गुलशन ग्रोवर को ये काम करना "पैरों पर कुल्हाड़ी मारना" लगता है !
गुलशन कहते हैं कि उन्हें इस बात की बेहद ख़ुशी है कि वो बॉलीवुड के उन विलेन्स में से हैं जिन्हें पर्दे पर देखकर दर्शकों के मन में डर, दुःख और गुस्सा आता है।
मुंबई। बड़े परदे पर खलनायकी की परंपरा को आगे बढ़ाने वाले गुलशन ग्रोवर मानते हैं कि विलेन बनना वरदान है जबकि हीरो के रोल करना अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है।
बॉलीवुड में 'बैडमैन' के नाम से मशहूर गुलशन ग्रोवर इन दिनों एनिमेटेड फिल्म 'माहायोद्धा राम' को प्रमोट कर रहें है जिसमे उन्होंने रावण के किरदार के लिए अपनी आवाज़ दी है। एक बातचीत में उन्होंने बताया "देखिए इमेज में बंधना एक हीरो के लिए तो अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है, क्योंकि एक हीरो हमेशा एक जैसे ही हीरो के किरदार में बंध जाता है जबकि विलेन का किरदार निभाने वाले के लिए ये किसी वरदान की तरह होता है।" गुलशन कहते है "जीवन जैसे महान खलनायक से लेकर प्राण, प्रेम चोपड़ा, रंजीत, अमजद ख़ान और अमरीश पुरी का एक ऐसा किरदार कभी न कभी आया है जिसने लोगों के मन में उनकी नकारात्मक छवि बना दी और इस छवि का फ़ायदा एक विलेन के रूप में उन्हें खूब हुआ। गुलशन बताते हैं कि फिल्म 'राम लखन' के बाद जब इंटरव्यू के लिए वो एक एक मीडिया हाउस में गए थे तो उन्हें देख कर वहाँ के लोग चुप हो गए और पूरे ऑफिस में सन्नाटा छा गया था। तब उन्हें लोगों को हंसाना भी पड़ा ।
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गुलशन कहते हैं कि उन्हें इस बात की बेहद ख़ुशी है कि वो बॉलीवुड के उन विलेन्स में से हैं जिन्हें पर्दे पर देखकर दर्शकों के मन में डर, दुःख और गुस्सा आता है।