यह अच्छा हुआ कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कश्मीर के मसले पर पाकिस्तान को खरी-खरी सुनाने में कोई कोर कसर नहीं उठा रखी। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के इस बयान के बाद ऐसा किया जाना और आवश्यक हो गया था कि उन्हें भरोसा है कि कश्मीर एक दिन पाकिस्तान का हिस्सा बन जाएगा। सुषमा स्वराज ने यह सही कहा कि पाकिस्तान का कश्मीर को पाने का नापाक सपना कयामत तक पूरा नहीं होगा। उन्होंने यह कहकर पाकिस्तान को आईना भी दिखा दिया कि भारत का यह अभिन्न अंग कभी नरक का हिस्सा नहीं बनेगा। नवाज शरीफ आतंकी बुरहान वानी को शहीद बताकर उसके गम में जिस तरह आंसू बहा रहे थे उसके बाद उनमें और आतंकी सरगना हाफिज सईद में फर्क करना मुश्किल हो गया है।

इससे बुरी बात और कोई नहीं हो सकती कि किसी देश का प्रधानमंत्री घोषित आतंकी सरगना की भाषा बोलता नजर आए, लेकिन एक तरह से यह अच्छा ही हुआ। अब यह और अच्छे से स्पष्ट हो गया कि भारत नवाज शरीफ से कोई उम्मीद नहीं रख सकता। अभी तक यही संदेह था कि वह अपनी सेना के समक्ष नतमस्तक हैं, लेकिन अब इस पर भी मुहर लग गई कि वह आतंकी सरगना हाफिज सईद के इशारों पर भी नाचते हैं। कश्मीर के हालात को लेकर पाकिस्तान हर जगह गुहार लगाने में लगा हुआ है, लेकिन वह यह नहीं देख पा रहा कि उसकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। उसे अमेरिकी संसद से भी ङिाड़की मिली और संयुक्त राष्ट्र के मंच से भी। शायद यही कारण है कि वह कुछ ज्यादा ही बौखलाया हुआ दिख रहा है।

उसकी इस बौखलाहट का कोई इलाज नहीं, लेकिन यह भी जरूरी है कि विश्व समुदाय उसे कश्मीर में दखल देने से रोके। उसे यह समझना होगा कि कश्मीर की अशांति के बहाने आतंकवाद को भड़काने का काम किया जा रहा है। यह काम पाकिस्तान आधारित आतंकी संगठन तो कर ही रहे हैं, उनके साथ पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी और सेना भी कर रही है। अब यह भी स्पष्ट है कि पाकिस्तान सरकार इन सरकारी और गैरसरकारी तत्वों से अलग नहीं। पाकिस्तान दुनिया को समझाने की कोशिश कर रहा है कि भारतीय कश्मीर के लोग आजादी चाह रहे हैं, लेकिन यह बात दुनिया को कभी नहीं समझने वाली कि आखिर ऐसी ही आजादी पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लोग क्यों नहीं चाह रहे हैं? क्या कारण है कि वहां न तो आजादी के पक्ष में कोई मांग उठती है और न ही हुर्रियत कांफ्रेंस सरीखे संगठनों का अस्तित्व है? यदि पाकिस्तान कश्मीर की तथाकथित आजादी का पक्षधर है तो वह हुर्रियत सरीखे संगठन गुलाम कश्मीर में क्यों खड़े नहीं करता? सवाल यह भी है कि यदि कश्मीर आजादी चाह रहा है तो नवाज शरीफ यह सपना क्यों देख रहे हैं कि एक दिन कश्मीर पाकिस्तान का हिस्सा बन जाएगा?

नवाज शरीफ के कश्मीर के पाकिस्तान का हिस्सा बन जाने के सपने से यह जाहिर है कि वह इस भारतीय भूभाग को आतंक के बल पर हड़प लेना चाहते हैं। पाकिस्तान की यह कोशिश देश के बंटवारे के बाद से ही जारी है। उसने कश्मीर को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। बेहतर यह होगा कि भारत उस आक्रामकता को कायम रखे जो सुषमा स्वराज ने प्रदर्शित की। कश्मीर के मामले में रक्षात्मक होने की आवश्यकता नहीं है। यदि भारत ने शुरू से ही आक्रामक रवैया अपनाया होता तो शायद आज जो स्थिति बनी वह नहीं बनती।

[ मुख्य संपादकीय ]