रेलवे की पहल
ट्रेनों का परिचालन समय पर करने की दिशा में रेल प्रशासन द्वारा की जा रही कवायद का स्वागत किया जाना चाहिए। दिल्ली ही नहीं पूरे देश की जनता रेलगाड़ियों के विलंब से चलने की समस्या से परेशान रहती है, लेकिन अब कहीं जाकर रेल प्रशासन की नींद टूटी है। दिल्ली मंडल में 65 लोकल ट्रेनों को संवदेनशील मानकर उन्हें समय पर चलाने की कोशिश की जा रही है। निश्चित ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के रेल यात्रियों के लिए यह एक राहत भरा कदम है। लोकल ट्रेन अक्सर देरी से चलती हैं, जिससे दैनिक यात्रियों का सफर लंबा और थकाऊ हो जाता है। लोकल ट्रेनों, विशेषकर आस-पास से राजधानी में आने वाली ट्रेनों पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
इन ट्रेनों को सही समय से तो चलाया ही जाए, साथ ही समय-सारिणी में सुधार के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएं ताकि आस-पास के शहर के लोग आसानी से यहां आवाजाही कर सकें। राजधानी में मेट्रो ने बेहतरीन योगदान दिया है और रेलवे प्रशासन को भी इससे सीख लेकर पेशेवर तरीके से काम करना चाहिए क्योंकि लोकल ट्रेन भी आम आदमी की जिंदगी का अहम हिस्सा हैं। आर्थिक विकास के मद्देनजर भी दिल्ली और आस-पास के शहरों को जोड़ने के लिए लोकल ट्रेन महत्वपूर्ण हैं। अगर लोकल ट्रेनों की लेटलतीफी खत्म हो जाए तो यह केवल यात्रियों के लिए ही राहतमंद नहीं है, बल्कि व्यापारियों के लिए भी फायदेमंद है। दिल्ली में आबादी का बढ़ता बोझ एक बड़ी समस्या है। देशभर से लोग यहां रोजगार की तलाश में आते हैं। यदि दिल्ली से सटे शहरों से आने वाली लोकल ट्रेनें सही समय पर आने लगें तो यहां का बोझ कम होगा। कम से कम दिल्ली में स्थायी तौर पर रहने की मजबूरी खत्म हो जाएगी। अगर इनकी लेटलतीफी रुक जाए तो पानीपत, सोनीपत और रोहतक के लोग दिल्ली में रहने की जगह इसी से सफर करना पसंद करेंगे। अभी इन ट्रेनों की लेटलतीफी के कारण ऐसे भी लोग हैं जो अपने शहरों में रहना चाहते हैं, लेकिन उन्हें मजबूरी में राजधानी में रहना पड़ता है। इस पर पूरी निष्ठा के साथ कार्य किया जाना चाहिए क्योंकि यह देश का सवाल है। इससे लोगों को न केवल सुविधा मिल सकेगी, बल्कि दिल्ली में भविष्य में बढ़ने वाले आबादी व वाहनों के अत्यधिक बोझ को भी कम किया जा सकेगा।
[स्थानीय संपादकीय: दिल्ली]














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