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'बाहुबली2' की दमदार और दहला देने वाली आवाज़ के पीछे है ये शख़्स

राजामौली शुरू से अंत तक डबिंग में साथ रहे हैं। हंबल हैं और फ्रीडम देते हैं। अगर कहीं अटको, या स्क्रिप्ट में अटपटा सा लगे तो सजेशन देने पर मानते भी हैं।

By मनोज वशिष्ठEdited By: Published: Sat, 18 Mar 2017 11:28 AM (IST)Updated: Sat, 29 Apr 2017 02:07 PM (IST)
'बाहुबली2' की दमदार और दहला देने वाली आवाज़ के पीछे है ये शख़्स

अनुप्रिया वर्मा, मुंबई। 'बाहुबली- द कन्क्लूजन' रिलीज़ हो गई है। आप में से बहुत सारे लोग इस मैग्नम ऑपस लुत्फ़ उठा चुके होंगे। बाहुबली के किरदार को लार्जर-दैन-लाइफ़ बनाने में डायरेक्टर एसएस राजामौली की कल्पना और उस कल्पना को आकार देने वालों का बहुत बड़ा हाथ है। इन्हीं लोगों में शामिल हैं शरद केल्कर, जो बाहुबली 2 के हिंदी वर्ज़न में बाहुबली के किरदार की आवाज़ बने हैं। शरद से जानिए, इस शानदार सफ़र में कैसा रहा उनका अनुभव।

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जागरण डॉट कॉम से खास बातचीत में शरद बताते हैं कि जब बाहुबली- द बिगिनिंग आयी थी उस वक्त एसएस राजामौली को हिंदी बेल्ट से एक ऐसी डबिंग आर्टिस्ट की तलाश थी, जो सिर्फ डबिंग ना करता हो, बल्कि वह एक्टिंग भी करता हो, चूंकि उन्हें ट्रांसलेशन नहीं करना था। शरद के एक दोस्त, राजामौली के भी दोस्त हैं। उस वक्त शरद किसी साउथ की फिल्म में काम करने वाले थे। उनके दोस्त ने ही शरद को राजामौली से मिलवाया। फिर शरद ने छोटा सा टेस्ट दिया तो राजामौली को परफेक्ट लगा। बकौल शरद, ''जब मैं पहली बार फिल्म के लिए डब कर रहा था। उस वक्त डरा हुआ था, क्योंकि राजामौली बहुत कम बोलते हैं। आपको समझ ही नहीं आयेगा कि उन्हें काम अच्छा लगा या नहीं, लेकिन दूसरी बार में मैं सहज हो गया।''

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शरद ने बताया कि वो ज़्यादा फिल्में डब नहीं करते, लेकिन जब डब करते हैं तो पहले पूरी फिल्म देख लेते हैं, ताकि एक्टर के बिहेव को भी समझें। बाहुबली के लिए हिंदी संवाद मनोज मुंतशिर ने ही अलग से लिखे हैं। शरद ने बताया कि राजामौली ने हिंदी आॅडियंस के लिए अलग से संवाद लिखवाए हैं। इसलिए फिल्म के डायलॉग्स भी ट्रांस्लेटेड नजर नहीं आ रहे हैं।

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कट्टप्पा को मामा कहकर इसलिए संबोधित किया गया है ताकि हिंदी आॅडियंस उससे आइडेंटिफाई हो सकें। शरद ने बताया कि इस बार भी उन्होंने पूरी फिल्म देख ली है, फिर डबिंग की है। शरद फटाफट डब करने में यकीन नहीं करते। वो स्क्रिप्ट पढ़ने में जितना वक्त लेते हैं, उतना ही डबिंग में भी लेते हैं। आर्टिस्ट का वॉल्यूम मीटर, एक्शन, चाल-ढाल इन सारी बातों पर गौर करते हैं, शरद प्रभास से कभी मिले नहीं हैं। हां, एक बार बाहुबली की शूटिंग हैदराबाद में हो रही थी। वहां शरद रॉकी हैंडसम की शूटिंग कर रहे थे। दोनों एक ही फ्लोर पर थे, टकराये भी, लेकिन यह संयोग है कि उस वक्त दोनों को नहीं पता था कि वे दोनों एक-दूसरे से इस तरह कनेक्ट होने वाले हैं।

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शरद स्वीकारते हैं कि उनकी आवाज प्रभास पर इस वजह से भी फिट बैठी है, क्योंकि प्रभास और उनकी फिजीक भी एक तरह की है, और पर्सनेलिटी एक सी है तो आवाज मैच कर गयी है। राजामौली के वर्किंग स्ट्रक्चर पर बात करते हुए शरद बताते हैं कि राजामौली शुरू से अंत तक डबिंग में साथ रहे हैं। हंबल हैं और फ्रीडम देते हैं। अगर कहीं अटको, या स्क्रिप्ट में अटपटा सा लगे तो सजेशन देने पर मानते भी हैं। उनका फोकस इस बात पर अधिक होता है कि जो भी हो, लोगों से कनेक्ट कर सकें। फिलहाल शरद इसके अलावा कोई लौट के आया है शो का हिस्सा हैं और इन दिनों आगरा में फिल्म भूमि की शूटिंग में व्यस्त हैं। 


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