MP Election 2018: दोनों दलों ने 45 से ज्यादा सीटों से फिर परंपरागत प्रत्याशी उतारे
MP Election 2018 भाजपा और कांग्रेस में कुछ चेहरे भले ही पुराने हो गए, लेकिन उनका वजूद बरकरार है।
भोपाल, मनोज तिवारी। भाजपा और कांग्रेस ने 45 से ज्यादा सीटों से इस बार फिर परंपरागत प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। इनमें से ज्यादातर प्रत्याशी दो दशक या उससे भी ज्यादा समय से मैदान में डटे हैं। इनमें से कुछ नेताओं का कद इतना बढ़ गया है कि उनके सामने दूसरी पार्टियों के प्रत्याशी उतरने से कतराने लगे हैं।
भाजपा ने रहली से आठवीं बार गोपाल भार्गव को मैदान में उतारा है। ऐसे ही कांग्रेस 1980 से अब तक चार चुनाव जीत चुके राजेंद्र सिंह को अमरपाटन से लड़ा रही है। सिंह वर्तमान विधानसभा में उपाध्यक्ष हैं।
भाजपा और कांग्रेस में कुछ चेहरे भले ही पुराने हो गए, लेकिन उनका वजूद इस कदर बरकरार है कि राजनीति की शुरुआत करने वाले अन्य नेता उनके सामने चुनाव मैदान में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाते हैं। प्रतिद्वंद्वी पार्टियां उनके सामने प्रत्याशी उतारने की औपचारिकता भर निभाती हैं। इस बार भी दिग्गज नेताओं के सामने दोनों पार्टियों ने समझौतों के तहत प्रत्याशी उतारे हैं।
आठवीं बार चुनाव लड़ेंगे भार्गव एवं मलैया
शिवराज सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास मंत्री गोपाल भार्गव सागर की रहली विधानसभा सीट से लगातार आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे 1984 में पहली बार विधायक चुने गए थे। तब से लगातार जीत दर्ज करा रहे हैं। कांग्रेस ने उनके खिलाफ कमलेश साहू को प्रत्याशी बनाया है। साहू छह माह पहले ही भाजपा से कांग्रेस में शामिल हुए हैं।
वहीं दमोह विधानसभा सीट से वित्तमंत्री जयंत मलैया भी आठवीं बार चुनाव लड़ रहे हैं। वे 1984 में उपचुनाव लड़कर विधायक बने थे और 1990 से लगातार विधायक हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने राहुल सिंह को मैदान में उतारा है। यह सीट 28 साल से भाजपा के कब्जे में है। ऐसे ही बालाघाट से भाजपा प्रत्याशी गौरीशंकर बिसेन हैं। 1984 में पहली बार विधायक बने बिसेन 1998 और 2004 में सांसद रहे और 2008 से लगातार दो चुनाव जीतकर शिवराज सरकार में मंत्री बने हैं। इनके खिलाफ कांग्रेस ने विश्वेवर भगत को मैदान में उतारा है।
1990 से विधायक पारस जैन, अंतरसिंह आर्य, रंजना बघेल
उज्जैन उत्तर विधानसभा सीट से भाजपा के प्रत्याशी और सरकार में ऊर्जा मंत्री पारसचंद्र जैन 1990 से लगातार विधायक हैं। वे सातवीं बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने उनके खिलाफ राजेंद्र भारती को प्रत्याशी बनाया है। सेंधवा से अंतर सिंह आर्य और मनावर से रंजना बघेल भाजपा की प्रत्याशी हैं।
दोनों 1990 में पहली बार विधायक चुने गए। आर्य वर्तमान सरकार में मंत्री हैं, तो रंजना बघेल पिछली सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। दोनों के खिलाफ कांग्रेस ने क्रमश: ग्यारसीलाल और हीरालाल अलावा को टिकट दिया है। ग्यारसीलाल 1993 और 1998 में आर्य को पराजित कर चुके हैं। जबकि अलावा जय युवा आदिवासी शक्ति (जयस) के संरक्षक थे। उन्हें समझौते के तहत इस सीट से टिकट दिया गया है।
कमल और करण भी शामिल
ऐसे नेताओं में हरदा से भाजपा प्रत्याशी कमल पटेल और इछावर से प्रत्याश्ाी करणसिंह वर्मा का नाम भी आता है। पटेल 1993 से 2008 में विधायक रहे हैं। जबकि वर्मा 1985 से 2008 तक विधायक रहे हैं। वे 2013 का चुनाव हार गए थे। इनके सामने कांग्रेस ने क्रमश: डॉ. आरके दोगने और शैलेंद्र पटेल को मैदान में उतारा है। डॉ. दोगने और शैलेंद्र पटेल 2013 में जीते थे।
राजेंद्र सिंह 1980 से मैदान में
दमदार चेहरों की कांग्रेस में भी कमी नहीं है। अमरपाटन से पांचवीं बार चुनाव लड़ रहे कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र सिंह 1980 में पहली बार विधायक चुने गए थे। फिर वे 1993, 2003 और फिर 2013 में विधायक रहे। इस बार विधानसभा के उपाध्यक्ष भी बनाए गए हैं। उनके सामने भाजपा ने पूर्व विधायक रामखेलावन पटेल को मैदान में उतारा है।
अजयसिंह भी भरोसमंद
ऐसे ही 1985 में पहली बार विधायक चुने गए अजय सिंह (नेता प्रतिपक्ष) को कांग्रेस ने फिर से टिकट दिया है। सिंह 1993 छोड़कर लगातार विधायक हैं। उनका मुकाबला भाजपा के शरदेंदु तिवारी करेंगे। इस सीट पर 1972 से कांग्रेस का कब्जा है। डॉ. गोविंद सिंह लहार से कांग्रेस प्रत्याशी हैं। वे 1990 से लगातार विधायक हैं। उनके खिलाफ कांग्रेस ने पिछले चुनाव में कड़ी टक्कर देने वाले रसाल सिंह को मैदान में उतारा है। भोपाल उत्तर से मैदान में डटे कांग्रेस के आरिफ अकील भी कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। वे इसी सीट से 1990 में विधायक बने और 1998 से लगातार विधायक हैं। अकील के सामने भाजपा ने कांग्रेस की बागी फातिमा रसूल सिद्दिकी को टिकट दिया है।