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शिद्दत से निभाती हूं प्यार के रिश्ते

तारा अलीशा बेरी की अगली फिल्म विक्रम भट्ट निर्देशित ‘लव गेम्स’ है। इसमें वह अलीशा अस्थाना की भूमिका में हैं। पेश है उनसे बातचीत

By Suchi SinhaEdited By: Published: Wed, 06 Apr 2016 03:18 PM (IST)Updated: Wed, 06 Apr 2016 03:39 PM (IST)
शिद्दत से निभाती हूं प्यार के रिश्ते

साउथ की फिल्मों में पदार्पण के बाद कई अभिनेत्रियों ने हिंदी सिनेमा का रुख किया। तारा अलीशा बेरी भी उनमें से एक हैं। उन्होंने कैलिफोर्निया से स्क्रिप्ट राइटिंग का कोर्स भी किया है। करीब पांच साल पहले उन्होंने तेलुगू फिल्म से अपने करियर का आगाज किया था। उसके बाद ‘मस्तराम’ और ‘द परफेक्ट गर्ल’ में नजर आईं। उनकी अगली फिल्म विक्रम भट्ट निर्देशित ‘लव गेम्स’ है। इसमें वह अलीशा अस्थाना की भूमिका में हैं। पेश है उनसे बातचीत :
पांच साल की जर्नी का बेस्ट पार्ट क्या रहा?
एक्टिंग मेरा पैशन रहा है। मैं खुश हूं कि अपना पसंदीदा काम कर रही हूं। बहुत सारे लोग काफी देर में समझ पाते हैं कि जिंदगी में उन्हें करना क्या है? उनका पैशन क्या है? मेरे माता-पिता ने शुरुआत से कहा कि वही काम करना, जिसमें खुश रहो। अपनी पसंदीदा क्षेत्र में जाने को प्रोत्साहित किया। मेरी मां नंदिनी सेन ने मेरे जन्म के बाद मॉडलिंग और एक्टिंग से दूरी बना ली थी। जब मैंने एक्टिंग में आने का निर्णय लिया, तब उन्होंने भी अभिनय जगत में वापसी की। उनके पास ढेरों प्रस्ताव आ रहे थे। अब हम दोनों काम को एंज्वॉय कर रहे हैं।

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तेलुगू फिल्म से करियर शुरू करने की क्या वजह रही?
मैं कास्टिंग डायरेक्टर शानू शर्मा को असिस्ट कर रही थी। वहां से जॉब छोड़ने के बाद फिल्मों के लिए ऑडिशन देना शुरू किया। इसी क्रम में तेलुगू फिल्म के निर्देशक से मुलाकात हुई। मैंने फिल्म कर ली। मुझे किसी भी भाषा में काम करने में दिक्कत नहीं। फिलहाल मैं हिंदी, मराठी, अंग्रेजी और बांग्ला बोल लेती हूं। मेरे नाना और मामी बंगाली हैं।


लव गेम्स से कैसे जुड़ना हुआ?
मैं विक्रम भट्ट से मिलने गई थी। उस समय वे दो-तीन फिल्मों की तैयारी में थे। मुलाकात अच्छी रही, मगर दो हफ्ते तक कोई जवाब नहीं आया। मुझे लगा शायद मेरा चयन नहीं हुआ। एक दिन अचानक मुकेश भट्ट की बेटी साक्षी का फोन आया। उन्होंने कहा कि पापा आपसे मिलना चाहते हैं। मैं उनसे मिली। उन्होंने मुझे फिल्म ऑफर की।


कितना रिजेक्शन सहना पड़ा है?
बहुत ज्यादा। फिल्मी दुनिया में रिजेक्शन आम बात है। मैं खुद भी आलोचक हूं। कई बार आपका अच्छा काम दूसरों को पसंद नहीं आता। रिजेक्शन होने पर हताशा होना स्वभाविक है। रिजेक्शन के बावजूद मेरा हौसला नहीं टूटा। मैं पॉजिटिव इंसान हूं। मुझे निगेटिव बातों में भी कुछ सकारात्मकता दिखती है।


