CG Election 2018: यहां 10 साल बाद सिर्फ एक बंदी को वोट डालने की मिली अनुमति
हितेंद्र सिंह को जेल प्रशासन 20 नवम्बर को वोट डालने के लिए डाक मतपत्र उपलब्ध करायेगा।
रायपुर। प्रदेशभर की जेलों में बंद 22 हजार बंदियों में से केवल एक बंदी को ही विधानसभा चुनाव में वोट देने अनुमति मिली है। वह भी दस साल बाद। बिलासपुर सेंट्रल जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून अधिनियम के तहत सजा काट रहे हिस्ट्रीशीटर हितेंद्र कुमार सिंह को बिलासपुर के जिला दंडाधिकारी पी. दयानंद ने मत डालने की अनुमति दी है। हितेंद्र सिंह को जेल प्रशासन 20 नवम्बर को वोट डालने के लिए डाक मतपत्र उपलब्ध करायेगा।
जेल मुख्यालय से मिली जानकारी के अनुसार जेल नियमावली और भारत में लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 151 की धारा 62 (5) के तहत जो जेल में बंद है या पुलिस हिरासत में है, उसे मतदान का अधिकार नहीं होता। मतदाता सूची में नाम रहने के बाद भी उसे मताधिकार का प्रयोग करने की इजाजत नहीं होती है।
हितेंद्र कुमार सिंह को वोट डालने की अनुमति इस वजह से मिली कि उस पर राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) के तहत कार्रवाई की गई है। इस अधिनियम के तहत जेल में बंद बंदी को जेल नियमावली से बाहर रखा गया है।
हितेंद्र के खिलाफ अपहरण, धोखाधड़ी, अवैध शराब बिक्री, गुंडागर्दी समेत दर्जनों प्रकरण बिलासपुर के विभिन्ना थानों में दर्ज हैं। उसके लंबित प्रकरणों को देखते हुए पुलिस की अनुशंसा पर जिला दंडाधिकारी ने उसके खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की थी।
बंदी की इच्छा पर कलेक्टर की अनुमति से वोट डालने का अधिकार
डीआइजी जेल केके गुप्ता ने नईदुनिया को बताया कि बंदी के मतदान करने की इच्छा पर कलेक्टर की अनुमति मिलने पर जिला निर्वाचन द्वारा डाक मतपत्र उपलब्ध कराया जाता है। बंदी द्वारा मताधिकार का प्रयोग करने के बाद डाक मतपत्र को निर्वाचन कार्यालय में जमा कराया जाएगा।