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साधना का फल मिला: पल्लवी शारदा

ऑस्ट्रेलिया में पली-बढ़ी अभिनेत्री पल्लव्वी शारदा के चेहरे पर इन दिनों खूबसूरत मुस्कराहट है। इसकी वजह साफ है। पहली बार मिला है उन्हें इतना बड़ा ब्रेक। 'माय नेम इज खान' व 'दस तोला' में कैमियो निभाने के बाद अब 'बेशर्म' में वह रणबीर कपूर की हीरोइन बन गयी हैं। पल्लवी कहती हैं

By Edited By: Published: Thu, 26 Sep 2013 02:08 PM (IST)Updated: Thu, 26 Sep 2013 03:27 PM (IST)
साधना का फल मिला: पल्लवी शारदा

ऑस्ट्रेलिया में पली-बढ़ी अभिनेत्री पल्लवी शारदा के चेहरे पर इन दिनों खूबसूरत मुस्कराहट है। इसकी वजह साफ है। पहली बार मिला है उन्हें इतना बड़ा ब्रेक। 'माय नेम इज खान' व 'दस तोला' में कैमियो निभाने के बाद अब 'बेशर्म' में वह रणबीर कपूर की हीरोइन बन गयी हैं।

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पल्लवी कहती हैं, 'इस फिल्म के लिए मेरा चयन सालों की मेरी साधना का फल है। हालांकि मुझे पता है कि हर पिक्चर के बाद एक नया स्ट्रगल शुरू होता है। एक्टिंग में अपना अलग मुकाम बनाने के लिए मुझे अभी काफी मेहनत करनी है।'

एक्ट्रेस बनना पल्लवी का बचपन का सपना था। वह कहती हैं, 'बचपन से ही मुझे हिंदी फिल्में देखने का शौक रहा है। माधुरी और श्रीदेवी का डांस व उनकी अदाकारी मुझे रोमांचित करती थी। हिंदी फिल्मों के जरिए ही भारतीय संस्कृति का भान हुआ। उसके जरिए ऑस्ट्रेलिया में बैठे-बैठे अपने देश भारत को जान व समझ सकी। जब मेरी डिग्री खत्म हुई, तो मैं मुंबई आ गई तीन साल पहले।'

पल्लवी आगे कहती हैं, 'मैं यहां किसी को जानती नहीं थी। मैंने सीधा रास्ता अपनाया। अपना पोर्टफोलियो लेकर निर्माताओं व निर्देशकों के चक्कर काटे। ऑडिशन दिए। उस बीच मैं थिएटर भी करती रही। कोरियोग्राफर वैभवी मर्चेट की बहन श्रुति के प्ले 'ताज एक्सप्रेस' में काम किया। अभिनव कश्यप को उसमें मेरा काम अच्छा लगा तो उन्होंने 'बेशर्म' के ऑडिशन के लिए बुलाया। वहां मेरी डांस स्किल काम आ गई। मैंने 15 साल भरतनाट्यम सीखा है। अभिनव को मेरी अदाकारी तो पसंद थी ही। उन्हें मेरा डांस भी कमाल का लगा। रणबीर के साथ काम करने में मुझे कोई दिक्कत नहींआई। चूंकि उन्होंने फिल्म शुरू होने से पहले अभिनव और मेरे साथ काफी समय बिताया था, इसलिए मैं उनके साथ सहज हो गयी थी।'

फिल्म में अपने किरदार के बारे में पल्लवी बताती हैं, 'तारा शर्मा दिल्ली के छोटे से मोहल्ले में रहने वाली मिडिल क्लास लड़की है। बेहद खड़ूस है। बबली यानी रणबीर का किरदार तारा के बिल्कुल उलट है। वह हंसमुख है। हर बात पर जोक क्रैक रहता है, जो तारा को पसंद नहीं। बबली उसकी जिंदगी को कैसे बदलता है, फिल्म उस बारे में है।'

(अमित कर्ण)

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