राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं बने-बनाए खेल को किस प्रकार बिगाड़ देती हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण झारखंड में यूपीए का बिखर जाना है। वर्षों की दोस्ती टूटने के बाद सवा साल पहले जिन परिस्थितियों में कांग्रेस और झामुमो एक छतरी के नीचे आए थे, उसका हश्र यही होना था। ऐन विधानसभा चुनाव के दौरान दोनों दलों में हुई टूट अंतत: उन पर ही भारी गुजरेगी। एकता मजबूती देती है, जबकि बिखराव कमजोर बनाता है। यह सामान्य सिद्धांत भूलकर स्वयं को बड़े भाई की भूमिका में रखने और मनचाही सीटें पाने की जिद ने उनको अलग-अलग होने को विवश कर दिया।

महाराष्ट्र का उदाहरण सामने है कि चुनावी मौकापरस्ती ने वहां कांग्रेस का क्या हाल कर दिया। ठीक वैसा ही अवसर झारखंड में भी आ जाना बताता है कि राजनीति करने वाले सबकुछ कर सकते हैं, केवल अपने स्वार्थ की बलि नहीं चढ़ा सकते। देश की राजनीति में भाजपा के अचानक प्रभाव विस्तार और उसकी बढ़ी स्वीकार्यता के कारण अन्य दलों में रिक्तता बढ़ा रही है। इसका सामना प्रतिपक्षियों की एकजुटता ही कर सकती है, जबकि कांग्रेस अपने पुराने दिनों को भूलना नहीं चाहती। वह यदि शून्य से ही अपना विस्तार करना चाहती है तो सचमुच इससे बेहतर अवसर नहीं हो सकता।

झारखंड की राजनीति बेहद अस्थिर और मौकापरस्त रही है। यही कारण है कि चौदह वर्षों में ही इसमें इतनी तरह के गठबंधन सामने आए, जिन पर केवल हैरानी ही जताई जा सकती है। यहां कौन किसके साथ कब गठबंधन कर लेगा, यह अनुमान लगाना भी आसान नहीं होता। अनेक क्षेत्रीय दलों के उभार और उनमें सत्ता लोलुपता के कारण राष्ट्रीय दल हमेशा बेबस नजर आए हैं। पिछले चुनाव में कांग्रेस से अलग खड़े झामुमो ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई, लेकिन उससे दो बार रिश्ते तोडऩे के बाद उसने कांग्रेस का साथ लेकर भी सरकार बनाने में कोई संकोच नहीं किया।

बदली परिस्थितियों में अस्तित्व संकट के दौर से गुजर रही कांग्रेस के सामने दो ही रास्ते शेष थे। या तो वह भाजपा को रोकने के लिए झामुमो का पार्टनर बने या फिर संगठन बचाने के लिए अधिक से अधिक सीटों पर उपस्थिति दर्ज कराए। उसने दूसरा रास्ता चुना। ऐसे में यूपीए का बिखरना सुनिश्चित था। झामुमो का क्या? वह तो मौका ताड़ कर फिर भाजपा के साथ जा सकता है, लेकिन कांग्रेस ऐसा नहीं कर सकती। उसका वर्तमान कदम भले ही अभी आत्मघाती हो, लेकिन वह धैर्य और रणनीतिक कौशल अपनाए तो अपना भविष्य सुधार सकती है।

(स्थानीय संपादकीयः झारखंड)