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श्मशान घाट भी नहीं बचे राजनीतिक चर्चा से, मुखाग्नि के साथ ही राजनीति की बातें

शवयात्रा के पहुंचने में कुछ समय था अचानक कुछ लोग छोटे छोटे ग्रुप में बंट गए और कुछ गहन चर्चा करने लगे। नजदीक जाकर सुना तो राजनीति पर चर्चा चल रही थी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 22 Apr 2019 09:15 AM (IST)Updated: Tue, 23 Apr 2019 05:37 PM (IST)
श्मशान घाट भी नहीं बचे राजनीतिक चर्चा से, मुखाग्नि के साथ ही राजनीति की बातें
श्मशान घाट भी नहीं बचे राजनीतिक चर्चा से, मुखाग्नि के साथ ही राजनीति की बातें

लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। समय दोपहर 12 बजे। स्थान लुधियाना के बाजवा नगर का श्मशान घाट। किसी परिचित के देहांत के बाद अंतिम संस्कार के मौके पर पहुंचा। पार्थिव शरीर के इंतजार में लोग पहले से ही वहां खड़े थे। अभी शवयात्रा के पहुंचने में कुछ समय था, अचानक कुछ लोग छोटे छोटे ग्रुप में बंट गए और कुछ गहन चर्चा करने लगे। मुझे लगा जैसे वे मृतक के जीवन के बारे में बातचीत कर रहे हैैं। मैैं भी उन्हें सुनना चाहता था, एक ग्रुप के पास पहुंचा तो वहां मृतक के जीवन संघर्ष के बजाय लोकसभा चुनाव पर चर्चा हो रही थी। ऐसा ही माहौल कुछ अन्य लोगों के ग्रुप में भी था।

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कुछ लुधियाना के सांसद के कार्यकाल की खामियां निकालते रहे तो कुछ उम्मीदवारों की काबिलियत पर चर्चा करते दिखे। अपने मृतक रिश्तेदार को विदाई देने पहुंचे एक बुजुर्ग भी चर्चा में भाग लेने से पीछे नहीं रहे। उनका कहना था कि 50 सालों से विभिन्न दलों के दावों और वादों का छलावा ही देखते आ रहे हैैं। मतदाता को विकास के नाम पर कुछ नहीं मिलता। यह भी इत्तेफाक था कि जो दुनिया छोड़ चला गया उसके सभी राजनीतिक दलों से अच्छे संबंध होने के कारण हर पार्टी की झलक उनकी शवयात्रा में देखने को मिली।

अभी लोगों की चर्चाओं को सुन ही रहा था कि इतने में शव वाहन श्मशान घाट पहुंच गया। लोग चर्चाओं को अधूरी छोड़ चिता की ओर बढ़ गए। अरदास के बाद जैसे ही चिता को अग्नि भेंट किया गया एक बार फिर लोग अलग-अलग ग्रुप में नजर आए। उन्हें इंतजार था कि पारिवारिक सदस्य गेट पर खड़े होंगे तो विदा ली जाए, लेकिन इन घड़ियों में भी लोगों के ग्रुप एक बार फिर उम्मीदवारों, राजनीतिक दलों और उनके कामों पर चिंतन में जुट गए। वहां मौजूद एक बुजुर्ग नेताजी तो हर दल के नेताओं का इतिहास बयां करने में जुट गए।

नेताओं का भी रुख श्मशान घाट की ओर

चुनाव लड़ रहे नेता भी आजकल ऐसी जगह ढूंढ रहे हैैं जहां एक साथ बड़ी संख्या में लोगों मिल जाएं। नेता पहले धार्मिक स्थलों का रुख करते थे लेकिन चुनाव आयोग की सख्ती ने नेताओं के पैर श्मशान घाट की तरफ मोड़ दिए हैैं। लोकसभा चुनाव लड़ रहे आम आदमी पार्टी के पैराशूट उम्मीदवार भी इसी दौरान अपने समर्थकों के साथ श्मशान घाट पहुंच गए। नेताजी के गले में उनकी पार्टी का स्कार्फ बंधा था। शवयात्रा आने से पहले ही नेताजी वहां उपस्थित ज्यादा से ज्यादा लोगों के पास जाकर मिले और वहां से निकल गए।

श्मशान घाट में भी सियासी पार्टी का झंडा

चुनाव आयोग ने भले ही सार्वजनिक व धार्मिक स्थलों पर किसी तरह की चुनावी सामग्री लगाने से मना किया है। परंतु श्मशान घाट अब राजनीतिक दलों के निशाने पर हैं। श्मशान घाट के अंदर एक राजनीतिक दल का विशाल झंडा लगा हुआ है। श्मशान घाट में काम करने वाले एक व्यक्ति से इस बारे में पूछा गया तो उसका कहना था कि पता नहीं कौन यहां लगा गया है।

शिकायत मिलेगी तो कार्रवाई होगी

लुधियाना की एआरओ सोनम चौधरी का कहना है कि श्मशान घाट में श्रद्धांजलि देने कोई भी जा सकता है। यदि वहां किसी तरह के झंडे लगे हैं और इसकी शिकायत प्रशासन को मिलती है, तो नियमों के अनुसार कार्रवाई की जा सकती है।

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