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बर्थडे स्‍पेशल: लोकल ट्रेनों में टॉफियां बेचा करते थे 'किंग ऑफ कॉमेडी' महमूद

महमूद के तीन दशक लंबे करियर में 300 से ज्यादा हिंदी फिल्में उनके नाम हैं। अभिनेता, निर्देशक, कथाकार और निर्माता के रूप में काम करने वाले महमूद ने शाहरुख खान को लेकर वर्ष 1996 में अपनी आखिरी फिल्म 'दुश्मन दुनिया का' बनाई।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 29 Sep 2016 12:11 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2016 12:17 PM (IST)

नई दिल्ली (आईएएनएस)। आज 'किंग ऑफ कॉमेडी' के नाम से मशहूर कलाकार महमूद का जन्मदिन है। महमूद का जन्म 29 सितंबर, 1932 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम करते थे। हालांकि इसके बावजूद महमूद को सफलता हासिल करने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। बताते हैं कि जिस किशोर कुमार को उन्होंने बाद में अपने होम प्रोडक्शन की फिल्म 'पड़ोसन' में काम दिया, उन्हीं किशोर कुमार ने महमूद को काम देने से इनकार कर दिया था।

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महमूद के अभिनय की गाड़ी चली तो फिर 'भूत बंगला', 'पड़ोसन', 'बांम्बे टू गोवा', 'गुमनाम', 'कुंवारा बाप' जैसी फिल्मों ने महमूद को स्थापित कर दिया। महमूद अपनी अलग अदा के लिए लोगों के चहेते बन गए, न सिर्फ फिल्मी दुनिया के लिए, बल्कि अपने प्रशंसकों के लिए भी। महमूद की भाषा में हैदराबादी अंदाज दर्शकों को बेहद पसंद आया और उनके बोलने की कला और अभिनय के लाजवाब अंदाज ने करोड़ों लोगों को अपना दीवाना बना लिया। महमूद ने जिस वक्त फिल्मों को गंभीरता से लेना शुरू किया था, उस समय भारतीय फिल्म जगत में किशोर कुमार की कॉमेडी का जादू छाया हुआ था।

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महमूद का जन्म 29 सितंबर, 1932 को मुंबई में हुआ था। उनके पिता मुमताज अली बॉम्बे टॉकीज स्टूडियो में काम करते थे। घर की आर्थिक जरूरतें पूरी करने के लिए महमूद, मलाड और विरार के बीच चलने वाली लोकल ट्रेनों में टॉफियां बेचा करते थे। बचपन के दिनों से ही महमूद का रुझान अभिनय में था। पिता की सिफारिश की वजह से 1943 में उन्हें बॉम्बे टॉकीज की फिल्म 'किस्मत' में किस्मत आजमाने का मौका मिला। फिल्म में महमूद ने अभिनेता अशोक कुमार के बचपन की भूमिका निभाई थी।

लेखक मनमोहन मेलविले ने अपने एक लेख में महमूद और किशोर के दिलचस्प किस्से को बयान किया है। इसमें कहा गया है कि महमूद ने अपने करियर के सुनहरे दौर से गुजर रहे किशोर से अपनी किसी फिल्म में भूमिका देने की गुजारिश की थी। लेकिन महमूद की प्रतिभा से पूरी तरह वाकिफ किशोर ने कहा था कि वह ऐसे किसी व्यक्ति को मौका कैसे दे सकते हैं, जो भविष्य में उन्हीं के लिए चुनौती बन जाए। इस पर महमूद ने बड़ी विनम्रता के साथ कहा कि एक दिन मैं भी बड़ा फिल्मकार बनूंगा और आपको अपनी फिल्म में भूमिका दूंगा। महमूद अपनी बात के पक्के साबित हुए और आगे चलकर जब उन्होंने अपनी होम प्रोडक्शन की फिल्म 'पड़ोसन' शुरू की तो उसमें किशोर को काम दिया। इन दोनों महान कलाकारों की जुगलबंदी से यह फिल्म बॉलीवुड की सबसे बड़ी कॉमेडी फिल्म साबित हुई।

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महमूद के तीन दशक लंबे करियर में 300 से ज्यादा हिंदी फिल्में उनके नाम हैं। अभिनेता, निर्देशक, कथाकार और निर्माता के रूप में काम करने वाले महमूद ने शाहरुख खान को लेकर वर्ष 1996 में अपनी आखिरी फिल्म 'दुश्मन दुनिया का' बनाई, लेकिन वह बॉक्स ऑफिस पर नाकाम रही। महमूद को अपने सिने करियर में तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 23 जुलाई, 2004 को महमूद इस दुनिया से हमेशा के लिए चले गए और हमारे बीच केवल उनकी खूबसूरत यादें ही बाकी हैं।


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