चंपारण सत्याग्रह के शताब्दी आयोजनों की श्रंखला में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान कई संदर्भों में हृदयस्पर्शी घटना है। बिहार सरकार के आमंत्रण पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भारत मां के इन सच्चे सपूतों को सम्मानित करने पटना आ रहे हैं। इस अवसर पर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी और केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी मौजूद रहेंगे। जाहिर है कि राज्य सरकार ने इस आयोजन को दल और राज्य के दायरे से ऊपर रखा है। बेशक न सिर्फ सम्मानित किए जाने वाले स्वतंत्रता सेनानियों, बल्कि बिहारवासियों के लिए भी यह यादगार घटना होगी। देश आजाद हुए 70 साल हो गए। अपने संघर्ष से देश को 1947 में ब्रिटिश हुकूमत के चंगुल से आजाद कराने में कामयाब हुए ज्यादातर सेनानी अपनी आयु पूरी करके गोलोकवासी हो चुके हैं। अब वही सेनानी बचे हैं जिनकी उम्र 1947 में 20 वर्ष या इससे भी कम थी। इससे इन महापुरुषों का त्याग और जुनून समझा जा सकता है। किशोरावस्था में देश की आजादी की जंग लडऩे वाले इन सेनानियों का जितना सम्मान किया जाए, कम है। मौजूदा पीढिय़ां भाग्यशाली हैं कि उनके बीच ऐसे वीर सेनानी मौजूद हैं। बिहार सरकार ने इन सेनानियों का स्मरण करके आजादी की जंग लड़ते हुए शहीद हो जाने वाले लाखों ज्ञात-अज्ञात वीरों को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। महात्मा गांधी के लिए भी इससे बड़ी श्रद्धांजलि कुछ और नहीं हो सकती कि बिहार ने चंपारण सत्याग्रह शताब्दी से एक साल पहले खुद को शराबमुक्त करने का संकल्प लिया और अब देशभर के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को सम्मानित करने का। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद इस आयोजन के कल्पनाकार एवं प्रबंधक हैं। इसी का नतीजा है कि सरकार की तरफ से इन बुजुर्ग महापुरुषों को पटना बुलाकर सम्मानित करने के लिए श्रेष्ठतम इंतजाम किए गए हैं। जो सेनानी अशक्त या अस्वस्थ होने की वजह से यहां नहीं आ सके, उन्हें प्रशासनिक अधिकारी उनके घर जाकर सम्मानित करेंगे। चंपारण सत्याग्रह शताब्दी के बहाने राज्य का माहौल गांधीमय बन गया है। बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक इस उत्सव में शामिल हैं। सरकार व स्वैच्छिक संस्थाएं चंपारण में 1917 जैसा दृश्य एवं माहौल जीवंत करने का प्रयास कर रही हैं जब महात्मा गांधी वहां पहुंचे थे। गांधी जी का जीवन दर्शन और नीतियां हर क्षेत्र, धर्म, जाति, उम्र के व्यक्तियों के लिए प्रासंगिक हैं। गर्व की बात है कि बिहार ने इस बात को शिद्दत के साथ महसूस किया। गांधी जी के पदचिन्हों पर चलने का संकल्प मजबूत करने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चंपारण में आठ किमी पदयात्रा करेंगे। चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी के अवसर पर गांधी जी 100 साल बाद बिहार लौटे हैं। यह बिहार की जिम्मेदारी है कि अब गांधी जी को उनके विचारों के रूप में सहेजकर रखे और कभी वापस न जाने दें।
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बिहार सरकार यूं तो करीब 1000 स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान करने जा रही है लेकिन वास्तव में यह सम्मान उन लाखों ज्ञात-अज्ञात सेनानियों का भी है जो भारत माता को गुलामी के बंधन से मुक्त कराने की जंग में शहीद हो गए। इन सेनानियों का सम्मान महात्मा गांधी के प्रति सबसे बड़ी श्रद्धांजलि है।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]