ही सभी ने मुझे प्रोत्साहित किया। उन्होंने हर तरह का समर्थन दिया।

दिल्ली की कमी किस रूप में महसूस होती है?

मैं वहां का खाना मिस करता हूं। दिल्ली में चौड़ी सड़कें हैं तो वहां की ड्राइविंग भी मिस करता हूं। अभी तो मुझे मुंबई की लत लग गई है। अब यह अच्छा लगने लगा है।

एक्टर का कोई घर या ठिकाना होता है क्या?

केवल सूटकेस होता है। आज कल मेरी जिंदगी सूटकेस में रहती है। बहुत पहले से लाइव शो की वजह से हमेशा घर के बाहर ही रहता हूं। मां तो कहती थी कि यह हमारे घर का बंजारा है। मेरी बर्थडे पर मां-डैड सूटकेस ही गिफ्ट करते थे।

सेलिब्रिटी होने की क्या मुश्किलें हैं?

फिलहाल तो यही कि लोग फोटो खिंचवाने के लिए घर भी चले आते हैं। बिल्डिंग में किसी के यहां दोस्त या रिश्तेदार आया हुआ हो तो वह बेहिचक घर की घंटी बजा देता है। शुरू में तकल्लुफ में मैं न नहीं करता था। अब मना करने लगा हूं।

(अजय ब्रहा्रात्मज)

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