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उत्तर प्रदेश चुनाव: पांचवें चरण के मतदान में सियासी आंगन में नई पौध

पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह और दूसरी पत्नी अमिता सिंह के बीच अमेठी में जंग चल रही है। यहां भी इंसाफ का नारा गूंज रहा है।

By Digpal SinghEdited By: Published: Sat, 25 Feb 2017 09:48 AM (IST)Updated: Mon, 27 Feb 2017 04:16 PM (IST)
उत्तर प्रदेश चुनाव: पांचवें चरण के मतदान में सियासी आंगन में नई पौध
उत्तर प्रदेश चुनाव: पांचवें चरण के मतदान में सियासी आंगन में नई पौध

आनन्द राय, लखनऊ। पांचवें चरण में 11 जिलों की 51 सीटों पर 27 फरवरी को विधानसभा का चुनाव हो रहा है। यह क्षेत्र बाकी इलाकों से अलग है, क्योंकि उत्तर प्रदेश की सियासत को बिल्कुल अलग मुकाम पर ले जाने वाले अयोध्या की भूमि इसी सरहद में है। यह गौतम बुद्ध की धरती है। इसी इलाके ने पहली बार पं. अटल विहारी वाजपेयी के लिए संसद का मार्ग प्रशस्त किया। यहां इस बार राजनीतिक परिवारों की वंशबेल फैलती दिखाई पड़ रही है तो सियासी आकाश में कई नए परिंदे भी उड़ने को बेताब हैं।

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पांचवें चरण में पूर्वजों की आन-बान के खूंटें संभालने को आतुर नई पौध का उत्साह देखते ही बन रहा है। यहां कोई पतझड़ नहीं है बल्कि हरे-भरे पेड़ खुद अपने नये पत्तों को हवा दे रहे हैं। सियासत के आंगन में नए बिरवे उगने को बेताब हैं। पिता अपने पुत्र को खाद-पानी दी हुई अपनी जमीन को सौंप चुका है। माताएं राजनीति के आशीर्वाद दे रही हैं। भाई अपनी महत्वाकांक्षा से परे अपने अनुज के लिए राह बना रहा है। कहने को कह सकते हैं कि वंशबेल ऊपर चढ़ रही है लेकिन, रिश्तों का एक नया अहसास भी देखने को मिल रहा है।

सुलतानपुर जिले में विधायक पिता इंद्रभद्र सिंह की हत्या के बाद प्रतिशोध की आग में दहकते भाइयों पर भारतीय दंड विधान संहिता की धाराओं का बोझ भले बढ़ा, लेकिन राजनीति में उन्होंने अपना मुकाम भी हासिल किया। इंद्रभद्र के पुत्र चंद्रभद्र विधायक हो गये और यशभद्र ब्लाक प्रमुख। अब इसौली सीट पर यशभद्र रालोद के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं तो चंद्रभद्र ने उनके लिए अपनी पूरी ताकत लगा रखी है। बाहुबली सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह राजनीति में खुद सक्रिय हैं और बेटे के लिए भी राह बनाने में आगे बढ़ गए हैं। ब्रजभूषण के पुत्र प्रतीक भूषण सिंह भाजपा के टिकट पर गोंडा में मुकाबिल हैं।

अंबेडकरनगर जिले में जलालपुर क्षेत्र से कई बार विधायक रहे शेरबहादुर सिंह पिछली बार सपा से जीते थे। हाल में वह भाजपा में शामिल हुए तो लोग कहने लगे कि वह फिर किस्मत आजमाएंगे लेकिन, उनका सारा प्रेम पुत्र के लिए उमड़ पड़ा। शेरबहादुर के बेटे डॉ. राजेश सिंह को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। बहराइच के मटेरा में यासर शाह पिछली ही बार अपने पिता के साथ विधानसभा में चुनकर आ गए थे। यासर शाह मंत्री भी बने और अब परिवार की परंपरा और प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाने में फिर सपा के टिकट पर मटेरा में जूझ रहे हैं।

पूर्व मंत्री घनश्याम शुक्ल के निधन के बाद उनकी पत्नी नंदिता शुक्ला ने गोंडा के मेहनौन से 2012 में सपा के टिकट से विधानसभा चुनाव जीता। पर इस बार वह मैदान में नहीं हैं। उन्होंने अपने पुत्र राहुल शुक्ला को सपा का टिकट सौंप दिया है। इसी तरह सिद्धार्थनगर के शोहरतगढ़ क्षेत्र में पूर्व मंत्री दिनेश सिंह की विधायक पत्नी लालमुनी सिंह ने अपने पुत्र उग्रसेन सिंह को सपा के टिकट पर मैदान में उतारकर अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षा की तिलांजलि दे दी है। वह पुत्र को स्थापित करने के लिए ताकत लगा रही हैं।

