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खाकी वर्दी वाले..

मुंबई। खाकी वर्दी वाले यानी पुलिस की भूमिका फिल्मों में जरूर होती है, लेकिन मुख्य रूप से पुलिस वालों पर फिल्में अब ज्यादा बनने लगी हैं। इन्हें सफलता भी मिल रही हैं.. शायद ही कोई ऐसी फिल्म हो, जिसमें पुलिस की भूमिका न हो। जाहिर है, हर कहानी में एक समाज होता है अ

By Edited By: Published: Sat, 13 Sep 2014 11:27 AM (IST)Updated: Sat, 13 Sep 2014 11:27 AM (IST)
खाकी वर्दी वाले..

मुंबई। खाकी वर्दी वाले यानी पुलिस की भूमिका फिल्मों में जरूर होती है, लेकिन मुख्य रूप से पुलिस वालों पर फिल्में अब ज्यादा बनने लगी हैं। इन्हें सफलता भी मिल रही हैं..

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शायद ही कोई ऐसी फिल्म हो, जिसमें पुलिस की भूमिका न हो। जाहिर है, हर कहानी में एक समाज होता है और उसमें रहने वाले लोगों में कुछ अच्छे और कुछ खराब होते हैं। उनकी वजह से ही घटनाएं घटती हैं, फिर समाज में एंट्री होती है खाकी वर्दी वाले पुलिस की। घटना किसी भी तरह की हो, यह सच है कि वह पुलिस के जरिए ही निपटती है।

हाल की बात करें, तो पुलिस की केंद्रीय भूमिका वाली फिल्मों की सफलता में 'सिंघम रिट‌र्न्स' ने एक और ऊंचाई पाई है। फिल्म से जहां अजय देवगन को चर्चा मिली, वहीं इसने दो सौ करोड़ से अधिक की कमाई की। 'सिंघम' ने भी अच्छी सफलता पाई थी और उसमें पुलिस का असली रूप दिखा था।

खासकर ऐसी फिल्मों की बात हो, जिसमें पुलिस की अच्छी भूमिका थी, ऐसी बहुत सी फिल्में हैं, जिनमें से कुछ को तो हम झट से याद कर लेते हैं। सन 1982 में आई फिल्म 'शक्ति' में दिलीप कुमार ने बतौर कमिश्नर अपनी ड्यूटी निभाने के लिए बेटे की जिंदगी की भी परवाह न करने वाले ईमानदार ऑफिसर की भूमिका निभाई थी। फिल्म 'शहंशाह' में अमिताभ बच्चन ने ऐसे पुलिस का किरदार निभाया, जो समाज से बुराइयों को कम करने के लिए करप्शन का सहारा लेता है, जबकि 'दबंग' सीरीज में ऐसे पुलिस की भूमिका दिखी, जिसमें कॉमेडी भी थी। देखें, तो फिल्मों में पुलिस अलग-अलग रंग में आती रही है। वह कभी देशभक्त होती है, तो कभी गद्दार। उन्हें कहानी का अहम हिस्सा की तरह फिल्मों में पेश किया जाता है। कहा गया है कि जैसा समाज होगा, पुलिस के रंग भी वैसे ही होंगे, तो कहानी में पुलिस भी एक कड़ी की तरह होती है और उसके नेचर भी उसी अंदाज के।

पिछले कुछ समय से हमारे सिनेमा में पुलिसिया कहानी को अच्छे से दिखाया जा रहा है। सलमान खान की 'दबंग' और उससे पहले की 'वॉन्टेड' ने जब अच्छी कमाई की है, तभी से ऐसा कुछ दिखने लगा है। अजय देवगन की 'सिंघम' को लोगों ने आंखों में बसाया। 'जिला गाजियाबाद' में ठाकुर प्रीतम सिंह बने संजय दत्त को अच्छी चर्चा मिली। यानी खाकी रंग लगातार सुपरहिट हो रहा है।

पुलिस बनने वाले कलाकारों की बात करें, तो एक जमाना वह भी था, जब हमारे सिनेमा में पुलिस का किरदार सिर्फ सहायक की भूमिका में दिखता था। परीक्षित साहनी, इफ्तिखार, के एन सिंह, रमेश देव, जगदीश राज ऐसे ही रोल अधिक दिखे। कुछ और नाम हो सकते हैं, जिन्होंने पुलिस की भूमिका फिल्मों में निभाई है, लेकिन आज स्थिति पहले से बदली हुई है। अब बड़े-बड़े अभिनेता पुलिस का किरदार निभाते नजर आ रहे हैं और खाकी वार्दी की इस दमदार शुरुआत में सबसे बड़ा हाथ दक्षिण भारतीय फिल्मों का है। वहां की ज्यादातर फिल्में पुलिस की बहादुरी पर बनती हैं, जो हमारे यहां रीमेक होती हैं। 'सिंघम', 'वॉन्टेड' आदि वहीं की रीमेक थीं।

कुछ वर्ष पीछे जाएं, तो फिल्म 'जंजीर' में अमिताभ बच्चन ने पुलिस की भूमिका निभाई थी। विजय नाम के इस पुलिस ऑफिसर को दर्शकों ने बहुत पसंद किया था, जबकि 'दीवार' में अभिनेता शशि कपूर द्वारा निभाया गया खाकी वर्दी वाला किरदार लोगों के दिलों पर छा गया, जिसमें वे बोलते हैं, मेरे पास मां है..।

हाल में सलमान खान और रणदीप हुडा ने 'किक' में पुलिस की भूमिका निभाई और रानी मुखर्जी ने पिछले दिनों आई 'मर्दानी' में पुलिस ऑफिसर का रोल किया। अजय देवगन 'सिंघम' से पहले फिल्म 'गंगाजल' में भी ऐसा किरदार निभा चुके हैं। गोविंदा ने फिल्म 'हथकड़ी' में पुलिस ऑफिसर का किरदार निभाया था। वे फिल्म 'होलीडे' में पुलिस बने दिखे। राहुल ढोलकिया के निर्देशन में बनने वाली फिल्म 'रईस' में फरहान अख्तर पुलिस वाले बने दिखेंगे।

(रतन)

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