यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में शराब के नशे में वाहन चलाने की आदत लोग छोड़ नहीं पा रहे। पुलिस भी लोगों को ऐसा करने से नहीं रोक पा रही है।

पंजाब की सड़कों का आए दिन हादसों के कारण रक्तरंजित होना निस्संदेह दुर्भाग्यपूर्ण है। बुधवार को भी प्रदेश में तीन अलग-अलग सड़क हादसों में कई लोग असमय काल का ग्रास बन गए। अमृतसर जिले के जंडियाला के दशमेश नगर में ओवर स्पीड बोलेरो कार ने दो रेहडिय़ों को टक्कर मार दी, जिसमें चार बच्चों सहित छह लोगों की मौत हो गई। वहीं, नवांशहर में नूरपुरबेदी-गढ़शंकर मार्ग पर ट्रैक्टर-ट्राली के पलटने से तीन महिलाएं जान गंवा बैठी, जबकि उत्तर प्रदेश के उन्नाव में हुए एक सड़क हादसे में तरनतारन जिले के दो लोगों की मौत हो गई। इन हादसों के पीछे जो दो प्रमुख कारण सामने आए वह थे शराब का नशा और तेज रफ्तार। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि प्रदेश में शराब के नशे में वाहन चलाने की आदत को लोग छोड़ नहीं पा रहे। ट्रैफिक पुलिस भी लोगों को ऐसा करने से नहीं रोक पा रही है। चिंता की बात यह है कि ऐसा तब हो रहा है, जबकि सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट शराब पीकर वाहन चलाने की आदत को हतोत्साहित करने के प्रति गंभीरता दिखा रहे हैं। विगत दिनों हाईवे के किनारों से शराब ठेके हटाने के निर्देश इसी का परिणाम थे, लेकिन लोग स्वयं और कुछ हद तक सरकार भी इसके प्रति पर्याप्त गंभीर दिखाई नहीं दे रही है। यही कारण है कि हाईवे पर स्थित बाईपास को डीनोटिफाई कर दिया गया ताकि इनके किनारे स्थित ठेकों पर शराब बिकती रहे। ऐसी परिस्थिति में ही नेक नीयत से उठाया गया कोई कदम सिरे नहीं चढ़ पाता है। यह सबको पता है कि हाईवे के किनारे, धार्मिक स्थलों के पास और घनी आबादी वाले क्षेत्र में शराब के ठेके होने से हादसों की संभावना बढ़ती है, माहौल बिगड़ता है। कदाचित यही कारण है कि प्रदेश में शराब ठेकों को लेकर जगह-जगह विरोध प्रदर्शन ओर तोडफ़ोड़ की घटनाएं सामने आ रही हैं। सरकार और पुलिस प्रशासन को इस दिशा में गंभीरता दिखानी होगी और यह समझना होगा कि लोगों के स्वास्थ्य व सुरक्षा से बढ़कर कुछ भी नहीं है। सरकार को चाहिए कि वह सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन सुनिश्चित करवाए। साथ ही ट्रैफिक पुलिस को भी अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया जाना चाहिए ताकि वह शराब पीकर और तेज रफ्तार वाहन चलाने वालों पर शिकंजा कस सके।

[ स्थानीय संपादकीय : पंजाब ]