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Aamir Khan के एक फैसले ने बदल दी इस एक्टर की जिंदगी, 'सरफरोश' में ऐसे हुई थी मुकेश ऋषि की कास्टिंग

सूर्यवंशम जुड़वा जैसी तमाम बॉलीवुड फिल्मों का हिस्सा रहे एक्टर मुकेश ऋषि का फिल्मी करियर सुहाना रहा है। उन्होंने ज्यादातर फिल्मों में विलेन की भूमिका ही निभाई है लेकिन स्क्रीन प्रेजेंस इतनी दमदार रही है कि नेगेटिव रोल के बाद भी लोगों का उन्हें प्यार मिलना कम नहीं हुआ। मुकेश ऋषि ने अमिताभ बच्चन से लेकर धर्मेंद्र तक के साथ काम किया है।

By Jagran News Edited By: Karishma Lalwani Published: Sat, 27 Apr 2024 10:38 AM (IST)Updated: Sat, 27 Apr 2024 10:38 AM (IST)
मुकेश ऋषि और आमिर खान. फोटो क्रेडिट- एक्स प्लेटफॉर्म

जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। एक बार इंडस्ट्री में पैर जम जाए, तो फिर सारे संघर्ष सफल लगते हैं। ऐसा ही कुछ हुआ अभिनेता मुकेश ऋषि के साथ भी। घातक, सरफरोश फिल्मों के अभिनेता मुकेश ने इंस्टाग्राम लाइव के दौरान बताया कि कैसे 25 साल पहले फिल्म 'सरफरोश' उन्हें मिली थी और वहां से करियर बदल गया था।

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'सरफरोश के मिलने की नहीं थी उम्मीद'

मुकेश ने कहा कि शुरू में पता नहीं होता है कि कैसा काम मिलेगा। मेरा कोई फिल्मी बैकग्राउंड नहीं था, इसलिए आत्मविश्वास भी कम था कि कुछ कर भी पाऊंगा या नहीं। फिर काम करते-करते बहुत कुछ सीख लिया। उम्मीद नहीं थी कि 'सरफरोश' जैसी फिल्म करियर के इतने शुरुआती दौर में मिल जाएगी।

आमिर खान के कारण मिली फिल्म

आमिर ने ही वह फिल्म मुझे दिलवाई थी। उन्होंने मुझसे कहा था कि एक रोल है, मुझे लगता है कि तुम अच्छा कर लोगे, क्या करोगे। मैंने कहा- जरूर करूंगा। फिर पता चला कि मेकर्स मेरा टेस्ट लेना चाहते हैं, मैंने वह टेस्ट भी दिया। 'सरफरोश' का सफर जबरदस्त रहा। पहले मुझे अपनी पहली फिल्म गर्दिश में बड़े कलाकारों के साथ काम करने का मौका मिला। वहां से 'सरफरोश' फिल्म तक जब मैं पहुंचा, तो वहां से करियर में बदलाव आया।

साउथ और बॉलीवुड में फर्क पर बोले मुकेश

मुकेश ने कहा कि सरफरोश फिल्म के बाद उनके लिए दक्षिण भारतीय फिल्मों के लिए रास्ते खुल गए थे। आगे दोनों इंडस्ट्री में काम करने के अंतर को लेकर मुकेश कहते हैं कि एक जैसा ही काम होता है, बस वे समय को लेकर अनुशासित लोग हैं। वक्त पर काम शुरू करते हैं, हालांकि मुझे उसमें ढलने में दिक्कत नहीं हुई। मैंने तमिल, मलयालम, कन्नड़ सब भाषाओं में काम किया है। भाषा बहुत अहम होती है । मेरा प्रयास यही रहता था कि मैं कैसे बेहतर हो सकता हूं। मैं हमेशा अलर्ट रहता हूं। जैसे ही दूसरे भाषा की स्क्रिप्ट मेरे हाथ में आती है तो मैं बच्चों की तरह लाइनें याद करने लग जाता हूं।

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