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छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सभी ब्राह्मण प्रत्याशी हारे, भाजपा की जीत में सभी समाज-जाति के प्रत्याशियों ने निभाई अहम भूमिका

भाजपा की जीत में सभी समाज और जाति के प्रत्याशियों ने अहम भूमिका निभाई है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इसकी बड़ी वजह राष्ट्रवाद हिंदुत्व और सबका साथ- सबका विकास का नारा रहा जिसके सामने कांग्रेस का ओबीसी कार्ड धराशायी हो गया। चुनाव परिणाम यह भी बताते हैं कि कांग्रेस के सभी ब्राह्मण प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया हैवहीं भाजपा के 70 प्रतिशत ब्राह्मण प्रत्याशी जीत गए।

By Jagran NewsEdited By: Jeet KumarPublished: Sun, 10 Dec 2023 06:44 AM (IST)Updated: Sun, 10 Dec 2023 06:44 AM (IST)
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सभी ब्राह्मण प्रत्याशी हारे, भाजपा की जीत में सभी समाज-जाति के प्रत्याशियों ने निभाई अहम भूमिका
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सभी ब्राह्मण प्रत्याशी हारे

राज्य ब्यूरो, रायपुर। छत्तीसगढ़ के चुनावी परिणाम बताते हैं कि कांग्रेस पार्टी का ओबीसी कार्ड राज्य में कोई कमाल नहीं कर पाया वहीं, भाजपा ने हिंदुत्व की विचारधारा के सहारे सोशल इंजीनियरिंग साधकर छत्तीसगढ़ अपने नाम कर लिया। भाजपा की जीत में सभी समाज और जाति के प्रत्याशियों ने अहम भूमिका निभाई है। राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक इसकी बड़ी वजह राष्ट्रवाद, हिंदुत्व और सबका साथ- सबका विकास का नारा रहा, जिसके सामने कांग्रेस का ओबीसी कार्ड धराशायी हो गया।

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चुनाव परिणाम यह भी बताते हैं कि कांग्रेस के सभी ब्राह्मण प्रत्याशियों को जनता ने नकार दिया है,वहीं भाजपा के 70 प्रतिशत ब्राह्मण प्रत्याशी जीत गए। कांग्रेस ने इस चुनाव में आठ विधानसभा से ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा था, जिनमें कोई भी जीत नहीं पाया। वहीं, भाजपा के सात ब्राह्मण प्रत्याशियों में से पांच ने जीत हासिल की है। इस प्रदर्शन के लिए राजनीतिक पर्यवेक्षक भूपेश बघेल सरकार की मुखर ओबीसी राजनीति को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, जिसमें कांग्रेस ने ओबीसी आरक्षण लटकाए रखने के लिए राजभवन को भी जिम्मेदार ठहराया था।

इस चुनाव में 32 ओबीसी विधायक

विधानसभा चुनाव-2023 में 32 ओबीसी उम्मीदवार विधायक चुने गए हैं। इनमें सबसे ज्यादा 12 साहू समाज से हैं। इसके अलावा पांच यादव व पांच कुर्मी समाज से हैं। कांग्रेस और भाजपा दोनों ने 20 साहू प्रत्याशी मैदान में उतारे थे, जिसमें भाजपा के 11 और कांग्रेस की तरफ से नौ प्रत्याशी थे। दोनों पार्टियों के छह-छह प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। दोनों पार्टियों ने पांच यादवों को चुनाव में प्रत्याशी बनाया था, जिसमें चार ने जीत दर्ज की है। निषाद, सेन, कलार, कोष्टा समाज से भी एक-एक प्रत्याशी ने जीत दर्ज की है।

कांग्रेस में 13 सवर्ण पराजित, भाजपा के 18 में 16 जीते

कांग्रेस के ओबीसी कार्ड का खामियाजा सवर्णों को भी भुगतना पड़ा। ब्राह्मण के अलावा 13 सवर्ण समाज के कांग्रेसी प्रत्याशियों को भी पराजय का सामना करना पड़ा है। इसके मुकाबले भाजपा ने सवर्ण वर्ग से 18 उम्मीदवारों को मैदान पर उतारा था। 16 विजयी हुए हैं। 18 में से सात ब्राह्मण थे, जिनमें से पांच ने चुनाव जीता है। सिर्फ शिवरतन शर्मा (भाटापारा) व प्रेमप्रकाश पांडे (भिलाई नगर) को हार का सामना करना पड़ा।

भाजपा के हिंदुत्व कार्ड में सब जीते

भाजपा-कांग्रेस के बीच विधानसभा चुनाव में भाजपा का हिंदुत्व कार्ड कांग्रेस पर भारी पड़ गया। कांग्रेस के ओबीसी प्रत्याशी से लेकर अगड़ी जाति के प्रत्याशियों की करारी हार हुई, जिसमें साजा विधायक रविंद्र चौबे, अंबिकापुर विधायक टीएस सिंहदेव भी शामिल हैं। भाजपा ने साजा क्षेत्र में बिरनपुर गांव की घटना के बाद किसान भुवनेश्वर साहू को प्रत्याशी बनाया। सांप्रदायिक हिंसा की इस घटना ने कांग्रेस के बड़े नेता रविंद्र चौबे को पराजित कर दिया। भाजपा के शीर्ष नेताओं ने प्रचार में हिंदुत्व के मुद्दे को जमकर भुनाया।


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