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पंजाब Election: कांग्रेस को मुन्नी, राहुल को पप्पू बताने वाले सिद्धू कांग्रेस में

पंजाब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। उन्होंने नई दिल्ली में राहुल गांधी की उपस्थिति में कांग्रेस का दामन थामा।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 15 Jan 2017 11:16 AM (IST)Updated: Sun, 15 Jan 2017 05:29 PM (IST)
पंजाब Election: कांग्रेस को मुन्नी, राहुल को पप्पू बताने वाले सिद्धू कांग्रेस में

जेएनएन, चंडीगढ़। आखिरकार नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है। नवजोत रविवार दोपहर नई दिल्ली में राहुल गांधी के पास पहुंचे और कांग्रेस का दामन थामा। कई दिनों से कयास लगाए जा रहे थे कि नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस में शामिल होंगे। पहले राहुल गांधी के देश के बाहर होने के कारण वह कांग्रेस में शामिल नहीं हो पाए थे। राहुल के लौटने के बाद से ही चर्चा थी कि वह जल्द ही कांग्रेस का दामन थामेंगे।

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'कांग्रेस दी साख नई रई, कांग्रेस मुन्नी ते शीला नालो ज्यादा बदनाम हो गई... ते जलेबी बाई तो ज्यादा नीलाम हो गई।' नवजोत सिंह सिद्धू की 'सिद्धूवाणी' कुछ यूं ही कांग्रेसियों के दिलों को छलनी करती रही। कभी राहुल गांधी को पप्पू तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को व्यर्थशास्त्री कहने वाले सिद्धू ने दिल्ली में कांग्रेस का दामन थामा। 2004 से 2014 तक कांग्रेस व कांग्रेसियों को कोसने वाले सिद्धू के कांग्रेस में शामिल होने पर लंबे समय तक असमंजस बना हुआ था।

नई दिल्ली में राहुल गांधी से मिलने जाते नवजोत सिंह सिद्धू।

गुरु, सिक्कर सिद्धू, शैरी, शैरी पाजी के नामों से जाने जाते सिद्धू ने 2004 में गुरु नगरी में भगवा ब्रिगेड का झंडा उठा अपनी सियासत की शुरू की थी। अमृतसर लोकसभा सीट पर लगातार तीन बार जीतते हुए हैट्रिक बनाई। 2014 में भाजपा ने सिद्धू की टिकट काट वरिष्ठ नेता व सिद्धू के राजनीतिक गुरु अरुण जेटली को मैदान में उतारा। तभी से ही सिद्धू और भाजपा में दूरियां बननी शुरू हो गई थीं। भाजपा की शीर्ष लीडरशिप के आग्रह के बावजूद सिद्धू जेटली के चुनाव प्रचार में नहीं आए। इससे कटुता और बढ़ी। उनकी धर्मपत्नी व पंजाब सरकार में मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) रहीं डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने भी जेटली के चुनाव में औपचारिकता मात्र काम किया।

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लोकसभा चुनाव के बाद डॉ. सिद्धू ने खुलकर अकाली दल और भाजपा पर हमले शुरू कर दिए, तभी से कयास लगने शुरू हो गए थे कि दोनों पार्टी छोड़ जाएंगे। पहले दम्पति का रुझान आम आदमी पार्टी की तरफ रहा। डॉ. सिद्धू ने तो सीपीएस रहते हुए आप का गुणगान करना शुरू कर दिया था, पर अंतिम समय में वे कांग्रेस में चली गईं और आज सिद्धू ने भी कांग्रेस ज्वाइन कर ली।


अप्रैल में मिली राज्यसभा सीट जुलाई में त्यागी

2014 के संसदीय चुनाव के बाद ही सिद्धू गुरु नगरी से ही नहीं भाजपा से भी दूर रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें राज्यसभा की सदस्यता से नवाजा और सिद्धू ने 28 अप्रैल को शपथ ली। पर लगभग ढाई माह बाद ही 18 जुलाई को उन्होंने राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया। इतना ही नहीं 13 सितंबर को भाजपा की सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया और आवाज-ए-पंजाब फ्रंट का गठन किया। दूसरी तरफ उनकी धर्मपत्नी ने 8 अक्टूबर 2016 को भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया और वे 28 नवंबर 2016 को कांग्रेस ज्वाइन कर गईं।