‘लव गेम्स’ किस प्रकार की फिल्म है?
कहानी टाइटिल के अनुरूप हैं। यह ट्विस्टेड लवस्टोरी है। इसकी कहानी पत्रलेखा, गौरव अरोड़ा और मेरे किरदार के ईद-गिर्द हैं। पत्रलेखा का ग्रे शेड कैरेक्टर है। फिल्म देखने पर आप कनेक्ट फील करेंगे। इसमें असल जिंदगी की जटिलताएं हैं। हमें जिंदगी में ग्रो करने और चेंज करने में वक्त लगता है। फिल्म में वही सब है। स्क्रिप्ट पढ़ने के बाद मुझे लगा कि किरदार बहुत जटिल है। इसे कैसे आत्मसात करूंगी? हमारी कई वर्कशॉप हुईं। विक्रम सर के साथ डिस्कशन हुआ। शूटिंग के लिए केपटाउन जाने से पहले हम तैयारी करके गए। तब तक हम किरदारों में ढल गए थे। मेरी किरदार अलीशा हालात से काफी टूटी हुई है। प्यार उसे उसकी शक्ति का अहसास करता है।


विक्रम के साथ काम का अनुभव कैसा रहा?
विक्रम भट्ट मेरे गुरु बन गए हैं। उनसे मिलने के बाद मुझमें बतौर एक्टर काफी परिवर्तन आए हैं। वे बहुत अच्छे टीचर हैं। वे मेरी प्रतिभा को सामने लाए हैं। वह बहुत ज्ञानी हैं, फिर भी खुद को सुपीरियर नहीं दिखाते। जमीन से जुड़े, बेहद सरल और सहज व्यक्ति हैं। वहीं राजकुमार राव से मैं पहले से परिचित हूं। वह पत्रलेखा के बहुत अच्छे दोस्त हैं। हालांकि मैं पत्रलेखा से कभी मिली नहीं थी। कॉमन फ्रेंड्स से पता चला था कि वे फनलविंग हैं। काम के प्रति गंभीर हैं। मैं गौरव अरोड़ा को लेकर नर्वस थी। काम के दौरान हमारी दोस्ती हुई। वह भी हमारे जैसा फनलविंग इंसान है। हम तीनों बहुत अच्छे दोस्त बन गए हैं।


केपटाउन में शूटिंग का अनुभव कैसा रहा?
मैं पहली बार वहां गई थी। शूटिंग तकरीबन 40 दिन हुई। ब्रेक टाइम में मैं आराम करती थी। वहां मेरा एक फ्रेंड भी रहता है। उससे एक बार मिली। उसने ही वहां की मशहूर चीजों के बारे में बताया। मॉम के लिए कुछ खरीदा। जहां तक सेट की बात है विक्रम सर फेसबुक पर जो कहानी शेयर करते थे, वे पहले हमें नरैट करते थे। इसके अलावा जब हम सेट से होटल वापस जाते थे तो गाड़ी में 80 के दशक के लोकप्रिय गाने जोर-जोर से गाते थे। खासकर मैं, गौरव और हमारे असिस्टेंट डायरेक्टर। हमारे ड्राइवर केपटाउन के थे। उन्हें समझ नहीं आता था कि हम सब क्या कर रहे? वे चौंक जाते थे। उन्हें हिंदी नहीं आती थी।


लव में गेम के बारे में आप क्या सोचती हैं?
मैं छल-कपट नहीं करती। जिंदगी में किसी प्रकार के गेम में यकीन नहीं रखती। मेरे हिसाब से प्यार सबसे खूबसूरत नियामत है। मैं उसे बहुत शिद्दत से निभाती हूं। उसमें छलावा पसंद नहीं करती।


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