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MP Election 2018 : 21 करोड़ जब्त, इसमें इजाफा होगा, हम चुनाव को कहां ले जा रहे हैं: ओपी रावत

MP Election 2018 मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि कार्रवाई के दृष्टिकोण से तो यह अच्छा है पर चिंता का कारण भी है क्योंकि अभी प्रचार के 12 दिन बाकी है।

By Hemant UpadhyayEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 08:17 PM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 08:17 PM (IST)
MP Election 2018 : 21 करोड़ जब्त, इसमें इजाफा होगा, हम चुनाव को कहां ले जा रहे हैं: ओपी रावत
MP Election 2018 : 21 करोड़ जब्त, इसमें इजाफा होगा, हम चुनाव को कहां ले जा रहे हैं: ओपी रावत

भोपाल। मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने मध्यप्रदेश में चुनाव के दौरान 21 करोड़ रुपए की जब्ती पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि अभी प्रचार के 12 दिन बचे हैं, उम्मीद करनी चाहिए इसमें और इजाफा होगा। यह चिंता का विषय भी है कि चुनाव में इस तरह धनबल का उपयोग हमें कहां ले जा रहा है।

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चुनावी तैयारियों से संतुष्ट रावत ने मैदानी अधिकारियों की पीठ थपथपाते हुए दावा किया कि मध्यप्रदेश में अच्छा चुनाव होगा। चुनाव में नियम विरुद्ध गतिविधियों की शिकायत के लिए लागू सी विजिल एप का कम उपयोग होने पर उन्होंने चिंता जताई।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने भोपाल में दिनभर संभागवार समीक्षा, व्यय निगरानी से जुड़ी एजेंसियों और मुख्य सचिव व पुलिस महानिदेशक से अलग-अलग चर्चा की। इसके बाद मीडिया से रूबरू होते हुए उन्होंने कहा कि व्यय निगरानी के नजरिए से मध्यप्रदेश में अच्छा काम हुआ है। 2013 के चुनाव में कुल 19 करोड़ रुपए की नकदी जब्त हुई थी।

इस बार अभी तक 21 करोड़ रुपए की नकदी जब्त की जा चुकी है। अवैध शराब, सोना-चांदी, ड्रग्स की बात की जाए तो जब्त राशि 51 करोड़ रुपए से ज्यादा है। कार्रवाई के दृष्टिकोण से तो यह अच्छा है पर चिंता का कारण भी है क्योंकि अभी प्रचार के 12 दिन बाकी है। इस दौरान जब्ती की राशि बढ़ने की संभावना भी है पर चुनाव में इस तरह राशि का उपयोग हमें कहां ले जा रहा है।

सी विजिल एप को लेकर उन्होंने कहा कि बाकी प्रदेशों में इसका बहुत उपयोग हुआ है पर मध्यप्रदेश में इस पर शिकायतों की कमी है। जबकि, यह अवैध गतिविधियों पर अंकुश लगाने में बहुत प्रभावी है। अवैध शराब जब्ती के सवाल पर उन्होंने बताया कि अभी तक छह लाख लीटर शराब जब्त हो चुकी है। मतदान से 48 घंटे पूर्व शराब की बिक्री पर रोक की अवधि बढ़ाने की जरूरत नहीं है। इस मौके पर निर्वाचन आयुक्तद्वय सुनील अरोरा, अशोक लवासा, मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी वीएल कांताराव सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।
पहले जब आए थे तब चिंता थी पर अब संतुष्ट
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने बताया कि चुनाव की घोषणा से पहले जब तैयारियों का जायजा लेने हमारी टीम आई थी तब चिंता थी। कई चीजें पर काम होना बाकी था पर अब मैदानी तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। सभी अधिकारियों ने निर्देशों का पालन करते हुए इंतजाम पूरे कर लिए हैं। आगामी बारह दिनों में और बेहतर काम होगा।
मतदाता सबसे बड़ा जज है
घोषणा पत्र में किए जाने वादों की जांच को लेकर उठे सवाल पर उन्होंने कहा कि सबसे बड़ा जज मतदाता है कि उसने वादे पूरे किए या नहीं। यह देखें, निर्णय ले और वोट दें।
सुरक्षा में चूक हुई तो कमेटी की जिम्मेदारी
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि राजनीतिक दलों ने विधायकों सहित प्रमुख व्यक्तियों की सुरक्षा में तैनात जवानों की पदस्थापना में बदली करने पर आपत्ति उठाई है। इस मुद्दे पर राज्य शासन से कहा है कि वो अपना काम करे पर यदि सुरक्षा में चूक होगी तो इसकी जिम्मेदारी राज्य स्तरीय कमेटी की होगी।
14 हजार केंद्रों पर होगी वेबकास्टिंग
प्रदेश में इस बार 14 हजार मतदान केंद्रों पर वेबकास्टिंग की जाएगी। तीन लाख दिव्यांग मतदाताओं को सुविधा व्हीलचेयर सहित अन्य सुविधाएं दी जाएंगी। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विशेष इंतजाम किए जा रहे हैं। जेलों का औचक निरीक्षण करवाया गया है ताकि अंदर से किसी प्रकार की गड़बड़ी फैलाने के प्रयास न किए जा सकें। लगभग डेढ़ लाख बांड भरवाए जा चुके हैं।
फेक न्यूज रोकने प्रयास करेंगे
सोशल मीडिया के जरिए चुनाव प्रचार और फेक न्यूज की रोकथाम के सवाल पर निर्वाचन पदाधिकारी ने कहा कि सभी प्लेटफार्म के लोकल हेड से बात की गई है। उन्होंने मौजूदा कानूनी के हिसाब से काम करने वादा किया है। फेक न्यूज को जांच के लिए भेजा जाएगा। इलेक्शन कमीशन के नाम से दो फर्जी ट्वीटर अकाउंट खोले गए थे, जिन्हें ट्वीटर ने हटा दिया है।
संघ से जुड़े सवाल पर रावत बोले-ये लीगल इश्यू नहीं
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े अधिकारी-कर्मचारी की चुनाव ड्यूटी लगाए जाने के सवाल पर मुख्य निर्वाचन आयुक्त ने कहा कि यह आयोग के लिए कानूनी मुद्दा नहीं है। यदि आयोग को लगता है कि जिसकी ड्यूटी लगाई गई है, उससे चुनाव प्रभावित हो सकता है तो हम संज्ञान ले सकते हैं। दरअसल, मंगलवार को सीपीआई ने आयोग की फुलबेंच के सामने यह मुद्दा उठाया था कि संघ की शाखाओं में जाने वाले कर्मचारियों की ड्यूटी चुनाव में न लगाई जाए क्योंकि संघ का झुकाव एक दल विशेष की ओर है। 


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