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उत्तराखंड की नई विधानसभा में ऐसा देखने को मिला पहली बार, जानिए..

उत्तराखंड की चौथी विधानसभा में कई बातें पहली बार देखने को मिली। कुछ विधायकों ने संस्कृत मेंं शपथ ली तो दो विधायक चैंपियन हैं। वहीं पिता पुत्र की जोड़ी भी इस विधानसभा में है।

By BhanuEdited By: Published: Wed, 22 Mar 2017 11:38 AM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2017 03:05 AM (IST)
उत्तराखंड की नई विधानसभा में ऐसा देखने को मिला पहली बार, जानिए..

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश की चौथी विधानसभा का गठन हो चुका है। इस विधानसभा में कई चीजें पहली बार देखने को मिल रही हैं। एक विधायक को छोड़ शेष सभी नवनिर्वाचित विधायक शपथ ग्रहण कर चुके हैं। शपथ ग्रहण समारोह में तकरीबन बीस ऐसे विधायक थे, जिन्होंने पहली बार सदन के भीतर प्रवेश किया है। 

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शपथ ग्रहण समारोह में सदन के भीतर का नजारा बदला हुआ दिखा। पांच साल बाद भाजपा सत्ता पक्ष के रूप में पीठ के दायीं तरफ बैठी तो वहीं, कांग्रेस बायीं तरफ नजर आई। कांग्रेस के विधायकों की संख्या कम होने के कारण विपक्ष काफी सीमित सा नजर आ रहा था। शपथ ग्रहण समारोह में ऐसी कई बातें रहीं जिन्होंने बरबस ही लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। 

संस्कृत में ली शपथ

संस्कृत में शपथ लेने को लेकर शुरुआती दौर में काफी विवाद हुआ। मंत्रिमंडल गठन के दौरान इस मसले पर कार्मिक विभाग ने मंत्रियों को संस्कृत में शपथ लेने से इन्कार कर दिया था। हालांकि, सदन के भीतर ऐसा प्रतिबंधित नहीं किया गया। ऋषिकेश विधायक प्रेमचंद्र अग्रवाल और रुद्रप्रयाग विधायक भरत चौधरी ने संस्कृत में शपथ ली। 

पिता-पुत्र की पहली जोड़ी

प्रदेश में ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी पिता और पुत्र की जोड़ी  विधानसभा पहुंची है। यह जोड़ी कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य की है। यशपाल आर्य इससे खासे प्रफुल्लित भी नजर आ रहे थे। वे अपने बेटे के कंधों पर हाथ रख ही सदन से बाहर निकले।

सदन में अब दो चैंपियन

प्रदेश की तीसरी विधानसभा में केवल कुंवर प्रणव चैंपियन ही ऐसे विधायक थे, जिनका नाम चैंपियन के रूप में दर्ज था। मंगलवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह में द्वारहाट के विधायक महेश नेगी ने शपथ लेने के दौरान अपने नाम से पहले राष्ट्रीय चैंपियन जोड़ा। 

इस पर सदन में ठहाका लगा और विधायकों ने चुटकी ली की अब सदन में दो चैंपियन हो गए हैं। गौरतलब है कि महेश नेगी इससे पहले भी दो बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन विधायक पहली बार बने हैं। उन्होंने अल्मोड़ा जिले में सर्वाधिक मतों से जीत दर्ज की। वे एथलेटिक्स में राष्ट्रीय चैंपियन रहे हैं।

शहीदों के चित्र लगाने का निवेदन

विधायक विनोद चमोली ने शपथ ग्रहण से पहले विधानसभा में शहीदों के चित्र लगाने का अनुरोध किया। इस पर उनके सहयोगी विधायकों ने बताया कि विधानसभा गैलरी में पहले से ही शहीदों के चित्र लगे हैं।

वीआइपी गैलरी से देखा शपथ लेते 

पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा सपत्नीक विधानसभा की वीआइपी गैलरी में शपथ ग्रहण समारोह के दौरान मौजूद रहे। बेटे सौरभ बहुगुणा के शपथ लेने तक वे वहीं जमे रहे। इस दौरान उनकी नजरें अपने बेटे पर ही जमीं रही। 

कुंजवाल के शपथ ग्रहण पर चुटकी

विधायक व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल के शपथ ग्रहण के दौरान भाजपा विधायकों ने चुटकी ली। उन्होंने कहा कि समय बदलते देर नहीं लगती। उन्होंने कहा कि आप ही की वजह से आज स्थिति बदली हुई है। 

हरीश धामी की जगह हरीश रावत

शपथ ग्रहण समारोह के दौरान हरीश सिंह धामी का नाम पुकारने में थोड़ी हड़बड़ी हो गई। इस दौरान उनका नाम हरीश रावत पुकार लिया गया। दरअसल सूची में हरीश धामी का नाम हरीश सिंह धामी लिखा गया था जल्दबाजी में इसे हरीश रावत पुकार लिया गया। इससे सदन में ठहाके गूंज उठे। 

अब तो केदारनाथ आएं नरेंद्र मोदी

केदारनाथ विधायक मनोज रावत का कहना है कि प्रदेश में आई आपदा के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केदारनाथ का दौरा करना चाह रहे थे। तब प्रदेश में कांग्रेस सरकार थी। अब सत्ता बदल चुकी है, ऐसे में प्रदेश में सुगम पर्यटन का संदेश देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को उत्तराखंड आना चाहिए। 

निर्दलीय हूं, नहीं किसी से मतभेद

पहली बाद चुन कर आए निर्दलीय विधायक राम सिंह कैड़ा ने कहा कि उनका किसी दल से वैचारिक मतभेद नहीं है। वे निर्दलीय हैं। उनकी प्राथमिकता भीमताल के लिए काम करना है, इसके लिए वे मुख्यमंत्री से पूरा सहयोग लेंगे। 

पहली बार केवल दो निर्दलीय 

प्रदेश में यह पहली बार हुआ है जब केवल दो निर्दलीय विधायक ही सदन तक पहुंच पाए हैं। अब तक तीनों विधानसभा चुनावों में हर बार तीन-तीन निर्दलीय विधायक सदन में पहुंचे थे। भाजपा को पूर्ण बहुमत होने के कारण ये विधायक विपक्ष में ही बैठे नजर आए। इस बार बसपा का कोई विधायक सदन में नहीं है।

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