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Delhi Election: कांग्रेस के लिए 2013 की गलती बनी घातक, 2020 में AAP को कौन देगा टक्‍कर

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव की तारीख का एलान हो चुका है। इस चुनाव में भाजपा और आप में सीधी लड़ाई है। वहीं कांग्रेस मैदान से बाहर मानी जा रही है।

By Kamal VermaEdited By: Published: Mon, 06 Jan 2020 05:48 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jan 2020 06:59 AM (IST)
Delhi Election: कांग्रेस के लिए 2013 की गलती बनी घातक, 2020 में AAP को कौन देगा टक्‍कर
Delhi Election: कांग्रेस के लिए 2013 की गलती बनी घातक, 2020 में AAP को कौन देगा टक्‍कर

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। दिल्‍ली में विधानसभा चुनाव का एलान होने के साथ ही अब राजधानी में चुनावी बिगुल बज गया है। इसके एलान के साथ ही दिल्‍ली में आज से ही चुनाव आचार संहिता भी लागू हो गई है। इस चुनाव में 1 करोड़ 46 लाख मतदाता भाग लेंगे। दिल्‍ली में 8 फरवरी को मतदान होगा और 11 फरवरी को रिजल्‍ट सभी के सामने आ जाएगा। इस चुनाव का सबसे दिलचस्‍प पहलू सत्‍ताधारी पार्टी को लेकर ही है। आम आदमी पार्टी ने वर्ष 2015 में उस वक्‍त प्रचंंड बहुमत हासिल किया था जब इस चुनाव से पहले हुए लोकसभा चुनाव-2014 में भाजपा ने देश के बड़े भाग पर अपना भगवा परचम लहराकर सारे विपक्ष को किनारे लगा दिया था। 

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दिल्‍ली की राजनीतिक बिसात पर बिछे मोहरे

अब एक बार फिर से ये चुनाव ऐसे समय में होने वाले हैं जब 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने पहले से ज्‍यादा लोकसभा सीटें हासिल कर देश में सरकार बनाई है। कहने का अर्थ सीधा सा ये है कि सियासत की इस बिसात पर मोहरे एक बार फिर से उसी जगह पर हैं जहां पर वो 2015 में थे। यही वजह है कि इस बार भी चुनाव में सीधेतौर पर मुकाबला भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच होता ही दिखाई दे रहा है। हालांकि दिसंबर 2013 के विधानसभा चुनाव में महज 28 सीटें पाने वाली आम आदमी पार्टी ने 2015 के चुनाव में 67 सीटें जीतकर सभी को हैरत में डाल दिया था।  

कांग्रेस की गलती बनी घातक

दिल्‍ली की राजनीति की बिसात पर आप का बढ़ता कद कहीं न कहीं कांग्रेस की वो बड़ी गलती है जो उसने 2013 में आप को समर्थन देकर की थी। कांग्रेस के ही सहयोग से आप ने सरकार बनाई थी जो कुछ ही समय के बाद समर्थन वापस लेने पर गिर गई थी। कांग्रेस ने ये समर्थन केवल भाजपा को सत्‍ता से बाहर रखने के लिए ही किया था, लेकिन यही दांव उसके खिलाफ पड़ गया। यह उसके लिए इतना घातक साबित हुआ कि 2015 के चुनाव में वह कोई सीट ही नहीं जीत पाई थी। उस वक्‍त कांग्रेस ने कभी ये नहीं सोचा होगा कि आप इतनी शशक्‍त होकर सामने आएगी और उसकी ही राजनीतिक जमीन राजधानी से खिसक जाएगी। 

भाजपा और आप में सीधी लड़ाई

एक जन आंदोलन के साथ बनी आम आदमी पार्टी ने जिस तरह से 2015 के चुनाव में प्रचंड बहुमत कर लोगों का विश्‍वास हासिल किया और उसको सफलता के साथ पूरा भी किया इसका उदाहरण देश की राजनीति में कम ही देखने को मिलता है। यही वजह है कि अब पांच साल के बाद भी कांग्रेस को इस चुनावी लड़ाई में काफी पीछे माना जा रहा है। वहीं आप से सीधी लड़ाई में भाजपा आती दिखाई दे रही है। 

कौन होगा सीएम का चेहरा

इस चुनाव में कई कुछ बड़े सवालों के बीच एक दिलचस्‍प सवाल ये भी है कि भाजपा और कांग्रेस इस चुनाव में किसे सीएम प्रत्‍याशी बनाकर मैदान में उतरेगी। आपको यहां पर ये भी बता दें कि भाजपा ने पहले दो चुनाव डॉक्‍टर हर्षवर्धन और किरण बेदी का चेहरा सामने रखकर लड़ा था, जिसमें उसको करारी हार का सामना करना पड़ा। इस बार पार्टी किसके ऊपर ये जिम्‍मेदारी डालेगी ये देखना बेहद दिलचस्‍प होगा। भाजपा के पास में इस चुनाव के लिए कई चेहरे हैं। इनमें भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष के अलावा पार्टी के दूसरे दिग्‍गजों का भी नाम शामिल है। भाजपा ने अब तक इस चेहरे की घोषणा नहीं की है और माना जा रहा है कि पार्टी के इस चुनाव में सरकार बनाने लायक सीटें मिलने तक इसका एलान नहीं किया जाएगा। वहीं कांग्रेस की बात करें तो शीला दीक्षित के बाद पार्टी के पास कोई दमदार चेहरा दिखाई नहीं देता है। वहीं पार्टी के अंदर किसी भी एक नाम को लेकर एकजुटता का अभाव साफतौर पर दिखाई देता है। ऐसे में पार्टी का आप या भाजपा को टक्‍कर देना काफी मुश्किल दिखाई देता है।  

अब होगी चुनावी रैलियों की शुरुआत

दिल्‍ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा काफी पहले से ही तैयारियों में जुट गई थी। बीते दिनों रामलीला मैदान में हुई पीएम मोदी की विशाल धन्‍यवाद रैली इसके ही संदर्भ में आयोजित की गई थी। वहीं आप की बात करें तो पार्टी ने अब तक कोई रैली तो नहीं की है लेकिन कई तरह की घोषणाएं और उदघाटन जरूर कर दिए। इनमें नए रूट पर नई बसों की शुरुआत से लेकर दिल्‍ली में वाईफाई की सुविधा भी शामिल है। इसके अलावा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने कई घोषणाएंं अपने मकसद को पूरा करने के लिए की हैं। आने वाले दिनों में देश की र राजधानी पूरी तरह से चुनावी माहौल में रंग जाएगी और चुनावी वादों और दावों के बीच कई रैलियां देखने को मिलेंगी।

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