किसी भी व्यवस्था को फलोत्पादक बनाने के लिए सशक्त नीतियों की जरूरत होती है। राज्य में विश्वविद्यालयों के विकास और उसकी शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सशक्त नीति बनाने की बात कही है। वाकई शिक्षा के मामले में बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है। आज कई वजहों से यह क्षेत्र आलोचनाओं के घेरे में भी है। दसवीं, इंटर और उसके बाद उच्च शिक्षा को लेकर हमारी व्यवस्था उस गौरव को नहीं छू पा रही है, जिसके लिए बिहार जाना जाता था। यह भी सच है कि पूरे देश में बिहार की मेधा की धमक आज भी है। कुछ सुधार कर लिए जाएं तो आलोचनाओं को प्रशंसा में बदला जा सकता है। राज्य के शिक्षण संस्थानों में बड़ी समस्या के रूप में शिक्षकों की कमी है। छात्रों के बढ़ते दबाव के अनुपात में आधारगत सुविधाओं की कमी स्पष्ट झलकती है। पूर्ववर्ती सरकारों ने इस ओर उतना ध्यान नहीं दिया जितना आज जोर लगाने की कोशिश हो रही है। सत्रों का विलंब होना तो बिहार की जैसे पहचान बन गई। मुख्यमंत्री ने भी इस बात पर जोर दिया है कि विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में एकेडमिक कैलेंडर को प्राथमिकता देनी चाहिए। सत्रों के विलंब होने से कई छात्र राज्य के बाहर का रुख कर लेते हैं। हालांकि इसकी कोशिश हो रही है कि सत्र को यथाशीघ्र समय पर कर लिया जाए। विभिन्न विषयों को लेकर कई महाविद्यालय कार्रवाई की जद में हैं। विश्वविद्यालय से बगैर अनुमति लिए कई विषयों के प्रमाणपत्र बांटे जा रहे। इससे महाविद्यालय के साथ-साथ विश्वविद्यालय के प्रमाणपत्र पर सवाल खड़े हो जा रहे हैं। इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता है। हजारों की संख्या में ऐसे छात्र महाविद्यालय से लेकर विश्वविद्यालय तक चक्कर काटने को विवश हैं। चूंकि छात्रों को पूर्व में सारी बातों की जानकारी नहीं होती, जब ऐसे मामले प्रकाश में आते हैं तो वे ठगा महसूस करते हैं। मुख्यमंत्री ने कुलपतियों से अपेक्षा की है कि फिलहाल जितने शिक्षक उपलब्ध हैं उनका सदुपयोग किया जाए। उन्होंने आश्वस्त किया है कि सभी विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों की कमी को जल्द दूर किया जाएगा। यह भी बताया कि इसके लिए विश्वविद्यालय सेवा आयोग के गठन का निर्णय हुआ है। जल्द ही नियमावली बनाकर इसका गठन कर लिया जाएगा। यह भी कहा कि शिक्षा के बजट में इजाफा हुआ है। चालू वित्तीय वर्ष में 25 हजार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। वाकई सशक्त नीति की राह चलकर ही शिक्षा सुगम और गुणवत्तापूर्ण होगी।
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हाईलाइटर ::
राज्य में विशेषकर उच्च शिक्षा को लेकर सशक्त नीति की जरूरत महसूस की जा रही है। राज्य सरकार ने शिक्षकों की कमी को दूर करने और गुणात्मक शिक्षा को अपनी प्राथमिकता में रखा है। यह काम जितना जल्द हो बिहार फिर गौरव की ओर चल पड़ेगा।

[ स्थानीय संपादकीय : बिहार ]