सिद्धू ने गुरु नगरी में बनाई हैट्रिक

अमृतसर लोकसभा सीट के 1952 से चले इतिहास में 17 चुनाव हुए, जिसमें 10 बार सीट कांग्रेस का कब्जा रहा। भाजपा को सीट पर लंबे समय तक काबिज करवाने में सिद्धू की अहम भूमिका रही। सिद्धू के आने के बाद भाजपा ने लगातार चुनाव जीता और हैट्रिक बनाई। 2004 में भाजपा की टिकट पर चुनाव लड़े नवजोत सिंह सिद्धू ने कांग्रेस के आरएल भाटिया को 1,09,532 मतों से पराजित किया। 2007 में हुए उपचुनाव में सिद्धू ने कांग्रेस के सुरेंद्र सिंगला को 77,626 और 2009 में कांग्रेस के ओपी सोनी को 6,858 मतों से पराजित किया।

कांग्रेस व कांग्रेसियों पर सिद्धू की ओर से किए गए समय समय पर कुछ तीखे हमले इस प्रकार हैं--

-अन्नी दे नैया नू खुमार आया है, अज्ज गंजी ने कंघी नाल प्यार आया ए, वेचे सी जिना ने अपने शहीदा दे कफन, हुन ओहणा दा कांग्रेस दी वजीरी च शुमार आया ए।
-कांग्रेस के पास नेतृत्व नहीं। पप्पू प्रधानमंत्री है कांग्रेस दा। ओनू तुनके कोई पीछो मारदा। मजबूर प्रधानमंत्री ईमानदार नहीं हो सकता। मैंनू ते शक है सरदार वी है के नइ। सरदार होवे न होवे, असरदार बिल्कुल नहीं है। कहंदा अर्थशास्त्री है, मैं कहता हूं व्यर्थशास्त्री है।
-महंगाई नहीं, कांग्रेस का हाथ हर रोज आम आदमी के मुंह पर थप्पड़ बनकर गूंज रहा है। कांग्रेस का हाथ जेबकतरा बन गया है और गरीबों की जेबें काट रहा है।
-सिद्धू ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को कभी पप्पू कहा, तो कभी सोनिया गांधी को इटली की मेम कह कांग्रेसियों पर कटाक्ष किए।

सिद्धू जी ही ईस्ट से चुनाव लड़ेंगे : डा. सिद्धू

नवजोत सिंह सिद्धू के दो सीटों से चुनाव लडऩे की बातों को नकारते हुए उनकी पत्नी डॉ. नवजोत कौर सिद्धू ने कहा कि सिद्धू जी मेरी अमृतसर ईस्ट की सीट से ही चुनाव लड़ेंगे। वे कल गुरु नगरी आ जाएंगे और बाकी की रणनीति वे खुद आकर बताएंगे। अकाली दल द्वारा पिछले दस सालों से पंजाब में बनाए गए गुंडागर्दी, पंजाब को तबाह करने, माफिया राज के हालात को लोग भूल नहीं हैं। कैप्टन पहले ही पंजाब में सरकार बना रहे थे, ऐसे में सिद्धू के आने के बाद इस पर ओर मुहर लग गई है। सिद्धू पंजाब के 117 विधानसभा सीटों पर 70 रैलियां करेंगे। बाकी जो हाईकमान का आदेश होगा, उसके मुताबिक काम किया जाएगा।

सिद्धू का सियासी करियर

-2004 में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर अमृतसर लोकसभा चुनाव जीता।
-2006 सितंबर में गैर इरादतन हत्या के लिए तीन साल कैद की सजा सुनाई गई।
-2007 जनवरी में त्यागपत्र देकर उच्चतम न्यायालय में अपील। सजा पर रोक
-2007 फरवरी अमृतसर लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव लडऩे की इजाजत
-2007 में उप-चुनाव में कांग्रेस के पूर्व वित्त मंत्री सुरिंदर सिंगला को हराया
-2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के ओम प्रकाश सोनी को हरा कर तीसरी बार जीते।
-2014 में सिद्धू की जगह भाजपा ने वरिष्ठ नेता अरुण जेटली को टिकट दी, लेकिन जेटली कैप्टन से हार गए
-28 अप्रैल, 2016 में सिद्धू को राज्यसभा भेज दिया गया।
-18 जुलाई, 2016 में राज्य सभा से इस्तीफा दे दिया
-8 सितंबर, 2016 को उन्होंने परगट सिंह व बैंस बंधुओं साथ मिलकर आवाज-ए-पंजाब फ्रंट बनाया, लेकिन बैंस बंधुओं ने आप से गठबंधन कर लिया और परगट कांग्रेस में चले गए।
-इस बीच कई बार उनके आप में जाने की अटकलें चलीं, लेकिन सिद्धू सीएम का पद मांग रहे थे। आप ने इन्कार करने पर उन्होंने राहुल गांधी से कई बार मुलाकात की।
-28 नवंबर, 2016 को परगट व सिद्धू डॉ. नवजोत कौर सिद्धू कांग्रेस में शामिल हो गए
-15 जनवरी, 2017 को आखिरकार कांग्रेस में शामिल हो गए।

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