उत्तराखंड में आसान नहीं होगी भाजपा सरकार की डगर
तीन चौथाई बहुमत के साथ राज्य की बागडोर संभालने वाली भाजपा सरकार की डगर आसान नहीं होगी। फैसले लेने के मामले में खरा उतरना बड़ी चुनौती होगी।
देहरादून, [अनिल उपाध्याय]: तीन चौथाई बहुमत के साथ राज्य की बागडोर संभालने वाली भाजपा सरकार की डगर आसान नहीं होगी। फैसले लेने के मामले में भले ही भाजपा को फ्री हैंड मिले, लेकिन जनता की भावनाओं पर खरा उतरना बड़ी चुनौती होगी। भ्रष्टाचार पर काबू पना, कर्ज में डूबे राज्य की आर्थिक स्थिति मजबूत करना, बेरोजगारी और पलायन जैसे मुद्दे भी भाजपा की परीक्षा लेंगे।
सुशासन बड़ी चुनौती
बीते वर्ष 18 मार्च को कांग्रेस सरकार को अल्पमत में लाने की कोशिश के साथ शुरू हुई राज्य को कांग्र्रेस मुक्त करने की भाजपा की चाह आखिरकार ठीक एक साल बाद 18 मार्च को ही पूरी हुई, लेकिन जिस भरोसे के साथ जनता ने भाजपा के हाथ में राज्य की बागडोर थमाई है, उस पर खरा उतरना इतना आसान नहीं होगा।
भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सत्ता में आई भाजपा को अब साबित करना होगा कि राज्य के लोगों को सुशासन मिले। यह इतना आसान नहीं होगा। सरकारी विभागों की जड़ों और राजनीति की रगों में भ्रष्टाचार गहरे तक बसा है।
ऐसे में भाजपा सरकार के सामने यह बड़ी चुनौती होगी कि कैसे पूरी व्यवस्था को बदलें और लोगों को यह बदलाव महसूस भी हो। छोटे-छोटे कामों के लिए भटकने वाले आम आदमी की अगर यह इच्छा पूरी नहीं होती तो इसे भाजपा की विफलता माना जाएगा।
कैसे होगा आर्थिक विकास
भाजपा के सामने दूसरी सबसे बड़ी चुनौती राज्य पर चढ़े करीब 470 अरब के कर्ज को कम करने और राज्य की आय बढ़ाने की होगी। राज्य के कार्मिकों को वेतन देने तक के लिए खजाने में राशि नहीं है। पूर्ववर्ती सरकार रिर्जव बैंक से कर्ज लेकर कर्मियों को वेतन दे रही थी।
इसके साथ ही राज्य के पास आय के पर्याप्त साधन नहीं हैं। इसके लिए न केवल नई सरकार को ठोस नीति बनानी होगी, बल्कि प्रत्यक्ष आय के साधन भी विकसित करने होंगे।
बेरोजगारी और पलायन समस्या
राज्य के 21 लाख प्रशिक्षित और अप्रशिक्षित बेरोजगारों को काम देना भी सरकार के लिए आसान नहीं होगा। राज्य में रोजगार के साधन सृजित करने और युवाओं को रोजगार देने के लिए भी नवोदित सरकार को ठोस और स्थाई नीति बनानी होगी।
राज्य सरकार के लिए राज्य से पलायन रोकना भी एक बड़ा मुद्दा होगा। राज्य से हर साल हजारों युवा रोजगार और शिक्षा के लिए पलायन करते हैं। इसके चलते सैकड़ों गांव सूने हो गए हैं। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में भी इन बिंदुओं को शामिल किया है। पलायन रोकने के लिए भी भाजपा को रोजगार के स्थाई साधन विकसित करने होंगे।
शिक्षा और स्वास्थ्य बड़े मुद्दे
राज्य में बंद पड़ी और अधूरी जल विद्युत परियोजनाओं को शुरू कराने के लिए भी सरकार को ऐसी नीति बनानी होगी, जो आम जनता, पर्यावरण और रोजगार के नजरिये से अनुकूल हो। इनके अलावा शिक्षा, स्वास्थ्य और ढांचागत विकास भी सरकार की परीक्षा लेंगे।
राज्य के तमाम शिक्षण संस्थानों की हालत बदतर है। मानव संसाधन से लेकर संसाधनों के मामले में सभी संस्थान बुरे दौर से गुजर रहे हैं। इसके साथ ही शासन के दखल के कारण अच्छे अधिकारी संस्थानों में रुकने को तैयार नहीं हुए। इस मुद्दे पर भी सरकार को ठोस कदम उठाने होंगे।
स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति देखें तो आपदा और हादसों से प्रभावित इलाकों तक में न चिकित्सक हैं और न ही संसाधन। ऐसे में सरकार के लिए राज्य के लोगों को सुलभ और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना भी प्राथमिकताओं में शामिल करना होगा।
ढांचागत विकास भी लेगा परीक्षा
केंद्र सरकार न ऑल वेदर रोड के माध्यम से चारधाम तक अच्छी सड़कें देने की परियोजना तो शुरू कर दी है, लेकिन अभी राज्य के सैकडों गांव सड़कों से दूर हैं। लोगों को बीमारी और परेशानी के हालात में कई कई मील पैदल सफर करना पड़ा है।
राज्य की नई सरकार को इस इसके लिए भी ठोस कार्ययोजना बनानी होगी और लोगों को विश्वास दिलाना होगा कि उनका फैसला गलत नहीं था। ये तमाम चुनौतियां सरकार के अस्तित्व में आने के पहले दिन से सामने होंगी। भाजपा सरकार और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत अगर इन चुनौतियों से पार पा गए तो भाजपा के लिए राज्य में एक मजबूत आधार तैयार होगा।
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