आंचल का परचम

'तेरे माथे पे ये आंचल बहुत ही खूब है लेकिन, तू इस आंचल से इक परचम बना लेती तो अच्छा था।' शायर मजाज की यह रचना आधी आबादी को प्रेरित करती है। चुनाव के मैदान में भी यह बहुत सटीक दिख रही हैं क्योंकि अबकी बार कई महिलाओं ने अपने आंचल को परचम बना लिया है। अंबेडकरनगर की टांडा विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2013 में राम बाबू गुप्ता की हत्या कर दी गयी और बाद में उनके मुकदमे की पैरवी करने वाले भतीजे को भी मार दिया गया। पति और भतीजे की मौत के वक्त राम बाबू की पत्नी संजू देवी एक सामान्य गृहिणी थीं और राजनीति से दूर-दूर तक उनका कोई वास्ता नहीं था। संजू देवी ने परिवार के ऊपर आक्रांताओं के हमले के खिलाफ आवाज उठाई और अब वह जनता की अदालत में पति के खून का इंसाफ मांग रही हैं। संजू देवी को भाजपा ने उम्मीदवार बनाया है। संजू ही क्यों, अमेठी राजघराने की एक बहू भी इंसाफ के लिए क्रांति का ध्वज लेकर मैदान में खड़ी है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह और दूसरी पत्नी अमिता सिंह के बीच अमेठी में जंग चल रही है। यहां भी इंसाफ का नारा गूंज रहा है। अमिता कांग्रेस और गरिमा भाजपा की उम्मीदवार हैं। राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह जिन्होंने बीकापुर को अपना क्षेत्र बनाया और पिछले उपचुनाव में पराजित हो गये थे के निधन के बाद उनकी राजनीतिक जमीन पर पत्नी शोभा देवी उतरी हैं। मुन्ना सिंह के जीवनकाल में सियासत से दूर घर-गृहस्थी में सक्रिय उनकी पत्नी अब भाजपा के टिकट पर बीकापुर में मुकाबिल हैं। अपने पति को सच्ची श्रद्धांजलि के लिए वह चुनाव को गति देने में लगी हैं। बहराइच विधानसभा क्षेत्र सपा सरकार के मंत्री रहे डॉ. वकार अहमद शाह के नाम कई बार दर्ज रहा। 2012 में चुनाव जीतने के बाद वह मंत्री भी बने लेकिन तबियत खराब होने के बाद वह बिस्तर पर हैं। उनकी सीट पर उनके इकबाल को बुलंद रखने के लिए उनकी पत्नी रुबाब सईदा ने पर्चा भरा है। सईदा बहराइच की सांसद भी रह चुकी हैं।

राजघरानों की प्रतिष्ठा

अमेठी के राजघराने भूपति भवन से संजय सिंह की पत्नी गरिमा सिंह और अमिता सिंह, शोहरतगढ़ क्षेत्र में शोहरतगढ़ स्टेट के रवीन्द्र प्रताप चौधरी उर्फ पप्पू चौधरी, बांसी स्टेट के राज कुमार जयप्रताप सिंह, बस्ती स्टेट के राजा ऐश्वर्य राज सिंह, परसापुर स्टेट घराने के योगेश प्रताप सिंह समेत राजघरानों के कई वारिस चुनाव मैदान में मुकाबिल हैं। इनमें कई विधानसभा में पहले से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते आ रहे हैं।

दिग्गज और दागी भी दांव पर

समाजवादी सरकार के मंत्री विनोद कुमार सिंह उर्फ पंडित सिंह- तरबगंज, मंत्री तेजनारायण पाण्डेय उर्फ पवन पाण्डेय-अयोध्या, मंत्री शंखलाल मांझी-जलालपुर, पूर्व मंत्री राजकिशोर सिंह-हर्रैया, अकबरपुर में मंत्री राममूर्ति वर्मा और उनके मुकाबले बसपा के प्रदेश अध्यक्ष राम अचल राजभर समेत कई दिग्गजों को भी इस चुनाव में लोहे के चने चबाने पड़ रहे हैं। विरोधियों ने इन दिग्गजों की राह रोकने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। सपा सरकार के परिवहन मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति का चुनाव क्षेत्र अमेठी इसी चरण में है। दुष्कर्म के आरोप में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज होने के बाद गायत्री की मुश्किल बढ़ गई है। समूचा विपक्ष उन पर आक्रामक है।

पांचवां चरण

कुल 11 जिले - बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सुलतानपुर अमेठी, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संतकबीरनगर।

कुल सीटें - 51

जिन सीटों पर पांचवे चरण में चुनाव हो रहा है वहां, 2012 में किसको मिली कितनी सीटें

सपा - 37

बसपा - 03

भाजपा - 05

कांग्रेस - 05

पीस पार्टी - 02

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