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Rajasthan Chunav 2018: जयपुर जिला के 19 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 पर बागी उम्मीदवार

Rajasthan Chunav 2018, राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए मरू प्रदेश की राजधानी की 19 में से सात सीटों पर बागियों की आवाज काफी बुलंद है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 10:15 AM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 10:15 AM (IST)
Rajasthan Chunav 2018: जयपुर जिला के 19 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 पर बागी उम्मीदवार
Rajasthan Chunav 2018: जयपुर जिला के 19 विधानसभा क्षेत्रों में से 7 पर बागी उम्मीदवार

जयपुर, बिजेंद्र बंसल। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए मुख्य राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस में सीधी टक्कर है मगर मरू प्रदेश की राजधानी की 19 में से सात सीटों पर बागियों की आवाज काफी बुलंद है। भाजपा और कांग्रेस के ये बागी जहां अपने दलों के अधिकृत प्रत्याशियों के लिए कड़ी चुनौती पेश कर रहे हैं वहीं जयपुर से पूरे प्रदेश की राजनीति के लिए किसी भी दल के पक्ष में जाने वाले एकतरफा संदेश को भी रोक रहे हैं।

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यूं तो जयपुर भाजपा का गढ़ माना जाता है, 2013 में भी यहां की 19 सीटों में से सिर्फ एक सीट ही गैर भाजपा दल में गई थी। तब मरू प्रदेश की राजधानी से पूरे राजस्थान के लिए एकतरफा संदेश था कि राज्य की जनता कांग्रेस के खिलाफ भाजपा की सरकार बना रही है। इस बार जनवरी 2018 में हुए अजमेर और अलवर लोकसभा क्षेत्र की 16 विधानसभा और एक अन्य विधानसभा के उपचुनाव में भाजपा का सूपड़ा साफ होने के बाद यह माना जा रहा था कि राज्य की जनता भाजपा सरकार को बदलने के मूड बना चुकी है।

मगर कांग्रेस और भाजपा के टिकट वितरण के बाद कम से कम जयपुर की जनता का मूड अब बदला हुआ नजर आ रहा है। इसका कारण है कि यहां की 19 में से सात सीटों पर भाजपा व कांग्रेस के बागी उम्मीदवार हैं। इनमें शहरी सीट सांगाने, आमेर और विद्याधरनगर तथा ग्रामीण सीट कोटपूतली, दूदू,फुलेरा सहित चौमूं से बागियों ने भाजपा व कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के समीकरण बिगाड़े हुए हैं।

हालांकि राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि बृहस्पतिवार को नामांकन वापसी के बाद ही असल तस्वीर साफ होगी क्योंकि सभी सीटों पर नाम वापस लेने की 22 नवंबर अंतिम तारीख है।

बागियों के कारण सांगानेर बनी हुई है हॉट सीट

जयपुर की सांगानेर शहरी सीट है। पहले इसे ग्रामीण सीट माना जाता था मगर 2009 के परिसीमन के बाद यह पूरी तरह शहरी सीट बन गई है। जैसे इस सीट का स्वरूप बदला है वैसे ही इस बार भाजपा के एक बागी ने यहां का राजनीतिक वातावरण बदल दिया है। यह ऐसी सीट है जहां भाजपा के दो निवर्तमान विधायक बिना भाजपा के चुनाव चिन्ह चुनाव में ताल ठोकी थी। मगर अब इनमें से एक ने भाजपा प्रत्याशी के समर्थन में बैठने का निर्णय ले लिया है। भाजपा की टिकट जयपुर के महापौर अशोक लाहौटी को दी गई है।

लाहौटी वैश्य बिरादरी से हैं और जयुपर के सांसद रामचरण बोहरा के नजदीकी हैं। रामचरण बोहरा 2014 का लोकसभा चुनाव 5 लाख से भी अधिक मतों से जीतने वाले सांसद हैं। इनका पूरे जयपुर में काफी वर्चस्व है। अशोक लाहौटी राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं और विद्यार्थी परिषद से छात्र संघ राजनीति की है।

लाहौटी के सामने कांग्रेस ने अपने 2013 में रहे उम्मीदवार संजय बापना की जगह पुष्पेंद्र भारद्वाज को उतारा है। पुष्पेंद्र भारद्वाज भी राजस्थान विश्वविद्यालय छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं तथा एनएसयूआई से छात्र राजनीति करते थे। भाजपा और कांग्रेस ने बेशक दो छात्र नेताओं को इस विधानसभा चुनाव मैदान में उतारा है मगर इस सीट से पिछली बार भाजपा की टिकट पर चुनाव जीते घनश्याम तिवाड़ी और अलवर जिला के रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र से 2013 का चुनाव भाजपा की टिकट पर जीते ज्ञानदेव आहूजा ने ताल ठोक दी थी ।

तिवाड़ी भाजपा में रहते हुए पिछले पांच साल मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के धुर विरोधी रहे। इसका उन्हें इस चुनाव में फायदा मिल रहा है। संघ कॉडर के कार्यकर्ताओं से लेकर सत्ताविरोधी लहर का उन्हें कांग्रेस से ज्यादा फायदा हो रहा है। हालांकि ज्ञानदेव आहूजा ने बुधवार थे शाम भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के मनाने पर भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में अपना नामांकन वापस लेने का निर्णय ले लिया है।


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