एक के बाद एक सामने आ रहे प्रमाणों से संदेह पुख्ता हो रहा है कि हरियाणा तेजी से नकल माफिया का हब बनता जा रहा है। गंभीर चिंता का विषय है कि पेपर लीक के अनेक मामले सामने आने के बाद भी कार्रवाई के नाम पर तो लंबी डींगें हांकी जा रही हैं, पूरा प्रशासनिक व पुलिस अमला झोंका जा रहा है परंतु माफिया की शाखाओं, पत्तों पर ही नजर टिकती है, जड़ों तक पहुंचना असंभव प्रतीत हो रहा है। कुछ माह पूर्व एआइपीएमटी का पर्चा लीक होने पर राज्य की फजीहत हुई थी, परीक्षा रद होने के साथ रोहतक सेंटर को ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया था। अब उसी रोहतक में एसएससी परीक्षा का पेपर लीक हो गया, ऊंचे दाम देने वालों को व्हाट्सअप पर आंसर-की भेज भी दी गई। भंडाफोड़ होने के बाद फिर वैसी ही कवायद आरंभ की गई है जैसी एआइपीएमटी आंसर-की लीक होने पर हुई थी। इस मामले में भी तार पुराने माफिया से ही जुड़े हैं। लंबा अर्सा बीत जाने के बाद भी मेडिकल परीक्षा में घपले का मुख्य आरोपी दांगी पुलिस के हाथ नहीं आया। उसका नेटवर्क अब भी नया खेल खेलने को मौजूद है। पता नहीं क्यों सरकार व शिक्षा विभाग नकल माफिया को उखाड़ फेंकने की चुनौती को अपनी प्राथमिकता में शामिल नहीं कर पा रही। सुस्त कार्यशैली और तत्परता का लचर स्तर देख कर ऐसा लग भी नहीं रहा कि निकट भविष्य में उसे कामयाबी मिल पाएगी। एआइपीएमटी पर्चा लीक के बाद पुलिस के नुमाइंदे केवल दांगी और उसके गुर्गों पर ही ध्यान केंद्रित करते रहे, अन्य सैकड़ों कोचिंग सेंटर चल रहे हैं, किसी पर जाकर गहन तफ्तीश नहीं की गई। यानी पुलिस की आंख केवल व्यक्ति विशेष पर केंद्रित रही, व्यवस्था को खंगालने की कोशिश नहीं की गई। पुलिस की सोच का तरीका इक्कीसवीं सदी का तो कतई नहीं कहा जा सकता। सरकार को इस तथ्य को गंभीरता से लेना होगा कि नकल माफिया की मंडियां हर शहर में पैठ कर चुकीं, ओपन स्कूल परीक्षा में पूरी कक्षा को पास करवाने के ठेके उठाए जा रहे हैं, अन्य शैक्षणिक परीक्षाओं में केंद्र पर खास सेटिंग की परंपरा का आगाज हो चुका, प्रतियोगी एवं सरकारी नौकरी की परीक्षाओं के लिए हाईटेक माफिया जड़ें जमा चुका, इसकी जड़ों तक पहुंचे बिना काम नहीं चलने वाला। एसएससी परीक्षा प्रकरण से विशेष सबक लेते हुए सरकार को खास चौकसी बरतने की जरूरत है क्योंकि प्रदेश में अभी हजारों पदों के लिए परीक्षा होनी है।

[स्थानीय संपादकीय: हरियाणा]