MP Election 2018: स्टार प्रचारक लगे खींचतान में, स्थानीय मुद्दे भाषण से गायब
आम मतदाता स्थानीय मुद्दों को लेकर उम्मीदें लगाए रहते हैं।
बड़वानी, विवेक पाराशर। विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक बिसात बिछ चुकी है। मतदान की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई है। प्रत्याशी मतदाताओं तक पहुंचकर अपनी बात रख रहे हैं, लेकिन मतदाता तो प्रमुख राजनीतिक दलों के स्टार प्रचारकों से अपेक्षा लगाए बैठे हैं कि कोई तो स्थानीय मुद्दों या मांगों पर अपनी मंशा जाहिर करे। गत दिनों भाजपा की ओर से पानसेमल आए मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान व कांग्रेस की ओर से सेंधवा विधानसभा के ग्राम बलवाड़ी आए कांग्रेस प्रचार समिति के अध्यक्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया ने महज प्रादेशिक मुद्दों और आपसी खींचतान पर ही अपनी बात रखी। जबकि आम मतदाता स्थानीय मुद्दों को लेकर उम्मीदें लगाए रहते हैं।
बड़वानी देश के 112 पिछड़े जिलों में शामिल होकर प्रदेश में दूसरा सबसे अधिक पिछड़ा जिला है। इसी के चलते नीति आयोग ने यहां शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, खेती आदि को सुधारने को प्राथमिकता में लिया है। बावजूद इसके राजनीतिक मुद्दों में जिले की यह अहम समस्याएं नदारद नजर आ रही हैं। वहीं इस बार चुनाव मैदान में उतरे जिले की चारों विधानसभा के प्रत्याशियों ने भी इन समस्याओं के हल को लेकर कोई ठोस हल सामने अब तक नहीं रखा है।
आरोप-प्रत्यारोपों तक ही कें द्रित रहे 'सिंधिया-शिवराज'
12 नवंबर को कांग्रेस के स्टार प्रचार ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभा बलवाड़ी में हुई। इस दौरान उनके लगभग पूरे भाषण में मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान व केंद्र-प्रदेश सरकार निशाने पर रही। उन्होंने नोटबंदी, मंदसौर गोलीकांड, नर्मदा यात्रा, रेत, डीजल, पेट्रोल, बिजली आदि मुद्दों को दोहराया। वहीं भाजपा के स्टार प्रचारक मुख्यमंत्री शिवराज भी इसी दिन जिले के पानसेमल पहुंचे। उनके भाषण में कांग्रेस का विज्ञापन 'गुस्सा आता है' पर किए कटाक्ष प्रमुख रहे। उन्होंने पुराने कांग्रेसकाल की बातें की और भाजपा सरकार की उपलब्धियां गिनाईं। दोनों ने जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए, लेकिन इस बीच स्थानीय मुद्दे कहीं खो गए।
ये हैं क्षेत्र के प्रमुख मुद्दे
पलायन- रोजगार के पर्याप्त अवसर न होने से हर साल जिले की चारों विधानसभा से बड़ी संख्या में ग्रामीण मजदूरी करने के लिए गुजरात, महाराष्ट्र व राजस्थान जाते हैं।
शिक्षा- गुणवत्तायुक्त स्कूली शिक्षा सहित उच्च शिक्षा व तकनीकी शिक्षा सुविधाओं का जिले में अभाव है। इसी के चलते अधिकांश विद्यार्थियों को उपलब्ध विकल्पों को चुनकर ही आगे की पढ़ाई करना होती है।
स्वास्थ्य- जिला कुपोषण, सिकलसेल एनीमिया आदि जैसी गंभीर बीमारियों की चपेट में है। ढांचागत व्यवस्थाएं तो हैं, लेकिन डॉक्टरों व स्टाफ की कमी के चलते संसाधनों का उपयोग नहीं हो पा रहा है। रेल मार्ग- जिला अब तक रेल मार्ग से अछूता है। हालांकि महूमनमाड़ मार्ग की स्वीकृति के बाद गत दिनों सर्वे व कुछ प्रक्रिया शुरू हुई है, लेकिन इसकी रफ्तार भी काफी धीमी है।
डूब क्षेत्र- जिले का बड़ा हिस्सा सरदार सरोवर परियोजना के डूब क्षेत्र में आता है, डूब क्षेत्र की अपनी समस्याएं व अपनी मांगे हैं। इससे जिले की बड़ी आबादी प्रभावित है।